Cyber Security Authority लगायेगा साइबर अपराध और डेटा चोरी पर रोक, संसदीय समिति ने सुझाया यह उपाय
देश के विभिन्न हिस्सों में साइबर अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. शातिर अपराधी बड़ी सफाई से लोगों को चूना लगा दे रहे हैं. इसी के मद्देनजर संसद की समिति ने साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या और डेटा की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता के बीच सरकार को इनसे निपटने के लिए नियम जारी करने का सुझाव दिया.
Cyber Security Authority : दिनोंदिन बढ़ रहे साइबर अपराधों और डेटा में सेंध लगाने की घटनाओं पर संसदीय समिति ने चिंता जतायी है. समिति ने सुझाव दिया कि सरकार को ऐसे जोखिमों से निपटने के लिए रूपरेखा तैयार करनी चाहिए. वित्त पर स्थायी समिति ने साइबर सुरक्षा प्राधिकरण (सीपीए) की स्थापना की भी सिफारिश की है. भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ डिजिटल वित्तीय इकोसिस्टम में से एक के रूप में अपनी स्थिति बनाये रखने के लिए भारत को अधिक गतिशील और सक्रिय नियामक ढांचा स्थापित करना चाहिए.
सक्रिय नियामक ढांचा स्थापित करने की जरूरत
वित्त पर गठित संसद की समिति ने साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या और निजी जानकारी से जुड़े आंकड़ों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता के बीच सरकार को इनसे निपटने के लिए नियम जारी करने का बृहस्पतिवार को सुझाव दिया. वित्त मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति ने सरकार को साइबर संरक्षण प्राधिकरण (सीपीए) के गठन का सुझाव देने के साथ इस प्राधिकरण को एथिकल हैकर्स की सेवाएं लेने को भी कहा.
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भारतीय जनता पार्टी के सांसद जयंत सिन्हा की अगुवाई वाली संसदीय समिति की बैठक में बैंक धोखाधड़ी रोकने के लिए केंद्रीय नकारात्मक रजिस्ट्री बनाने का सुझाव देते हुए कहा गया कि सीपीए को यह काम करना चाहिए. समिति ने साइबर अपराध के शिकार लोगों के लिए मुआवजे की मौजूदा व्यवस्था को नाकाफी बताते हुए कहा कि इसमें वित्तीय संस्थानों को सहयोगी भूमिका निभानी चाहिए. इसके अलावा मुआवजे के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को भी आसान बनाने के बारे में सोचना चाहिए.
देश के विभिन्न हिस्सों में साइबर अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. शातिर अपराधी बड़ी सफाई से लोगों को चूना लगा दे रहे हैं. इसी के मद्देनजर दिल्ली पुलिस साइबर वित्तीय अपराधों की जांच करने और अपराध के स्थान से सबूतों को एकत्र करने के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों की नियुक्ति करने की योजना बना रही है. पीटीआई भाषा के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि इन विशेषज्ञों की नियुक्ति आम फॉरेंसिक विशेषज्ञ, डिजिटल फॉरेंसिक, लेखाकार फारेंसिक, मनोविज्ञान फॉरेंसिक, रसायन, जीवविज्ञान एवं भौतिकी फॉरेंसिक की श्रेणी में होगी. अधिकारी ने बताया कि गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के साथ मिलकर पहले ही बोर्ड का गठन किया जा चुका है जो दिल्ली पुलिस की ओर से पेशेवर फॉरेंसिक विशेषज्ञों को एक साल की संविदा पर नियुक्ति करेगा. सूत्रों के मुताबिक इस समय फॉरेंसिक विशेषज्ञों की 119 रिक्तियां हैं.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि नियुक्ति की प्रक्रिया जनवरी में शुरू होगी, जिसके लिए इस महीने सहमति पत्र पर दस्तखत होने की उम्मीद है. दिल्ली पुलिस के आयुक्त ने हाल में बताया था कि जांच की क्षमता बढ़ाने के लिए साइबर अपराध विशेषज्ञों की नियुक्ति की जा रही है और वे पुलिस बल के साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा कि आर्थिक अपराध भी बढ़ रहे हैं और फॉरेंसिक लेखाकार विशेषज्ञों की नियुक्ति की जा रही है ताकि ऐसे अपराधों की जांच की क्षमता बढ़ाई जा सके. उन्होंने रेखांकित किया कि पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) धोखाधड़ी और बैंक से गबन जैसे जटिल मामलों की जांच करती है और ऐसे मामलों में जटिल एवं भारी-भरकम दस्तावेजों की जांच करनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि आम तौर पर पुलिसकर्मी वित्तीय दस्तावेजों की जांच के लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं. ऐसे में आपको ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जो प्रशिक्षित हो ताकि जांच की गुणवत्ता में सुधार हो और अभियोजन पुख्ता किया जा सके.
संयुक्त पुलिस आयुक्त (ईओडब्ल्यू) ने कहा कि आर्थिक अपराधों की जांच बहुत अधिक दस्तावेज आधारित होती है, बैंक दस्तावेजों एवं अन्य संबंधित कागजात का फॉरेंसिक लेखा परीक्षण जांच का सामान्य हिस्सा होता है. उन्होंने कहा, आम तौर पर हमारे पास संबंधित दस्तावेजों का विश्लेषण करने के लिए लेखापरीक्षक होते हैं. हमारे पैनल में चार्टर्ड अकाउंटेंट होते हैं और वे भी विश्लेषण करते हैं. इसलिए अगर हमें फॉरेंसिक लेखा परीक्षक फॉरेंसिक लेखांकन के लिए मिल जाएं तो जांच को गति देने के लिए पेशेवर कुशलता हासिल हो जाएगी.
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