Anne Frank के डायरी प्रकाशन के 75वें वर्षगांठ पर Google ने डूडल बनाकर किया सम्मानित

Google ने एक एनिमेटेड स्लाइड शो के जरिये विश्व स्तर पर प्रसिद्ध यहूदी जर्मन-डच डायरिस्ट और होलोकॉस्ट पीड़ित ऐनी फ्रैंक को किया याद. आज उनकी डायरी के प्रकाशन की 75वीं वर्षगांठ है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 25, 2022 7:57 AM

Google Doodle Today: Google ने Doodle बनाकर प्रसिद्ध Anne Frank को उनके डायरी के प्रकाशन के 75वें वर्षगांठ में किया याद. इस मौके पर गूगल ने एक एनिमेटेड स्लाइडशो के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस स्लाइडशो में उनके जीवन से जुड़ी सच्ची घटनाओं को दर्शाया गया है. Anne Frank की डायरी में उनके और उनके दोस्त परिवार के द्वारा 2 साल तक सही गयी यातनाओं को बताया गया है. इस डायरी को Anne ने तब लिखा तह अजब वह केवल 13-15 साल की थी. गूगल ने बताया की Anne द्वारा लिखी गयी यह डायरी आजतक की होलोकॉस्ट और युद्ध की घटनाओं के बारे में सबसे मार्मिक और व्यापक रूप से पढ़े जाने वाले डायरियों में से एक है.

Anne Frank से जुडी कुछ खास बातें

Anne frank का जन्म 12 जून 1929 को हुआ था. Anne द्वारा लिखी गयी यह डायरी होलोकॉस्ट के दौरान की घाटी हुई घटनाओं को बताने वाली एक काफी महत्वपूर्ण डॉक्युमनेट बनकर सामने आयी. इस डायरी का इस्तेमाल हिस्ट्री की किताब की तरह भी किया जाने लगा. Anne के जन्म के कुछ ही समय बाद उनके परिवार को फ्रैंकफर्ट जर्मनी छोड़कर एम्स्टर्डम नीदरलैंड आना पड़ा. दरअसल जर्मनी में उस समय तक अल्पसंख्यकों को लेकर वहां भेदभाव काफी ज्यादा बढ़ चुका था. Anne जब केवल 10 साल की थी तब विश्व युद्ध 2 की शुरुआत हो गयी थी. युद्ध की शुरुआत के तुरंत बाद जर्मनी ने नीदरलैंड पर आक्रमण किया जिसने युद्ध का असर Anne और उनके परिवार पर भी पड़ा. नाजी शाशन के दौरान नाजियों ने यहिदीयों को अपना निशाना बनाया. यहूदियों को कैद में रखा गया, उन्हें बेरहमी से मार दिया गया या फिर अमानवीय एकाग्रता शिविरों में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया गया. उस दौरान लाखों यहूदियों को मजबूरन अपना घर छोड़कर भागने या छुपने के लिए मजबूर होना पड़ा.

Anne को भी छोड़ना पड़ा अपना घर

लाखों अन्य लोगों की ही तरह, Anne के परिवार को भी खुद को बचाने के लिए सबकुछ छोड़कर भागने पर मजबूर किया गया. Anne के पास से जो भी कुछ बरामद किया गया था उनमें केवल एक चेकर हार्डबैक नोटबुक और एक उपहार जो उसे कुछ सप्ताह पहले अपने तेरहवें जन्मदिन पर मिला था शामिल था. Anne ने अपने 25 महीने के हर एक्सपीरियंस को अपनी डायरी में संजो कर रखा था. इस डायरी में उन्होंने छोटी से छोटी डीटेल्स से लेकर अपने डर और सपनों का भी विवरण किया था. Anne को भरोसा था की उनकी यह डायरी युद्ध के बाद जरूर पब्लिश की जाएगी। Anne ने अपने लेखन को “हेट अचरहुइस” (“द सीक्रेट एनेक्स”) नामक एक समेकित कहानी में समेकित किया.

4 अगस्त 1944 को उनका परिवार पकड़ा गया

Anne के परिवार को नाजी सरकार द्वारा 4 अगस्त 1944 में पकड़ लिया गया. उन्हें गिरफ्तार कर के डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया. डिटेंशन सेंटर में उनसे और उनके परिवार से काफी कठोर कामकरवाये गए और यातनाएं भी दी गयी. Anne और उसके परिवार के सदस्यों को बाद में पोलैंड के ऑशविट्ज़ एकाग्रता शिविर में जबरन भेज दिया गया जहां उन्हें मजबूरन, अस्वच्छ परिस्थितियों में रहना पड़ा. कुछ ही महीनों बाद Anne और Margot Frank को जर्मनी के बर्गन-बेल्सन एकाग्रता शिविर में ले जाया गया. इस दौरान इस शिविर में घातक बीमारियां तेजी से फैलने लगी. आखिरकार, Anne और Margot ने में दम तोड़ ही दिया. जब Anne की मृत्यु हुई तब वह महज 15 साल की थी. भले ही Anne होलोकॉस्ट के दौरान नहीं बच पायी लेकिन उनकी लिखी हुई डायरी ” दी डायरी ऑफ ऐनी फ्रैंक’ आज तक की सबसे बड़ी नॉन फिक्शन किताब बनकर प्रकाशित की गयी. इस किताब को 80 भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया और स्कूलों में बच्चों को इसके बारे में पढ़ाया भी जाने लगा.

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