Explainer: 50 साल बाद NASA कैसे करेगा Moon Rocket का परिक्षण, जानें क्या है इसकी खासियत
अपोलो मिशन के 50 साल बाद नासा मून रॉकेट को भेजने का प्रयास करेगा. रॉकेट के ऊपर स्थित चालक दल के कैप्सूल में कोई नहीं रहेगा. यह कैप्सूल कुछ सप्ताह तक एक सुदूर कक्षा में चंद्रमा के चारों ओर उड़ान भरेगा और फिर प्रशांत महासागर में गिर जाएगा.
लंबे इंतजार और कड़ी मेहनत के बाद नासा का सपना सच होने वाला है. दरअसल अरबों रुपये खर्च करने के बाद नासा के नये मून रॉकेट (Moon Rocket) का परिक्षण किया जाएगा.
50 साल बाद मून रॉकेट को भेजेगा नासा
अपोलो मिशन के 50 साल बाद नासा मून रॉकेट को भेजने का प्रयास करेगा. रॉकेट के ऊपर स्थित चालक दल के कैप्सूल में कोई नहीं रहेगा. यह कैप्सूल कुछ सप्ताह तक एक सुदूर कक्षा में चंद्रमा के चारों ओर उड़ान भरेगा और फिर प्रशांत महासागर में गिर जाएगा.
We are ready. 🚀
The uncrewed #Artemis I mission around the Moon will pave the way for future astronauts. The Artemis Generation is about to leave its mark.
On Aug. 29, watch history with us: https://t.co/Dx9WUCnnBS pic.twitter.com/6yJ4ik6lIw
— NASA (@NASA) August 24, 2022
29 अगस्त को मून रॉकेट का किया जाएगा परिक्षण
नासा ने ट्वीट कर बताया कि 29 अगस्त को नये मून रॉकेट का परिक्षण किया जाएगा. नासा ने एक वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया और लिखा, हम तैयार हैं. मिशन भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा. आर्टेमिस जनरेशन अपनी छाप छोड़ने वाली है.
प्रक्षेपण पैड पर पहुंचा नासा का नया चंद्र रॉकेट
नासा का नया चंद्र रॉकेट दो सप्ताह से भी कम समय के भीतर अपनी पहली उड़ान से पहले प्रक्षेपण पैड पर पहुंच गया. रॉकेट मंगलवार देर रात अपने विशाल हैंगर से निकला और इस दौरान बड़ी संख्या में कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र के कर्मचारी भी थे. रॉकेट को चार मील दूर पैड तक पहुंचने में लगभग 10 घंटे का समय लगा.
क्या है मून रॉकेट की खासियत
नासा का मून रॉकेट 322 फुट (98 मीटर) लंबा है. इसमें को चालक दल नहीं रहेगा. यह कैप्सूल कुछ सप्ताह तक एक सुदूर कक्षा में चंद्रमा के चारों ओर उड़ान भरेगा. फिर प्रशांत महासागर में गिर जाएगा.
नासा का लक्ष्य 2025 के अंत तक चंद्रमा की सतह पर दो लोगों को उतारने का लक्ष्य
नासा का लक्ष्य है कि 2025 के अंत तक चंद्रमा की सतह पर दो लोगों को उतारने का है. अगर नासा का यह मिशन सफल होता है, तो अंतरिक्ष यात्री 2024 तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा सकते हैं.