Maruti Suzuki EV: मारुति सुजुकी भारत में सबसे ज्यादा कार बेचनेवाली कंपनी है. सबसे ज्यादा बिकनेवाली शीर्ष-10 कारों में से 5 मारुति के ही रहते हैं. लेकिन अब समय की जरूरत इलेक्ट्रिक व्हीकल की है. टाटा, महिंद्रा से लेकर एमजी मोटर्स तक की इलेक्ट्रिक गाड़ियां जहां गाहे-बगाहे सड़कों पर दौड़ती नजर आ जाती हैं, वहीं देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इलेक्ट्रिक व्हीकल के मामले में अब भी पीछे चल रही है. लेकिन कंपनी के नये सीईओ की मानें, तो मारुति सुजुकी इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र का अगुवा बनना चाहती है और वह कई मॉडल उतारने की योजना पर जोर-शोर से काम कर रही है.
देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) प्रतिस्पर्धियों को टक्कर देने और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के क्षेत्र में अगुवा बनने के लिए कई बिजली चालित वाहन मॉडल उतारने की तैयारी कर रही है. हालांकि, इस क्षेत्र में अभी कंपनी का कोई मॉडल नहीं है. कंपनी के नये प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) हिसाशी ताकेयूची ने यह बात कही.
कंपनी की योजना 2025 में पहला इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल उतारने की है. देश में ईवी की मांग बढ़ने पर वह भविष्य में अपने कारखानों में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण पर भी विचार कर रही है. पहला ईवी मॉडल सुजुकी मोटर के गुजरात संयंत्र में बनाया जाएगा. ताकेयूची ने कहा, भारतीय बाजार में ईवी मॉडल उतारने के मामले में हम अपने प्रतिस्पर्धियों से कुछ पीछे रह गए हैं, वैसे भी बाजार में ईवी की मांग सीमित है. वास्तव में भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री अब भी बहुत सीमित है.
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उन्होंने कहा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम ईवी के बारे में कुछ नहीं कर रहे. हम अपने मौजूदा मॉडलों के साथ बीते एक साल से भी अधिक समय से ईवी का परीक्षण कर रहे हैं. यह परीक्षण भारतीय माहौल के अनुरूप किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी ईवी प्रौद्योगिकी भारत के पर्यावरण के लिहाज से अच्छी है.
ताकेयूची ने कहा कि कंपनी पहला इलेक्ट्रिक वाहन 2025 में उतारेगी और फिर एक के बाद एक कई मॉडल उतारे जाएंगे. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन बहुत महंगे होते हैं और वर्तमान प्रौद्योगिकी के साथ किफायती इलेक्ट्रिक वाहन बनाना काफी मुश्किल है. यह पूछे जाने पर कि क्या इसका मतलब यह है कि कंपनी का पहला ईवी 10 लाख रुपये से कम का नहीं होगा, ताकेयूची ने कहा, मैं आपको इसका स्पष्ट जवाब नहीं दे सकता हूं, लेकिन लागत के मोर्चे पर प्रतिस्पर्धी बने रहते हुए कम महंगा इलेक्ट्रिक वाहन लाना काफी मुश्किल है. इसकी वजह बैटरी की लागत है. (इनपुट : भाषा)