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BH Series Number पर शर्त लगाना ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को पड़ा भारी, हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

BH Series Number: बाम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से जारी सर्कुलर स्पष्ट रूप से अधिकार क्षेत्र से बाहर और कानून में किसी भी अधिकार के बिना था. हमारे विचार में सर्कुलर त्रुटिपूर्ण और अवैध है.

BH Series Number: भारत नंबर रजिस्ट्रेशन पर शर्त लगाना महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को तब भारी पड़ गया, जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके आदेश गैर-जरूरी बताते हुए रद्द करते हुए फटकार लगाई. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारत सीरीज के तहत गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदनों पर निर्णय लेते समय कुछ शर्तें लगाने वाले महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से जारी सर्कुलर को रद्द कर दिया. न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने 12 अप्रैल को अपने फैसले में कहा कि सर्कुलर बिना किसी अधिकार के जारी किया गया था और इसलिए यह त्रुटिपूर्ण और अवैध था.

सिविल जज ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

बॉम्बे हाई कोर्ट एक सिविल जज की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें भारत सीरीज के तहत अपने गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की मांग करने वाले उनके आवेदन के सर्कुलर और अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी. इसे भारत सरकार की ओर से साल 2021 में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गाड़ियों के सुविधाजनक हस्तांतरण की सुविधा के लिए पेश किया गया था.

सिविल जज ने भारत सीरीज नंबर के लिए किया था आवेदन

महाराष्ट्र के राज्य न्यायिक सेवा के सीनियर सिविल जज महेंद्र पाटिल के अनुसार, उन्होंने अपना आधिकारिक पहचान पत्र जमा किया, जो शर्तों के अनुसार पेश किया जाने वाला एकमात्र अनुपालन है. पाटिल की याचिका में कहा गया है कि जब उन्होंने पूछताछ की, तो उन्हें सूचित किया गया कि उनका आवेदन खारिज कर दिया गया है. इसका कारण यह बताया गया उन्होंने फरवरी 2024 में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से जारी एक सर्कुलर के तहत लगाई गई कुछ अन्य शर्तों का पालन नहीं किया था.

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने क्या लगाई थी शर्तें

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार, कोई भी सरकारी कर्मचारी भारत सीरीज को रजिस्ट्रेशन कराना चाहता है, उसे आधिकारिक पहचान पत्र के अलावा एक प्रमाण पत्र भी पेश करना होगा, जिसमें दिखाया गया हो कि उसके अन्य राज्यों में कार्यालय हैं. इसमें उन्हें राज्यों में उनका प्रवास और उसके दौरान उसकी भुगतान पर्ची शामिल होना चाहिए.

ट्रासंपोर्ट कमिश्नर को सर्कुलर जारी करने का अधिकार नहीं

सिविल जज महेंद्र पाटिल ने अपनी याचिका में कहा कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पास ऐसा सर्कुलर जारी करने का कोई अधिकार नहीं है, जो केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के प्रावधानों के विपरीत है. उन्होंने मांग की कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के सर्कुलर को रद्द किया जाए और उनकी गाड़ी को भारत सीरीज के तहत रजिस्ट्रेशन देने का आदेश दिया जाए. अपनी याचिका में पाटिल ने दावा किया कि उन्होंने भारत सीरीज के तहत गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के लिए केंद्रीय मोटर वाहन (20वां संशोधन) नियम 2021 में अनिवार्य शर्तों का अनुपालन किया है.

हाई कोर्ट ने क्या कहा

बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से जारी सर्कुलर स्पष्ट रूप से अधिकार क्षेत्र से बाहर और कानून में किसी भी अधिकार के बिना था. हमारे विचार में सर्कुलर त्रुटिपूर्ण और अवैध है. 21 फरवरी 2024 के सर्कुलर को अवैध, मनमाना और असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे रद्द किया जाता है. इसके साथ ही, अदालत ने अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर भारत सीरीज के तहत पाटिल की गाड़ी को रजिस्ट्रेशन देने का निर्देश दिया. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार ने भारत सीरीज के तहत गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के लिए केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के तहत नियम बनाए हैं.

क्या हुआ बॉम्बे हाई कोर्ट में?

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर द्वारा जारी किए गए सर्कुलर को रद्द कर दिया, जिसमें भारत सीरीज नंबर के रजिस्ट्रेशन के लिए अतिरिक्त शर्तें लगाई गई थीं।

यह सर्कुलर किसके खिलाफ था?

यह सर्कुलर सीनियर सिविल जज महेंद्र पाटिल के द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में था, जिसमें उन्होंने अपने गाड़ी के भारत सीरीज रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था।

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने किन शर्तों को लागू किया था?

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने सरकारी कर्मचारियों के लिए आधिकारिक पहचान पत्र के साथ-साथ एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की शर्त रखी थी, जिसमें उनके अन्य राज्यों में कार्यालय होने का विवरण होना चाहिए।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या निर्णय लिया?

अदालत ने कहा कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पास ऐसा सर्कुलर जारी करने का अधिकार नहीं था और इसे अवैध और त्रुटिपूर्ण घोषित करते हुए रद्द कर दिया।

अदालत ने क्या निर्देश दिया?

अदालत ने ट्रांसपोर्ट अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर महेंद्र पाटिल की गाड़ी को भारत सीरीज के तहत रजिस्ट्रेशन देने का आदेश दिया।

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