Flex Fuel वाली आने लगीं गाड़ियां, पर कहां मिलेगा ईंधन?
Flex fuel: फ्लेक्स फ्यूल से देश में गाड़ियों से उत्सर्जित होने वाले कार्बन की मात्रा कम होने की उम्मीद की जा रही है. माना यह जा रहा है कि आतंरिक दहन ईंधन वाली गाड़ियां अधिक प्रदूषण पैदा करती हैं. इसलिए, वाहन निर्माता कंपनियां और सरकार का जोर फ्लेक्स फ्यूल पर अधिक है.
Flex Fuel: भारत में गाड़ियों से उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइ-ऑक्साइड को कम करने के लिए सरकार और वाहन निर्माता कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल पर जोर दे रही हैं. माना यह जा रहा है कि फ्लेक्स फ्यूल के इस्तेमाल से वायु प्रदूषण कम होगा. देश-दुनिया में वायु प्रदूषण को बढ़ाने के पीछे पेट्रोल-डीजल से चलने वाली आतंरिक दहन इंजन (आईसीई) वाली गाड़ियों को जिम्मेदार बताया जा रहा है. इसीलिए वाहन निर्माता कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ फ्लेक्स फ्यूल वाली गाड़ियों के उत्पादन पर ज्यादा जोर दे रही हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश में फ्लेक्स फ्यूल वाली गाड़ियां आने तो लगी हैं, लेकिन यह ईंधन कहां मिलेगा? यह सवाल इसलिए भी मौजूं है, क्योंकि वाहन निर्माता कंपनियां प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन और बिक्री कर रही हैं, लेकिन देश में चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग सेंटर आसानी से उपलब्ध नहीं हैं. आइए, जानते हैं कि फ्लेक्स फ्यूल क्या है और यह ईंधन वाहन चालकों को कहां मिलेगा?
Flex Fuel क्या है और कैसे होता है तैयार
फ्लेक्स फ्यूल भी पेट्रोल-डीजल की तरह ही आंतरिक दहन ईंधन है, जो गैसोलीन, मीथेनॉल या इथेनॉल से तैयार किया जाता है. मूल रूप से फ्लेक्स फ्यूल अल्कोहल बेस्ड ईंधन है. भारत में यह इथेनॉल से तैयार होता है. इथेनॉल गन्ना, मक्का, शलगम, शकरकंद आदि से बनता है. खासकर, चीनी मिलों में इसका उत्पादन अधिक होता है. इस ईंधन को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. इसे बनाने के लिए स्टार्च और शुगर का फर्मेंटेशन किया जाता है. भारत में गन्ने की फसल बहुत बड़ी मात्रा में होती है, इसलिए ऐसे ईंधन को बड़े स्तर पर बनाने में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी.
कैसा होता है Flex Fuel इंजन
फ्लेक्स फ्यूल गाड़ियों के इंजन को पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से चलाने के लायक बनाया जाता है, जिसे हाइब्रिड इंजन कहा जाता है. इसमें इथेनॉल की मात्रा 80 फीसदी और पेट्रोल की मात्रा 20 फीसदी होती है. हाइब्रिड वाले इंजन को पावर जेनरेट करने के लिए बैटरी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह की पहल से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है. देश में टोयोटा, टाटा, मारुति सुजुकी और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाली कारों का निर्माण कर रही हैं, जबकि हीरो मोटोकॉर्प, बजाज ऑटो और टीवीएस जैसी कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल बाइक बना रही हैं.
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कहां मिलता है Flex Fuel
अब सवाल यह पैदा होता है कि जब देश में फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाली हाइब्रिड गाड़ियां आने लगी हैं, तो यह ईंधन कहां मिलेगा? कहीं ऐसा तो नहीं कि इलेक्ट्रिक वाहन की तरह इन हाइब्रिड गाड़ियों को खरीदने के बाद लोगों को फ्लेक्स फ्यूल के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा? इसका आसान से उत्तर है, ‘नहीं’. अब आप कहिए कि क्यों? इसका जवाब यह है कि हाइब्रिड गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाला फ्लेक्स फ्यूल भी पेट्रोल-डीजल की तरह पेट्रोल पंप पर ही मिलेगा और मिलेगा नहीं, बल्कि यह मिल रहा है. हालांकि, अभी 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचा जा रहा है, लेकिन हाइब्रिड गाड़ियों की संख्या बढ़ने के बाद पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 80 फीसदी तक बढ़ जाएगी. धीरे-धीरे इथेनॉल की मात्रा 100 फीसदी तक पहुंच जाएगी और पेट्रोल गायब हो जाएगा.
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