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How To : एथनॉल से भारत के किसानों की कैसे होगी बम्पर कमाई और बनेंगे अन्नदाता से ऊर्जा प्रदाता?

नितिन गडकरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल में मिश्रण के लिए एथनॉल की बढ़ती मांग भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को बदल देगी, जिससे किसान ऊर्जा दाता बन जाएंगे. मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के योगदान की तुलना में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र का योगदान केवल 12 फीसदी है.

नई दिल्ली : भारत में वाहनों के ईंधन के तौर पर एथनॉल की मांग बढ़ने से यहां के किसानों को बम्पर कमाई होने की उम्मीद जाहिर की जा रही है. इसके साथ ही, भारत के किसान अन्नदाता से ऊर्जादाता या फिर पावर प्रोवाइडर पर भी बन जाएंगे. दरअसल, मंगलवार को जापानी कार निर्माता कंपनी टोयोटा मोटर्स ने भारत में 100 फीसदी एथनॉल से चलने वाली दुनिया की पहली कार इनोवा हाईक्रॉस फ्लेक्स-फ्यूल एमपीवी को लॉन्च किया है. इसका लोकार्पण केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने की.

20 फीसदी एथनॉल मिश्रित ईंधन से चलेगी इनोवा हाईक्रॉस फ्लेक्स-फ्यूल एमपीवी

इस मौके पर नितिन गडकरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल में मिश्रण के लिए एथनॉल की बढ़ती मांग भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को बदल देगी, जिससे किसान ‘ऊर्जा दाता’ बन जाएंगे. उन्होंने दुनिया का पहला भारत चरण-6 (चरण-दो) इलेक्ट्रिक फ्लेक्स ईंधन-आधारित इनोवा हाईक्रॉस एमपीवी को पेश किया. यह वाहन 20 फीसदी से अधिक एथनॉल मिश्रण वाले ईंधन पर भी चल सकता है.

किसानों के लिए वरदान साबित होगा एथनॉल उद्योग

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के उच्च योगदान की तुलना में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र का योगदान केवल 12 फीसदी है, जबकि 65 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि एथनॉल उद्योग किसानों के लिए वरदान है. देश में एथनॉल की मांग बढ़ेगी, यह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के स्वरूप को बदल देगा. उन्होंने कहा कि हमारे किसान न केवल अन्नदाता होंगे बल्कि ऊर्जादाता भी बनेंगे.

जीडीपी में कृषि क्षेत्र की बढ़ेगी हिस्सेदारी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भरोसा जताया है कि एथनॉल की मांग के साथ जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि जिस दिन एथनॉल की अर्थव्यवस्था दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी, उस दिन कृषि वृद्धि दर जो 12 फीसदी है, वह बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि जनरेटर सेट, वाहन, विमान आदि में वैकल्पिक ईंधन के सफल परीक्षण किए गए हैं.

बांग्लादेश को एथनॉल मिश्रित पेट्रोल की सप्लाई करेगा भारत

इसके साथ ही, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह भी बताया कि पड़ोसी देश बांग्लादेश ने भारत से एथनॉल मिले पेट्रोल की आपूर्ति करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि मैं ऐसी तकनीक विकसित करने के लिए टोयोटा किर्लोस्कर के प्रबंधन को धन्यवाद देता हूं, जो देश में प्रदूषण को कम करने और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेगी. मैं फ्लेक्स इंजन पर अधिक मॉडल बनाने का अनुरोध करता हूं. मुझे मोटरसाइकिल चाहिए, ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा, कारें 100 फीसदी एथनॉल वाली होंगी.

कैसे बनता है एथनॉल

एथनॉल एक प्रकार का अल्कोहल होता है, जो गन्ने के रस से तैयार किया जाता है. गन्ने से इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब चीनी युक्त गन्ने का रस निकालने के लिए गन्ने के डंठल को कुचल दिया जाता है. जब गन्ने के डंठल को एक्सट्रैक्टर या एक्सपेलर से गुजारा जाता है, तो गन्ने का रस इकट्ठा किया जाता है और किण्वन टैंक में पहुंचाया जाता है, जहां एथनॉल बनाने के लिए खमीर किण्वन प्रतिक्रिया होती है. एथनॉल से कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ होता है. चीनी के उत्पादन से बचा हुआ उप-उत्पाद एथनॉल पेट्रोल का एक अच्छा विकल्प है. इसका उपयोग ईंधन के विकल्प के रूप में किया जाता है और यह लागत के हिसाब से सस्ता भी है. इसे घरेलू स्तर पर फसलों से उत्पादित किया जा सकता है और कच्चे तेल की तरह आयात करने की आवश्यकता नहीं है. एथनॉल का एक निश्चित प्रतिशत पेट्रोल के साथ मिलाया जा सकता है. एक बार एथनॉल का उत्पादन हो जाने के बाद इसे गैसोलीन यानी पेट्रोल-डीजल के साथ मिलकर जैव ईंधन बनाया जा सकता है. जिसे ई10 (10 फीसदी एथनॉल युक्त) या ई85 (85 फीसदी एथनॉल युक्त) के रूप में जाना जाता है. फ्लेक्स फ्यूल तकनीक से लैस वाहन ई85 पर चल सकते हैं.

क्या है फ्लेक्स फ्यूल तकनीक

फ्लेक्स-फ्यूल को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. यही कारण है कि इसे वैकल्पिक ईंधन भी कहा जाता है. इसे पेट्रोल और एथनॉल के मिश्रण से तैयार किया जाता है. इसे अल्कोहल आधारित ईंधन भी कहा जाता है क्योंकि इसमें एथनॉल का उपयोग किया जाता है, जो गन्ना, मक्का जैसी फसलों से तैयार किया जाता है. फ्लेक्स फ्यूल टेक्नोलॉजी, जिसे फ्लेक्सिबल फ्यूल टेक्नोलॉजी या एफएफवी (फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल) तकनीक के रूप में भी जाना जाता है. यह गैसोलीन और विभिन्न एथनॉल के मिश्रण पर चलने के लिए एक ऑटोमोबाइल इंजन की क्षमता को दर्शाता है. फ्लेक्स फ्यूल वाहनों को विभिन्न इथेनॉल-गैसोलीन मिश्रणों के साथ चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

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एथनॉल उत्पादन से किसानों को कैसे मिलेगा लाभ

एथनॉल के बढ़ते इस्तेमाल से किसानों को भी इसका लाभ मिलता है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि 15 शहरों के 84 पेट्रोल पंप पर 20 फीसदी एथनॉल वाले पेट्रोल की खुदरा बिक्री शुरू हो गई है. पेट्रोल में एथनॉल के 20 फीसदी मिश्रण का पूर्व निर्धारित लक्ष्य 2030 का रखा गया था. साथ ही एथनॉल उत्पादन कृषि फसलों के लिए बाजार में जरूरी मांग पैदा करता है, जिनका उपयोग फ़ीडस्टॉक के रूप में किया जा सकता है, जैसे मक्का, गन्ना और अन्य बायोमास. इस बढ़ी हुई मांग से इन फसलों को उगाने वाले किसानों के लिए ऊंची कीमतें और बाजार स्थिरता आ सकती है, जिससे किसानों को उनकी उपज के लिए एक अतिरिक्त बाजार प्रदान करता है और आय को बढ़ाता है.

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