What Is Google Bard? आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के बाजार में बादशाहत कायम करने के लिए दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों के बीच वर्चस्व की होड़ शुरू हो चुकी है. जहां एक ओर माइक्रोसॉफ्ट चैटजीपीटी का निर्माण करने वाले स्टार्टअप ओपनएआइ के साथ खड़ा है, वहीं दूसरी ओर गूगल भी एंथ्रोपिक को मदद देने की घोषणा के साथ गूगल एआइ के भविष्य के बाजार में वर्चस्व बनाने के लिए ताल ठोक चुका है.
गूगल के सीइओ सुंदर पिचाई ने चैटजीपीटी के प्रतिद्वंद्वी ‘बार्ड’ नामक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस संचालित चैटबॉट की घोषणा कर कर दी है. यह लोगों के सवालों का बातचीत के अंदाज में ठीक उसी तरह से जवाब देता है, जिस तरह से चैटजीपीटी को तैयार किया गया है. हालांकि, इसमें कई अन्य खूबियां भी हैं. बार्ड में यूजर्स को पावर, इंटेलिजेंस और क्रिएटिविटी का कॉम्बिनेशन देखने को मिलेगा. बार्ड यूजर्स से मिलने वाले रिस्पॉन्स और वेब पर मौजूद जानकारी की मदद से नॉलेज इकट्ठा करेगा. बार्ड लैंग्वेज मॉडल फॉर डायलॉग एप्लीकेशन पर काम करता है. यह टूल न सिर्फ बेहद ही क्रिएटिव है, बल्कि धमाकेदार तरीके से जानकारी एकत्रित करके लोगों तक पहुंचाता है. इसका रिस्पांस टाइम काफी कम है.
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सुंदर पिचाई ने बताया कि बार्ड को वेब से जानकारी प्राप्त करके उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. उन्होंने बताया कि यह नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप की खोजों जैसे जटिल विषयों को समझाने में मदद कर सकता है, या सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ियों के बारे में सीखा सकता है, या कौशल विकसित करने के लिए प्रशिक्षण अभ्यास भी दे सकता है. ये सर्विस फिलहाल टेस्ट यूजर्स के लिए जारी की गयी है, जो इस पर अपना फीडबैक देंगे. टेस्ट यूजर्स के फीडबैक के बाद कंपनी इस प्लैटफॉर्म को पब्लिक के लिए रिलीज करेगी.
बार्ड का अर्थ है आदिवासी कवि-गायक
बार्ड का अर्थ होता है कवि. एक आदिवासी कवि-गायक जो वीरों और उनके कामों पर छंदों की रचना और पाठ करने में कुशल होता है.
चैटजीपीटी से कैसे अलग है बार्ड?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल चैटजीपीटी पहले से मौजूद डेटा के आधार पर सवालों के जवाब देता है, जबकि गूगल अपने एआइ चैटबॉट को लैंग्वेज मॉडल और डायलॉग एप्लिकेशन यानी लैम्डा से संचालित करने वाला है. लैम्डा इंसानों की तरह सोच सकता है.
लैम्डा एक छोटा मॉडल है, इसे कम कंप्यूटिंग पावर की जरूरत होती है जिसके चलते बार्ड की पहुंच अधिक यूजर्स तक हो सकेगी, चैटजीपीटी जीपीटी-3 लैंग्वेज पर आधारित है, जो ट्रांसफॉर्मर बेस्ड है. ट्रांसफॉर्मर को गूगल रिसर्च ने साल 2017 में बनया था और ओपन सोर्स किया था.
बार्ड चैटजीपीटी से ज्यादा सटीक जवाब दे सकता है, यह यूजर्स के फीडबैक और इंटरनेट पर उपलब्ध लेटेस्ट जानकारी के आधार पर ज्ञान प्राप्त करेगा, जबकि चैटजीपीटी आमतौर पर 2021 तक के डेटा की जानकारी ठीक से देता है और लेटेस्ट जानकारी को लेकर इसे कठिनाई होती है. इसकी वजह है कि चैटजीपीटी को साल 2021 तक के डेटा पर ट्रेन किया गया है. बार्ड से मिलने वाले जवाब हाई-स्टैंडर्ड और रियल-वर्ल्ड-इन्फॉर्मेशन के आधार पर होगा.
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विवादों में रहा है चैटजीपीटी, न्यूयॉर्क में है बैन
पिछले कुछ महीनों में चैटजीपीटी लोकप्रियता के साथ-साथ विवादों से भी घिरा रहा है. न्यूयॉर्क के एजुकेशन डिपार्टमेंट ने चैटजीपीटी को बैन कर दिया है, क्योंकि स्कूल और कॉलेज के बच्चे इस टूल का इस्तेमाल असाइनमेंट और होमवर्क के लिए कर रहे थे. कुछ रिसर्चर्स इस टूल की मदद से रिसर्च पेपर भी लिख रहे थे.