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5G Trial in India: देश में गांव से लेकर शहर तक होगा 5जी का परीक्षण, चाइनीज टेक्नोलॉजी की नो एंट्री

5G Trial in India: भारत में 5जी मोबाइल नेटवर्क (5G Mobile Network) का इंतजार अब जल्द ही खत्म होनेवाला है. दूरसंचार विभाग (DoT) ने 5जी के ट्रायल की मंजूरी दे दी है. दूरसंचार कंपनियों (Telecom Companies) को 5जी ट्रायल के लिए इस सप्ताह 5जी स्पेट्रम उपलब्ध कराया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियां रिलायंस जियो (Reliance Jio), भारती एयरटेल (Airtel), एमटीएनएल-बीएसएनएल (MTNL-BSNL) और वोडाफोन-आइडिया (Vi) को ट्रायल के लिए 5जी स्पेक्ट्रम मिलेगा.

5G Trial in India: भारत में 5जी मोबाइल नेटवर्क (5G Mobile Network) का इंतजार अब जल्द ही खत्म होनेवाला है. दूरसंचार विभाग (DoT) ने 5जी के ट्रायल की मंजूरी दे दी है. दूरसंचार कंपनियों (Telecom Companies) को 5जी ट्रायल के लिए इस सप्ताह 5जी स्पेट्रम उपलब्ध कराया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियां रिलायंस जियो (Reliance Jio), भारती एयरटेल (Airtel), एमटीएनएल-बीएसएनएल (MTNL-BSNL) और वोडाफोन-आइडिया (Vi) को ट्रायल के लिए 5जी स्पेक्ट्रम मिलेगा.

दूरसंचार विभाग ने 5जी परीक्षण के लिए जिन कंपनियों के आवेदनों को मंजूरी दी है, उनमें कोई भी कंपनी चीनी कंपनी की प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं कर रही है. दूरसंचार विभाग ने रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन और एमटीएनएल के आवेदनों को इसके लिए मंजूरी दी है. इनमें से कोई भी कंपनी चीनी कंपनियों की तकनीक का उपयोग नहीं कर रही है.

दूरसंचार विभाग की ओर से जारी बयान में 5जी परीक्षण के लिए स्वीकृत दूरसंचार गीयर विनिर्माताओं की सूची में एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग, सी-डॉट और रिलायंस जियो की स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकियां शामिल हैं. इसका मतलब है कि चीनी कंपनियां 5जी परीक्षणों का हिस्सा नहीं होंगे. विभाग ने एक बयान में कहा, दूरसंचार विभाग ने 5जी तकनीक के उपयोग के परीक्षण के लिए दूरसंचार सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को अनुमति दे दी. इसमें भारती एयरटेल, रिलायंस जियोइंफोकॉम लिमिटेड, वोडाफोन आईडिया इंडिया लिमिटेड और एमटीएनएल शामिल हैं.

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इससे पहले भारती एयरटेल और वोडाफोन ने चीन की हुआवेई कंपनी की तकनीक का उपयोग कर परीक्षण करने का प्रस्ताव पेश किया था. बाद में उन्होंने हालांकि अपने आवेदन में कहा कि 5जी परीक्षण में वह चीन की किसी कंपनी की तकनीक की उपयोग नहीं करेगी. विभाग ने कहा, इन दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों ने एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट जैसे मूल उपकरण विनिर्माताओं और प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के साथ करार किया है. जबकि रिलायंस जियोइंफोकॉम लिमिटेड अपनी खुद की 5जी तकनीक का उपयोग करके यह परीक्षण करेगी.

दूरसंचार विभाग का यह कदम इस ओर इशारा करता है कि केंद्र सरकार चीनी कंपनियों को देश में होने वाले 5जी परीक्षण में भाग लेने से रोक सकती है. बयान में बताया गया है कि टेलीकॉम कंपनियों को विभिन्न बैंड में प्रयोगात्मक स्पेक्ट्रम का उपयोग करने की अनुमति दी गई है. इसमें मिड-बैंड 3.2 गीगाहर्ट्ज से 3.67 गीगाहर्ट्ज, मिलीमीटर वेव बैंड 24.25 गीगाहर्ट्ज से 28.5 गीगाहर्ट्ज और उप-गीगाहर्ट्ज बैंड 700 गीगाहर्ट्ज तक शामिल हैं. विभाग ने कहा, दूरसंचार ऑपरेटरों को 5जी परीक्षणों के संचालन के लिए अपने मौजूदा 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का उपयोग करने की भी अनुमति दी जाएगी.

वर्तमान में परीक्षणों की अवधि छह महीने की है. इसमें उपकरण की खरीद और स्थापना के लिए 2 महीने की समयावधि शामिल है. इसके अलावा, अनुमति पत्र में यह स्पष्ट कहा गया है कि दूरसंचार कंपनियों को 5जी परीक्षण शहरी क्षेत्रों समेत ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में भी करना होगा ताकि 5जी तकनीक का लाभ केवल शहरों में ही नहीं, बल्कि देशभर में उठाया जा सके. (इनपुट-भाषा)

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