Boycott Chinese Products से भारतीय स्मार्टफोन कंपनियों को कोई फायदा नहीं, जब तक सरकार यह कदम नहीं उठाती…

boycott chinese products, chinese smartphone, made in india smartphone, indo china border tension, indo china relations, Made In India, Made In China : भारतीय स्मार्टफोन विनिर्माताओं को भारत-चीन के बीच सीमा पर मौजूदा तनाव के कारण ऐसा नहीं लगता है कि उनके दिन बहुरेंगे और लोगों में चीन विरोधी धारणा से उनका कारोबार बढ़ेगा. उनका मानना है कि विदेशी कंपनियों के समक्ष प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के लिए सस्ता कर्ज ही समय की जरूरत है. पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के साथ संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवानों के मारे जाने के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बाद विभिन्न क्षेत्रों से चीनी सामान के बहिष्कार की आवाजें उठने लगी हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2020 6:58 PM

Boycott Chinese Products, Made In India, Made In China: भारतीय स्मार्टफोन विनिर्माताओं को भारत-चीन के बीच सीमा पर मौजूदा तनाव के कारण ऐसा नहीं लगता है कि उनके दिन बहुरेंगे और लोगों में चीन विरोधी धारणा से उनका कारोबार बढ़ेगा.

उनका मानना है कि विदेशी कंपनियों के समक्ष प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के लिए सस्ता कर्ज ही समय की जरूरत है. पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के साथ संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवानों के मारे जाने के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बाद विभिन्न क्षेत्रों से चीनी सामान के बहिष्कार की आवाजें उठने लगी हैं.

कार्बन ब्रांड के विनिर्माता और जैना समूह के कार्यकारी निदेशक अभिषेक गर्ग ने कहा, शुरुआती संकेत काफी उत्साहवर्धक हैं लेकिन भारतीय मोबाइल फोन बनाने वालों को सस्ती दरों पर कर्ज उपलबध कराये जाने की जरूरत है. इसी के बल पर वह धन संपन्न चीनी कंपनियों का मुकाबला कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से उपयुक्त हस्तक्षेप करने से भारतीय ब्रांडों का भाग्य चमक सकता है.

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उद्योग जगत के विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले कुछ सालों के दौरान चीनी कंपनियों के भारत में आने के बाद ज्यादातर भारतीय स्मार्टफोन कंपनियां कारोबार से बाहर हो गईं. जबकि अन्य कंपनियां विदेशी कंपनियों की आपूर्तिकर्ता बन गईं.

एक अन्य भारतीय कंपनी लावा इंटरनेशनल लिमिटेड ने कहा कि चीन और उसके उत्पादों के खिलाफ लोगों के गुस्से से उनकी कंपनी का कारोबार बढ़ने वाला नहीं है. यह एक देश के तौर पर अधिक जिम्मेदारी की बात है कि वह ऐसा कौशल और क्षमता विकसित करे, जिससे कि हम चीन के बाजार में भी प्रतिस्पर्धा में ठहर सकें.

गर्ग ने कहा कि भारतीय मोबाइल फोन निर्माता कई मामलों में पीछे हैं जैसे कि विपणन के क्षेत्र में भारी खर्च भी उनके बस की बात नहीं है. घटते बाजार हिस्से को देखते हुए बैंक भी रिण सुविधा में हाथ सख्त कर देते हैं.

बहरहाल, बाजार रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू ब्रांड कार्बन माबाइल, लावा इंटरनेशनल और माइक्रोमैक्स बाजार में नये मॉडल उतारने की तैयारी में हैं.

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Posted By – Rajeev Kumar

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