EVM: चुनाव में जिस मशीन से वोट डालते हैं, उसके बारे में कितना जानते हैं आप?

What Is EVM? Explainer - यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की कीमत, इसका इस्तेमाल और इसके काम करने का तरीका जैसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब हमने आपके सामने रखने की कोशिश की है.

By Rajeev Kumar | October 16, 2022 11:18 AM
an image

Gujarat Himachal Assembly Election All About EVM: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Elections 2022) की तारीखों का ऐलान हो गया है. गुजरात में भी चुनाव होने हैं, जिसके लिए तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग दिवाली के बाद कर सकता है. जल्द ही मतदान की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. इस चुनाव में ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिये जनता कई उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगी. चुनाव आते ही ईवीएम पर भी चर्चा शुरू हो जाती है. आइए जानें ईवीएम से जुड़ी वह बातें, जो कम ही लोगों को पता हैं-

EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) क्या है?

EVM का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है. इस मशीन में दो प्रकार की यूनिट्स होती हैं. इसमें एक कंट्रोल यूनिट होता है और दूसरा बैलेट यूनिट. वोटर जब वोट देने जाते हैं, तो वोटिंग सेंटर पर मौजूद चुनाव अधिकारी कंट्रोल यूनिट के जरिये बैलेट यूनिट को ऑन करता है. इसके बाद ही वोट दिया जाता है. इस यूनिट में उम्मीदवारों के नाम लिखे होते हैं, जिनमें से वोटर अपना पसंदीदा उम्मीदवार चुनता है.

Also Read: Gujarat Himachal Assembly Election Date 2022: अब भी वोटर कार्ड नहीं बनवाया, तो जानें ऑनलाइन तरीका
EVM मशीन किसने बनायी?

भारत में ईवीएम को तैयार करने का श्रेय सरकारी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स काॅरपोरेशन ऑफ इंडिया (Electronics Corporation of India) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (Bharat Electronics Limited) को जाता है. इन दोनों कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को विकसित किया और इसका परीक्षण किया. उसके बाद इसका चुनाव में उपयोग होने लगा. अाज भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और इससे जुड़े दूसरे उपकरणों का निर्माण इन्हीं कंपनियों के द्वारा होता है.

EVM का इस्तेमाल कब से शुरू हुआ?

ईवीएम का इस्तेमाल वोट करने और मतों की गिनती में होता है. भारत में ईवीएम का पहली बार उपयोग केरल के नॉर्थ परावूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 1989 में हुआ था. उस समय इसे कुछ ही बूथों पर लगाया गया था. उसके बाद दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में इसका परीक्षण के तौर पर इस्तेमाल हुआ था. साल 1999 में पहली बार पूरे राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान गोवा में इसका इस्तेमाल हुआ था. वर्ष 2003 में देश भर में जहां-जहां उपचुनाव हुए, उस दौरान इसी मशीन का उपयोग किया गया था. इसके बाद वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में देशभर में ईवीएम मशीनें लगाकर चुनाव कराये गए.

EVM कैसे चलती है? डेटा कितने दिन स्टोर रहता है?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी इवीएम बैटरी पर काम करती है. इससे लाइट जाने की स्थिति में भी वोटिंग की प्रक्रिया जारी रहती है. इसके साथ ही, मशीन को लेकर भी यह आश्वासन दिया जाता है कि इसके नीले बटन को दबाने या ईवीएम को ऑपरेट करने के समय किसी को बिजली का झटका लगने का भी कोई खतरा नहीं होता है. ईवीएम में कंट्रोल यूनिट अपनी मेमोरी में रिजल्ट्स को तब तक स्टोर कर रख सकता है, जब तक डेटा को क्‍लियर नहीं कर दिया जाता.

EVM की कीमत कितनी होती है?

चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, 2006 से 2010 के बीच बनी एम2 ईवीएम में नोटा सहित अधिकतम 64 अभ्यर्थियों का निर्वाचन कराया जा सकता है. इसमें चार वोटिंग मशीन जोड़ी जा सकती है. वहीं, दूसरी मशीन है एम3 ईवीएम. इसमें ईवीएम से 24 बैलटिंग यूनिट्स को जोड़कर नोटा सहित अधिकतम 384 अभ्‍यर्थियों का निर्वाचन संभव है. एम2 ईवीएम की लागत 8670 रुपये है, वहीं अब इस्तेमाल में आनेवाली एम3 ईवीएम की लागत लगभग 17,200 रुपये प्रति यूनिट है. इसमें एक कंट्रोल यूनिट, 1 बैलटिंग यूनिट और बैटरी की कीमत शामिल है.

Exit mobile version