Loading election data...

‘क्या ड्राइविंग लाइसेंस देने के लिए कानून में बदलाव जरूरी है’, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि सरकार को इस मामले पर "नए सिरे से विचार" करने की जरूरत है. साथ ही पीठ ने कहा कि इसे नीतिगत स्तर पर उठाने की जरूरत है.

By Abhishek Anand | September 13, 2023 3:34 PM

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा कि हल्के मोटर वाहन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति कानूनी रूप से एक विशेष वजन के वाहन चलाने का हकदार है या नहीं, क्या इस कानूनी सवाल पर कानून में बदलाव की आवश्यकता है.

इस मामले पर “नए सिरे से विचार” करने की जरूरत- SC

यह देखते हुए कि ये लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित करने वाले नीतिगत मुद्दे हैं, प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि सरकार को इस मामले पर “नए सिरे से विचार” करने की जरूरत है. साथ ही पीठ ने कहा कि इसे नीतिगत स्तर पर उठाने की जरूरत है.

दो महीने में इस प्रक्रिया को पूरा करें- SC

शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह दो महीने में इस प्रक्रिया को पूरा करे और निर्णय से उसे अवगत कराए. अदालत ने कहा कि कानून की किसी भी व्याख्या में सड़क सुरक्षा और सार्वजनिक परिवहन के अन्य उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा की वैध चिंताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए.

संविधान पीठ ने 18 जुलाई को कानूनी सवाल के संबंध में 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी

संविधान पीठ एक कानूनी प्रश्न पर विचार कर रही है कि, “क्या ‘हल्के मोटर वाहन’ का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति उस लाइसेंस के आधार पर ‘हल्के मोटर वाहन श्रेणी के परिवहन वाहन’ को चलाने का हकदार हो सकता है, जिसका वजन बिना सामान लदे 7,500 किलोग्राम से अधिक न हो?” संविधान पीठ ने 18 जुलाई को कानूनी सवाल के संबंध में 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी.

Also Read: PHOTOS: भारत की 5 सबसे खतरनाक सड़कें, जहां ड्राइविंग करना यानी ‘जान की बाजी लगाना’!
यह एक संवैधानिक मुद्दा नहीं है. यह एक शुद्ध वैधानिक मुद्दा-SC

पीठ ने कहा, “देश भर में लाखों ड्राइवर हैं जो देवांगन फैसले के आधार पर काम कर रहे हैं. यह एक संवैधानिक मुद्दा नहीं है. यह एक शुद्ध वैधानिक मुद्दा है.” इस पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, पीएस नरसिम्हा, पंकज मितल और मनोज मिश्रा भी शामिल थे.

“यह सिर्फ कानून का सवाल नहीं है, बल्कि कानून के सामाजिक प्रभाव का भी सवाल है”-SC

पीठ ने कहा, “यह सिर्फ कानून का सवाल नहीं है, बल्कि कानून के सामाजिक प्रभाव का भी सवाल है… सड़क सुरक्षा को कानून के सामाजिक उद्देश्य के साथ संतुलित किया जाना चाहिए और आपको यह देखना होगा कि क्या इससे गंभीर कठिनाइयां पैदा होती हैं. हम संविधान पीठ में सामाजिक नीति के मुद्दों का फैसला नहीं कर सकते.”

Also Read: Harshad Mehta Car Collection: हर्षद मेहता की Lexus LS400 जो बनी उसके पतन का कारण!

Next Article

Exit mobile version