ALERT: क्या आपने भी फोन को डार्क मोड में यूज करने की आदत डाल ली है? संभल जाइए…
Dark Mode, Smartphone, Tech Tips: स्मार्टफोन के ऐप्स के लिए डार्क मोड इन दिनों काफी पॉप्युलर फीचर बन गया है और ट्विटर से लेकर फेसबुक मेसेंजर और व्हाट्सऐप तक डार्क मोड दे रहे हैं. यही नहीं, लेटेस्ट एंड्रॉयड में गूगल ने सिस्टम-वाइड डार्क मोड का ऑप्शन भी दे दिया है. डार्क मोड के बारे में माना जाता है कि इसकी मदद से ना सिर्फ बैटरी की बचत होती है, बल्कि आंखों के लिए भी यह आरामदायक होता है और ज्यादा देर तक स्क्रीन देखने से थकान भी नहीं होती. ऐसा इसलिए क्योंकि डार्क मोड ऑन होने पर स्मार्टफोन की डिस्प्ले डार्क या ब्लैक कलर में हो जाती है. इसकी वजह से आंखों में कम रोशनी जाती है. इसके बावजूद डार्क मोड का इस्तेमाल करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है.
Dark Mode, Smartphone, Tech Tips: स्मार्टफोन के ऐप्स के लिए डार्क मोड इन दिनों काफी पॉप्युलर फीचर बन गया है और ट्विटर से लेकर फेसबुक मेसेंजर और व्हाट्सऐप तक डार्क मोड दे रहे हैं. यही नहीं, लेटेस्ट एंड्रॉयड में गूगल ने सिस्टम-वाइड डार्क मोड का ऑप्शन भी दे दिया है.
डार्क मोड के बारे में माना जाता है कि इसकी मदद से ना सिर्फ बैटरी की बचत होती है, बल्कि आंखों के लिए भी यह आरामदायक होता है और ज्यादा देर तक स्क्रीन देखने से थकान भी नहीं होती. ऐसा इसलिए क्योंकि डार्क मोड ऑन होने पर स्मार्टफोन की डिस्प्ले डार्क या ब्लैक कलर में हो जाती है. इसकी वजह से आंखों में कम रोशनी जाती है. इसके बावजूद डार्क मोड का इस्तेमाल करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है.
नजर होगी कमजोर
अगर आप लंबे समय से अपने स्मार्टफोन पर डार्क मोड इस्तेमाल करते हैं, तो बाद में आपकी आंखें उसे ही अडॉप्ट कर लेती हैं और व्हाइट कलर का टेक्स्ट पढ़ना बेहतर लगता है. इसके उलट, जब आप लाइट मोड पर जाते हैं तो इसका असर आपकी आंखों पर पड़ता है और नजर कमजोर होने लगती है. डार्क मोड का ज्यादा इस्तेमाल आंखों की बीमारी का कारण बन सकता है. लाइट से डार्क टेक्स्ट के बीच स्विच करने के बाद आपकी आंखें अचानक इस चेंज को अडॉप्ट नहीं कर सकती हैं और ऐसे में ब्राइटबर्न की स्थिति भी दिख सकती है. डार्क मोड जहां दिन में ठीक रहता है तो वहीं रात के समय यह नुकसानदायक साबित होता है.
एस्टिगमेटिज्म का खतरा
अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन के मुताबिक, डार्क मोड इस्तेमाल करने वाले लोगों में एस्टिगमेटिज्म नाम की बीमारी सामने आ रही है. इसमें एक आंख या फिर दोनों आंखों के कॉर्निया का शेप कुछ अजीब सा हो जाता है और ब्लर दिखने लगता है. इसकी वजह से लोग व्हाइट बैकग्राउंड पर ब्लैक टेक्स्ट के मुकाबले ब्लैक बैकग्राउंड पर वाइट टेक्स्ट आसानी से नहीं पढ़ सकते. डिस्प्ले ब्राइट होने पर आइरिस छोटा हो जाता है, जिससे कम लाइट आंख में जाये और डार्क डिस्प्ले के साथ उल्टा होता है. ऐसे में आंख के फोकस पर असर पड़ता है.
क्या है बचने का उपाय?
आंखों पर डार्क मोड की वजह से अगर कोई नुकसान नहीं होने देना चाहते हैं, तो आपको डार्क मोड और लाइट मोड दोनों को बीच-बीच में स्विच करते रहना चाहिए. जहां तक संभव हो, स्मार्टफोन के डिस्प्ले की ब्राइटनेस कम ही रखनी चाहिए. दिन में लाइट मोड का इस्तेमाल करें जबकि रात में डार्क मोड का इस्तेमाल करना ठीक रहेगा. दिन में डार्क मोड इस्तेमाल करना आंखों पर ऐसा असर करता है, मानो आप रात के अंधेरे में सो रहे हों और अचानक दोपहर जैसी धूप आ जाए. स्क्रीन की ब्राइटनेस कुछ इसी तरह काम करती है और इसमें अचानक हुआ बदलाव आपकी नजर कमजोर कर सकता है.