Laptop Import Ban: सरकार ने 4 अगस्त 2028 को लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर को प्रतिबंधित आयात की सूची में जोड़ा. इसका मतलब है कि अब इन वस्तुओं का आयात विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से लाइसेंस मिलने के बाद ही किया जा सकेगा. अमेरिकी व्यापार प्रमुख कैथरीन ताई ने अब इन वस्तुओं के आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य करने के आदेश पर चिंता जताई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ताई का हस्तक्षेप बढ़ती चिंताओं के बीच आया है कि लाइसेंसिंग व्यवस्था एप्पल और डेल जैसी तकनीकी कंपनियों के शिपमेंट पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. 26 अगस्त को ताई की केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात के बाद जारी बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि, ऐसे हितधारक हैं जिन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए समीक्षा करने और इनपुट प्रदान करने का अवसर चाहिए कि नीति लागू होने पर भारत में अमेरिकी निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
सामने आई जानकारी के मुताबिक, सरकार ने इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया कि वह लैपटॉप, एआईओ और टैबलेट के आयात पर प्रतिबंध क्यों लगा रही है, अधिकारियों ने कहा कि यह नागरिकों की सुरक्षा की रक्षा के लिए किया गया है और कहा कि आयात की अनुमति केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही दी जाएगी. वहीं, मामले पर बात करते हुए एक अधिकारी ने कहा, कुछ हार्डवेयर में संभावित रूप से सुरक्षा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और संवेदनशील और व्यक्तिगत डेटा से समझौता हो सकता है. हमने उनमें से कुछ वस्तुओं को ध्यान में रखा है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि हार्डवेयर के लिए सरकार की पीएलआई योजना को प्रोत्साहन राशि 131 प्रतिशत बढ़ाकर 17,000 करोड़ रुपये करने के बावजूद कोई खरीदार नहीं मिला. नए नियम का उद्देश्य आयात से ध्यान हटाकर भारत में निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना है.
सामने आई जानकारी के अनुसार डीजीएफटी ने छूट प्रदान की है. इनमें व्यक्तिगत सामान में वस्तुओं और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से व्यक्तिगत आयात की अनुमति शामिल है, जब तक कि केवल एक टुकड़ा देश में आ रहा हो. अनुसंधान उद्देश्यों के लिए, 20 वस्तुओं तक छूट प्रदान की गई है. यह भी ध्यान दिया जाता है कि एक बार ऐसा करने के बाद, डिवाइस को नष्ट कर दिया जाना चाहिए या वापस कर दिया जाना चाहिए. सामने आई जानकारी के अनुसार नई लाइसेंसिंग व्यवस्था 1 नवंबर से लागू होने वाली है.