Shraddha Walker Murder Case Inside Story: दिल्ली के मेहरौली का श्रद्धा वॉकर हत्याकांड देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी आफताब ने इस दिल दहला देनेवाली वारदात को एक सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया. लाश के 35 टुकड़े कर उसे फ्रिज में रखना और उन्हें एक-एक करके जंगलों में ठिकाने लगाना. आफताब ने प्लान तो फूल प्रूफ बनाया था, लेकिन उसकी एक गलती ने उसे पुलिस के हत्थे चढ़ा दिया.
दरअसल, आफताब पूनावाला ने श्रद्धा वॉकर के मर्डर से जुड़े सारे फिजिकल सबूत तो मिटा दिये थे, लेकिन डिजिटल सबूत मिटाने में उससे चूक हो गई. जी हां, श्रद्धा वाॅकर की हत्या 18 मई को हुई थी. आफताब ने इस हत्या को राज रखने का पूरा प्रयास किया, काफी समय तक वह इसमें कामयाब भी रहा. यह हत्या लगभग छह महीने तक राज रही. लेकिन एक ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की वजह से यह राज खुल गया और आफताब पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
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श्रद्धा के कत्ल के आरोपी आफताब शव को 35 टुकड़े कर उन्हें ठिकाने भी लगा चुका था. श्रद्धा घर छोड़कर आफताब के साथ रहने चली गयी थी, तो घर वाले संपर्क में नहीं थे. श्रद्धा के सोशल मीडिया खाते से आरोपी समय-समय पर पोस्ट डालता रहा, उसके फोन से उसके दोस्तों को टेक्स्ट मैसेज भेजता रहा, ताकि उसके जानने वालों को उसके इस दुनिया में न होने का शक न हो. आफताब ने श्रद्धा के क्रेडिट कार्ड का बिल भी चुका दिया, जिससे कंपनियां श्रद्धा के मुंबई वाले पते पर कांटैक्ट न कर सकें. आरोपी ने अक्टूबर महीने में पुलिस से यहां तक कह दिया था कि श्रद्धा 22 मई को ही लड़ाई के बाद घर छोड़कर चली गई थी.
आफताब के बयान के आधार पर पुलिस ने छानबीन की, तो पता चला कि श्रद्धा के कथित तौर पर घर छोड़ने के एक हफ्ते बाद उसके फोन से एक ऑनलाइन ट्रांजैक्शन हुआ था. यहीं से पुलिस को आफताब पर संदेह होना शुरू हुआ और इसके आधार पर और जांच आगे बढ़ी. मुंबई में आफताब से पूछताछ कर रहे अधिकारियों ने कहा कि जब उससे पहली बार 26 अक्टूबर को वाॅकर की लोकेशन के बारे में पूछा गया, तो उसने कहा कि वह 22 मई को एक लड़ाई के बाद घर से निकल गई थी. पुलिस ने पाया कि उसका फोन 31 मई से बंद था. उस फोन पर 26 मई के बाद से कोई इनकमिंग या आउटगोइंग कॉल की हिस्ट्री नहीं मिली.
एचटी ने महाराष्ट्र पुलिस के एक अधिकारी के हवाले से लिखा है, आफताब ने कहा कि श्रद्धा ने अपने कपड़े और अन्य सामान घर में छोड़ दिये और केवल अपना फोन अपने साथ ले गयी. हालांकि, बाद में जांच के दौरान हमें एक ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की डीटेल मिली, जो 22 मई से 26 मई के बीच किया गया था. इसमें 54 हजार रुपये श्रद्धा के खाते से नेट बैंकिंग के जरिये आफताब के अकाउंट में भेजे गए थे. अधिकारियों ने कहा कि उस ट्रांजैक्शन के दौरान उसके फोन की लोकेशन छतरपुर तक सीमित थी.
गौर करनेवाली बात यह थी कि आफताब ने दावा किया था कि वह मोबाइल लेकर घर से निकली थी. पुलिस ने कहा कि गिरफ्तारी से एक दिन पहले 11 नवंबर को पूछताछ के दौरान आफताब से ट्रांजैक्शन के बारे में पूछा गया, जिसका जवाब देने में वह चूक गया. एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने कहा, आफताब ने कहा कि वह श्रद्धा के पासवर्ड जानता था और ट्रांजैक्शंस खुद करता था, क्योंकि उसके पास पैसे बकाया थे. उसका यह बयान पुलिस को दिये उसके अपने पिछले बयान के विपरीत था कि वह अपना फोन साथ ले गई थी. यहीं पर आफताब फंस गया.