नई दिल्ली : भारत में फेम-2 नियमों का पालन नहीं करने वाली टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनियों पर सरकार कानूनी कार्रवाई करने का प्लान बना रही है. खबर है कि सरकार ऐसी इलेक्ट्रॉनिक टू-व्हीलर कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का विकल्प तलाश रही है, जो ‘फेम-2’ योजना के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं. इसके साथ ही, केंद्र की मोदी सरकार ने अभी हाल के महीनों में देश की उन सात इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनियों को 469 करोड़ रुपये वापस करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने फेम-2 योजना के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं. हालांकि, सरकार के इस कदम से इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता कंपनियों में हड़कंप मचा हुआ है. हालांकि, हीरो इलेक्ट्रिक जैसी कुछ कंपनियों ने सरकार के निर्देश आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया भी जाहिर की है, लेकिन अधिकांश इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनियां चुप्पी साधे हुई हैं.
सरकार ने सात कंपनियों को पैसा लौटाने का दिया निर्देश
समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र की मोदी सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और उसे बनाने के लिए फेम-2 योजना के मानदंडों का अनुपालन नहीं करने पर प्रोत्साहन राशि का दावा करने वाली सात इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों से 469 करोड़ रुपये वापस करने का निर्देश दिया है. सरकार ने जिन कंपनियों को पैसे वापस करने का निर्देश दिया है, उनमें हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, एम्पियर ईवी, रिवॉल्ट मोटर्स, बेनलिंग इंडिया, एमो मोबिलिटी और लोहिया ऑटो आदि शामिल हैं.
सरकार के नोटिस के बाद पैसा लौटाने को तैयार हुई केवल रिवॉल्ट मोटर
सरकार के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार ने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता कंपनियों से पैसा वापस लौटाने को लेकर नोटिस भी जारी किया है. सरकार के इस कदम के बाद इन सात कंपनियों में से अभी तक केवल रिवॉल्ट मोटर ने सरकार के सामने पैसा लौटाने की पेशकश की है. सूत्रों ने कहा है कि सरकार ने कंपनियों को नोटिस भेजा है, जिसके जवाब में केवल रिवॉल्ट मोटर की ओर से पैसा लौटाने की बात कही गई है. बाकी कंपनियों की ओर से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला है.
छह कंपनियों की ओर से नहीं दिया गया सरकार के नोटिस का जवाब
आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी को बताया कि नोटिस का जवाब देने की आखिरी तारीख भी समाप्त हो चुकी है और रिवॉल्ट मोटर को छोड़कर बाकी की छह कंपनियों की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है. ऐसी स्थिति में सरकार के सामने कानूनी कदम उठाने के सिवा और कोई दूसरा चारा नहीं बचा है. सूत्रों ने बताया कि सरकार अगले हफ्ते कानूनी कार्रवाई का विकल्प के तौर पर कोई फैसला कर सकती है. उन्होंने बताया कि सरकार तमाम कानूनी विकल्पों की तलाश कर रही है और सख्त कदम उठाने पर विचार कर रही है.
भारी उद्योग मंत्रालय की जांच में कंपनियों की मनमानी का हुआ खुलासा
एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से की गई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली सात कंपनियों ने फेम-2 के नियमों को धता बताते हुए योजना के तहत प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) योजना का बेजा फायदा उठाया है. पीएलआई योजना के नियमों के अनुसार, भारत में निर्मित कलपुर्जों का उपयोग करके इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए प्रोत्साहन की अनुमति दी गई थी, लेकिन भारी उद्योग मंत्रालय की जांच में यह साफ तौर पर पाया गया है कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली सात कंपनियों ने वाहनों के निर्माण में कथित तौर पर आयातित कलपुर्जों का इस्तेमाल किया था.
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गुमनाम ईमेल मिलने पर भारी उद्योग मंत्रालय ने शुरू की थी जांच
एजेंसी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारी उद्योग मंत्रालय ने गुप्त गुमनाम ईमेल प्राप्त करने के बाद जांच की थी. ईमेल में आरोप लगाया गया था कि कई ईवी निर्माता इन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध विनिर्माण योजना (पीएमपी) नियमों का पालन किए बिना सब्सिडी का दावा कर रहे थे. इसके बाद मंत्रालय ने पिछले वित्त वर्ष में सब्सिडी वितरण में देरी की. सात इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह वाहनों की खरीद पर ग्राहकों को मिली अतिरिक्त छूट उनसे ही वापस लेने की संभावना पर विचार करे.