Explainer : भारत में सड़क के किनारे चलना खतरे से खाली नहीं, 99 फीसदी पैदल यात्री को चोट लगने का डर
संयुक्त राष्ट्र के 7वें वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह में बॉश लिमिटेड की ओर से पेश अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 के दौरान भारत में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में करीब 29,000 से अधिक पैदल यात्रियों की मौत हो गई, जिसमें से करीब 60,000 से अधिक लोगों को यातायात दुर्घटना में चोटें आई हैं.
नई दिल्ली : अगर आप सड़क के किनारे चल रहे हैं, तो वाहन चालकों से अधिक आपको ही संभलकर चलना होगा. एक रिपोर्ट की मानें, तो भारत में सड़कों के किनारे चलना खतरे से खाली नहीं है. रिपोर्ट बताती है कि देश में सड़कों के किनारे चलने वाले करीब 99 फीसदी पैदल यात्रियों को चोट-चपेट लगने का खतरा बना रहता है. साल 2023 के मई महीने में आयोजित सातवें संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान टेक कंपनी बॉश लिमिटेड की ओर से जो रिपोर्ट पेश की गई है, वह पैदल यात्रियों के लिए भयावह स्थिति पेश करती है. कंपनी की ओर से ‘इंडियन पैडेस्ट्रियन बिहेवियर’ के नाम से पेश किए गए अध्ययन में भारत में सड़कों के किनारे पैदल चलने वाले लोगों को लेकर खतरनाक आंकड़े सामने आए हैं. हालांकि, इस अध्ययन में सड़क सुरक्षा में सुधार करने के उपायों की भी मांग की गई है.
पैदल यात्रियों को चोट लगने का खतरा अधिक
संयुक्त राष्ट्र के सातवें वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह में बॉश लिमिटेड की ओर से पेश की गई अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 के दौरान भारत में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में करीब 29,000 से अधिक पैदल यात्रियों की मौत हो गई, जिसमें से करीब 60,000 से अधिक लोगों को यातायात दुर्घटना में चोटें आई हैं. इस दौरान भारत की सड़क दुर्घटनाओं में पूरे यूरोप और जापान के मुकाबले अधिक मौतें हुई हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि वर्ष 2021 के दौरान सड़क हादसों में करीब 1,50,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी.
पैदल यात्रियों को प्राथमिकता देने की मांग
प्रौद्योगिकी कंपनी बॉश लिमिटेड की रिपोर्ट में भारत में पैदल यात्रिओं की सुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए अधिकारियों और नीति निर्माताओं से सड़कों के किनारे पैदल चलने वाले यात्रियों को प्राथमिकता देने की मांग की है. इसके अलावा, बेहतर बुनियादी ढांचे और भारत के सड़क मार्गों से गुजरने वाले पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान की भी मांग की गई है. इसमें यह भी कहा गया है कि सामूहिक प्रयासों से ही देश में पैदल चलने वालों की दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है.
ग्रामीण सड़कों पर चोटिल अधिक होते हैं लोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पैदल यात्री अक्सर वाहनों को गुजरने देने के लिए सड़क के बीच में ही रुक जाते हैं, जो हादसों के प्रमुख कारण बनते हैं. हालांकि, पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं होता है. पश्चिमी देशों में गाड़ी चलाने वाले लोग पैदल चलने वालों को प्राथमिकता देते हैं. इसके साथ ही, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रामीण सड़कों पर चलने वाले लोग शहरी लोगों की अपेक्षा अधिक चोटिल होते हैं. इन इलाकों में रात के मुकाबले दिन में अधिक हादसे होते हैं.
क्यों होते हैं सड़क हादसे
रोड एक्सीडेंट सैंपलिंग सिस्टम (आरएएसएसआई) की से 6,300 से अधिक मामलों में किए विश्लेषण के अनुसार, भारत में करीब 91 फीसदी सड़क हादसे मानवीय भूल की वजह से होते हैं. वहीं, बुनियादी ढांचे और वाहन संबंधी अन्य कारकों की वजह से क्रमश: 63 फीसदी और 44 फीसदी हादसे होते हैं. पिछले साल विश्व बैंक की ओर से पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सड़क हादसों में भारत में सबसे अधिक मौतें होती हैं. भारत में दुनिया के महज 1 फीसदी गाड़ियां हैं, लेकिन सड़क हादसों में पूरी दुनिया में होने वाली मौतों में भारत की भागीदार 11 फीसदी है.
प्रत्येक चार मिनट में एक आदमी की मौत
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल करीब 4,50,000 सड़क हादसे होते हैं, इनमें 1,50,000 लोगों की मौत हो जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और हर 4 मिनट में 1 मौत होती है. विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की लागत 5.96 लाख करोड़ रुपये है, जो जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का करीब 3.14 फीसदी हिस्सा है.
सड़क हादसों को कम करने के लिए सरकार का लक्ष्य
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर साल सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में से 76.2 फीसदी की उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच होती है. ऐसी स्थिति में सड़क हादसों में होने वाली मौत की वजह से भारतीय परिवारों में कमाने वालों की कमी का सबसे बड़ा सबब भी बन रहा है. हालांकि, देश में होने वाले सड़क हादसों को कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी कदम उठाए जा रहे हैं. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने एक बयान में कहा है कि भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को 2024 तक आधा करने का लक्ष्य रखा है. इससे पहले, भारत ने 2015 में ब्राजील में आयोजित सड़क सुरक्षा सम्मेलन में 2030 तक इन मौतों को आधा करने के लक्ष्य पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत सरकार मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 में ट्रैफिक नियमों को कड़ा करते हुए उल्लंघन पर लगने वाले जुर्माने को भी बढ़ा दिया है.
कैसे करें सड़क पार
इंडिया पैरेंटिंग डॉट कॉम के अनुसार, जब आप पैदल चल रहे हों या सड़क पार कर रहे हों, तो यह सुनिश्चित करें कि आपका छोटा बच्चा आपका हाथ पकड़ ले या आपसे चिपक जाए. हमेशा जेबरा क्रॉसिंग लाइनों का इस्तेमाल करके सड़कें पार करें और हमेशा यह जांच-परख लें कि ट्रैफिक लाइट आपको सड़क पार करने की अनुमति देती है या नहीं. यदि ट्रैफिक लाइट लाल हो, तो इसका मतलब है कि आपको सड़क पार नहीं करना है. वहीं, ट्रैफिक लाइट ग्रीन है, तो आपको सड़क पार करनी है, जबकि लाइट यदि पीली हो, तो इसका अर्थ यह होता है कि आप चारों दिशाओं में देख-सुनकर सड़क पार करें कि चौराहे पर किसी दिशा से गाड़ी आ तो नहीं रही है? यदि आप लगातार इन नियमों का पालन करते हैं, तो आपका बच्चा भी इसे देखेगा और जब वह अकेले घर से बाहर निकलेगा, तो इसका पालन करेगा. आप अपने बच्चे को यह भी समझाते रह सकते हैं कि सड़क पार करते समय आपने क्या किया और क्या सावधानियां बरतीं.
पैदल चलने वालों के लिए सड़क सुरक्षा नियम
पैदल यात्रियों के रूप में, हम सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन सात महत्वपूर्ण नियमों का पालन करके हम अपनी सुरक्षा कर सकते हैं और सुरक्षित यातायात वातावरण में योगदान दे सकते हैं. आइए, पैदल यात्री सुरक्षा के लिए इन दिशानिर्देशों पर एक नजर डालें.
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पैदल यात्री केवल निर्दिष्ट स्थानों जैसे क्रॉसिंग, फुट ओवर ब्रिज या जेबरा क्रॉसिंग पर ही सड़क पार करें.
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सड़क पर कदम रखने से पहले गाड़ियों की जांच करने के लिए हमेशा दोनों तरफ देखें.
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पैदल यात्री बिना क्रॉसिंग या अज्ञात क्षेत्रों से सड़क पार करने से बचें.
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बच्चों को सड़क सुरक्षा नियमों और पैदल यात्री क्रॉसिंग के महत्व के बारे में शिक्षित करें.
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मोबाइल फोन बात करते हुए या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से गीत सुनते हुए सड़क पर न चलें या खड़े न हों.
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चौराहों पर पहुंचते समय सावधानी बरतें और वाहनों को मोड़ते समय हमेशा सचेत रहें.
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यातायात पुलिस अधिकारियों या क्रॉसिंग पर तैनात ट्रैफिक कर्मचारियों द्वारा दिए गए किसी भी निर्देश का सम्मान करें और उसका पालन करें.
भारत में 4.22 लाख सड़क हादसे
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारात में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 2020 में 3,68,828 से बढ़कर 2021 में 4,22,659 हो गई. इन यातायात दुर्घटनाओं में 4,03,116 सड़क दुर्घटनाएं, 17,993 रेलवे दुर्घटनाएं और 1,550 रेलवे क्रासिंग दुर्घटनाएं शामिल हैं. 2020 से 2021 तक राज्यों में यातायात दुर्घटना के मामलों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि तमिलनाडु (46,443 से 57,090 तक) में दर्ज की गई. इसके बाद मध्य प्रदेश (43,360 से 49,493), उत्तर प्रदेश (30,593 से 36,509), महाराष्ट्र (24,908 से 30,086) और केरल (27,998 से 33,051) का स्थान है.
सड़कों के किस किनारे चलने से नहीं लगेगी चोट
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सड़क पर चलने के लिए यातायात पुलिस की ओर से निम्न हिदायत दी जाती है.
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फुटपाथ पर चलें, सड़क पर नहीं.
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लाल बत्ती पर जेब्रा क्रॉसिंग देखकर ही सड़क पार करें.
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जहां फुटपाथ न हो उस जगह पर सामने से आने वाले ट्रैफिक की तरफ मुंह करके चलें, जिससे आप देख सकें कि सामने से आपकी तरफ कौन सी गाड़ी आ रही है.
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आप वाहनों से चोट लगने से बचने के लिए सड़क के किनारे उल्टी दिशा में चलिए. यह इसलिए क्योंकि सड़क पर गाड़ियां बाईं ओर चलती हैं. जब आप उल्टी दिशा यानी दाहिनी ओर चलेंगे, तो आपको सामने से आने वाली गाड़ियां दिख सकेंगी और आप चोट लगने से बच सकेंगे. वहीं, अगर आप बाईं ओर बने फुटपाथ पर चलेंगे, तो पीछे से आने वाली गाड़ियों से चोट लगने का डर अधिक रहेगा.
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यह सुनिश्चित करें कि आप जिस किसी भी तरफ चल रहे हों, वाहन चालकों को दिखाई देना चाहिए. खासकर रात के समय आपका दिखना बेहद जरूरी है.
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रात में सड़क के किनारे चलते समय हल्के रंग के कपड़े पहनें.
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स्कूल, बाजार या मित्र के घर जाने का सबसे सुरक्षित रास्ता पहले से सोच कर और प्लान करके रखें.
बच्चों को सिखाएं यातायात नियम
आपको बता दें कि बच्चे जब स्कूल जाने, ट्यूशन पढ़ने, दोस्तों के यहां जाने या फिर बाजार जाने के लिए माता-पिताओं की चिंताएं बढ़ जाती हैं. बच्चे जब घर से बाहर जाते हैं, तो सड़क को सुरक्षित तरीके से पार करने के लिए सीखना बेहद महत्वपूर्ण है. पैदल चलते समय अच्छी सड़क होना जरूरी नहीं है, बल्कि बच्चों को अच्छी तरह से सड़क पार करने आना चाहिए. उन्हें इस बात की जानकारी होना चाहिए कि पैदल चलते समय सड़क के किस किनारे पर चलना चाहिए. सड़क पार करने के लिए सड़क पर निशान बनाए जाते हैं, उसे क्या कहते हैं. लाल बत्ती पर पड़े निशान को क्या कहते हैं. इसलिए आपको अपने बच्चों को यह सिखाने की जरूरत है कि पैदल चलते समय वे कैसे सुरक्षित रहें और कार या बस में यात्रा करते समय सुरक्षित यात्री कैसे बनें? बच्चों को केवल निर्देश देना ही पर्याप्त नहीं है, क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं, जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं. पहली चीज वह है, जो आपको करने की जरूरत है और वह है सुरक्षित व्यवहार का मॉडल तैयार करना. आइए, जानते हैं कि बच्चों को यातायात नियमों की जानकारी कैसे दी जा सकती है.