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Flex Fuel: मकई के दाने से अब देश में दौड़ेंगी गाड़ियां, जानें क्या है मोदी सरकार का मास्टर प्लान

Flex Fuel: भारत में केंद्र की मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर फ्लेक्स फ्यूल को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए वह किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इथेनॉल के उत्पादन के लिए मकई की खरीद करेगी.

Flex Fuel: अगर आपसे यह कहा जाए कि अब आपकी गाड़ी मकई के दाने से चलेगी, तो आप चौंकेंगे या नहीं? लेकिन, यह कोई थोथी बात नहीं है, बल्कि आने वाले दिनों में मकई के दानों से ही गाड़ियां चलेंगी. इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार ने योजना पर काम करना भी शुरू कर दिया है. खबर है कि सरकार मकई के दानों से इथेनॉल तैयार करने के लिए उसकी खरीद करना शुरू भी कर दिया है. आम तौर पर अब तक तो इथेनॉल का उत्पादन गन्ने से ही किया जाता रहा है, लेकिन अब मकई के दानों से भी इसे तैयार किया जाएगा. इसके पीछे सरकार का उद्देश्य देश में फ्लेक्स फ्यूल (Flex Fuel:) को बढ़ावा देना है, जो इथेनॉल के मिश्रण से ही तैयार किए जाते हैं.

Flex Fuel: मकई की खरीद की योजना तैयार

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र की मोदी सरकार ने मकई से इथेनॉल तैयार करने वाली योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी किया है. इसके तहत, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) खरीफ सीजन में किसानों से मकई की खरीद करेंगे. खबर यह भी है कि सरकार ने इन दोनों एजेंसियों के माध्यम से किसानों की मकई की खरीद करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी निर्धारित कर दिया है. नेफेड और एनसीसीएफ इथेनॉल उत्पादन के लिए किसानों से 2090 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मकई की खरीद करेंगी और इथेनॉल उत्पादक डिस्टिलर्स को 2,291 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सप्लाई करेंगी.

Flex Fuel: क्या है सरकार का उद्देश्य

मकई के दानों से इथेनॉल के उत्पादन के पीछे सरकार का दो उद्देश्य है. पहला तो यह कि देश में फ्लेक्स फ्यूल निर्माता कंपनियों को आसानी से इथेनॉल उपलब्ध कराया जा सके. इसके अलावा, सरकार की योजना का दूसरा उद्देश्य किसानों को मकई के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करना है. इसका तीसरा लक्ष्य यह है कि देश में इथेनॉल उत्पादक डिस्टीलर्स फीडस्टॉक के जरिए मकई की निर्बाध आपूति की जाए. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आगामी रबी सीजन में मकई की खरीद की शुरुआत की जाएगी. अनुमान है कि इथेनॉल के लिए सालाना लगभग 3.5 से 4 मिलियन टन मकई की जरूरत होती है.

Flex Fuel: क्या होता है इथेनॉल

बताते चलें कि इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल है. यह गन्ने के जूस से तैयार किया जाता है. गन्ने के जूस से जब मिलों में चीनी का उत्पादन किया जाता है, तो उससे इथेनॉल को अलग कर दिया जाता है. यह एक रासायनिक प्रक्रिया है. इथेनॉल का इस्तेमाल स्पिरीट और ईंधन बनाने के साथ ही कई अन्य वस्तुओं के निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है. फ्लेक्स फ्यूल इथेनॉल और मेथेनॉल या मीथेन के मिश्रण से तैयार किया जाता है. फ्लेक्स फ्यूल पेट्रोल-डीजल के मुकाबले काफी सस्ता होता है. इसीलिए पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच भारत के लोगों ने वैकल्पिक ईंधन के तौर पर फ्लेक्स फ्यूल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

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Flex Fuel: किससे बनता है इथेनॉल

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल में इस्तेमाल किया जाता है. इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होती है, लेकिन मक्का, चावल और अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जाता है. फिलहाल इथेनॉल उत्पादन में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जहां सालाना 150 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता है. बिहार में यह 12 करोड़ लीटर है. हालांकि, मुंबई स्थित बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी चीनी और इथेनॉल निर्माता कंपनी है. इथेनॉल पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है. इथेनॉल उत्पादन के लिए दो प्रमुख कच्चा माल गन्ना और मक्का है. बिहार देश में मक्का की कुल उपज का लगभग 30 फीसदी योगदान करता है.

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राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को भी जानें

भारत में हरित हाइड्रोजन के व्यावसायिक उत्पादन और इस प्राकृतिक ईंधन के विदेश निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन कार्यक्रम की शुरुआत 15 अगस्त 2021 को की गई है. इस मिशन के माध्यम से सरकार ईंधन के तौर पर हरित हाइड्रोजन की मांग में वृद्धि लाने के साथ-साथ इसके उत्पादन, इस्तेमाल और निर्यात को प्रोत्साहित करेगी. इतना ही नहीं, इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन और इस्तेमाल का समर्थन करने के लिए राज्यों और इससे संबंधित क्षेत्रों की पहचान उनका विकास किया जाएगा.

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