New IT Rules: पीएम मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने आईटी से संबंधित नियमों में बड़े बदलाव किये हैं. संशोधित आईटी नियमों के तहत सोशल प्लैटफॉर्म्स फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और इंस्टाग्राम को भारत के संविधान के प्रावधानों और देश की संप्रभुता के नियमों का पालन करना अनिवार्य हो गया है. सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर कंटेंट और अन्य मामलों से जुड़ी शिकायतों के लिए एक अपीलीय पैनल गठित किया जाएगा, जो यूजर्स की समस्याओं का समाधान करेगा.
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि आईटी नियमों में किये गए संशोधन सोशल मीडिया कंपनियों पर और अधिक सावधानी बरतने का दायित्व डालेंगे, ताकि उनके मंच पर कोई भी गैरकानूनी सामग्री या गलत सूचना पोस्ट न की जाए.
सोशल मीडिया मंचों पर उपलब्ध सामग्रियों एवं अन्य मुद्दों को लेकर दर्ज शिकायतों का समुचित निपटारा करने के लिए सरकार ने शुक्रवार को आईटी नियमों में बदलाव करते हुए तीन महीने में अपीलीय समितियों का गठन की घोषणा की. ये समितियां मेटा और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सामग्री के नियमन के संबंध में किये गए फैसलों की समीक्षा कर सकेंगी.
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तीन सदस्यीय शिकायत अपीलीय समितियों (जीएसी) के गठन को चंद्रशेखर ने जरूरी बताते हुए कहा कि सरकार नागरिकों से मिले उन लाखों संदेशों से अवगत है जिनमें सोशल मीडिया कंपनियों पर उनकी शिकायतों का समुचित निवारण नहीं किये जाने की बात कही गई है. उन्होंने कहा, यह स्वीकार्य नहीं है.
चंद्रशेखर ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सरकार सोशल मीडिया कंपनियों को साझेदारों की तरह काम करते हुए देखना चाहती है ताकि ‘डिजिटल नागरिकों’ के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने कहा, पहले मध्यवर्तियों का दायित्व उपयोगकर्ताओं को नियमों के बारे में सूचित करने तक था लेकिन अब इन मंचों के कुछ और निश्चित दायित्व हैं. उन्हें प्रयास करने होंगे कि कोई भी गैरकानूनी सामग्री उनके मंच पर पोस्ट न हो.
बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को सख्त संदेश देते हुए मंत्री ने कहा कि ये मंच चाहे अमेरिका के हों या यूरोप के, अगर भारत में परिचालन करते हैं तो उनके सामुदायिक दिशा-निर्देश भारतीयों के संवैधानिक अधिकारों के विरोधाभासी नहीं हो सकते. उन्होंने कहा, इन मंचों का दायित्व है कि कोई भी गलत जानकारी, गैरकानूनी सामग्री या विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने वाली सामग्री को 72 घंटे के बीच हटा दिया जाए.
उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर 72 घंटे की समयसीमा को बहुत अधिक मानते हैं और सोशल मीडिया मंचों को गैरकानूनी सामग्रियों पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए. चंद्रशेखर ने कहा, सरकार की दिलचस्पी लोकपाल की भूमिका निभाने में नहीं है. यह एक जिम्मेदारी है जिसे हम अनिच्छा से ले रहे हैं, क्योंकि शिकायत तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है.
उन्होंने कहा कि इसके पीछे किसी कंपनी या मध्यवर्ती को निशाना बनाने या उनके लिए मुश्किलें खड़ी करने की सोच नहीं है. इसके पहले आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जीसीए के गठन से संबंधित अधिसूचना को ऑनलाइन ‘उपयोगकर्ताओं का सशक्तीकरण’ बताते हुए शुक्रवार को कहा था कि मध्यवर्ती द्वारा नियुक्त शिकायत अधिकारी के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए शिकायत अपीलीय समितियों (जीएसी) की शुरुआत की गई है. वैष्णव ने कहा, मध्यवर्तियों को सुनिश्चित करना होगा कि इसकी सेवाएं सभी उपयोगकर्ताओं तक पहुंचे और भारत के संविधान के तहत उनके अधिकारों की रक्षा करना होगी.