Nasa Sun Storm Warning, Geomagnetic Storm, Solar Flare To Hit Earth: धरती पर मंडरा रहा है भारी खतरा. बड़ा खुलासा हुआ है, जिसके अनुसार अगले 24 घंटे के अंदर सूर्य से निकलने वाला गर्म तूफान धरती को क्षति पहुंचा सकता है. स्पेशवेदर के मुताबिक आज तूफान की ये लहर जब धरती के हिस्से को हिट करेगी तो जीपीएस, सेलफोन नेटवर्क और सैटेलाइट टीवी पर भी इससे बुरी तरह प्रभावित हो सकता है.
दरअसल, 3 जुलाई को भी एक बड़ा विस्फोट सूरज के दक्षिणी हिस्से में देखने को मिला था. इसी की वजह से सोलर फ्लेयर्स यानी सौर किरणें धरती की ओर तेजी से यख कर चुकी हैं. इंडिया टूडे के रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगले 24 घंटे धरती पर कुछ मिनटों के लिए बड़ी संकट आ सकती है. धरती से सौर्य तूफान के टकराते ही पृथ्वी के ऊत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर नॉर्दन और सदर्न लाइट्स की मात्रा बढ़ सकती है साथ ही साथ फ्रीक्वेंसी भी बढ़ेगी. इस मामले के जानकारों की मानें तो इससे धरती पर मैग्नेटिक फील्ड पर बुरा असर भी पड़ने वाला है.
वैज्ञानिकों की मानें तो धरती की ओर तेजी से बढ़ रहे सौर्य तूफान की रफ्तार 16 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा है, जिसकी गति और तेज होने की संभावना है.
यह तूफान उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव के आसपास रहने वाले लोगों को दिखाई दे सकता है. इस दौरान रात में अरोरा (Auroa) जैसा नजारा आसमान देखने को मिलेगा.
जब सूर्य की सतह पर तीव्र विस्फोट होता है तो अचानक से यहां से ऊर्जा उत्पन्न होती है. और ब्रह्मांड में मौजूद ग्रहों से जाकर टकराती है और उन्हें नुकसान पहुंचाती है. इससे निकलने वाली तरंगों में रेडियो वेब, एक्स-रे और गामा किरणें मौजूद होती हैं.
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धरती के चुंबकीय क्षेत्र में इस सौर्य तूफान के आते ही सैटेलाइट के सिग्नल बाधित हो सकते है.
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इसके प्रभाव से जीपीएस, सैटेलाइट टीवी, मोबाइल नेटवर्क में एकाएक दिक्कतें आ सकती है.
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अर्थात जीपीएस के मदद से उड़ने वाले ड्रोन, हवाई जहाज, चलने वाले मोबाइल फोन, रेडियो सिग्नल व अन्य सभी सेवाएं ठप हो जाएंगी.
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रिपोर्ट के अनुसार कुछ देश में बीजली संकट भी उत्पन्न हो सकती है.
इससे पहले मार्च 1989 में धरती पर सौर तूफान ने तबाही मचायी थी. जिसके कारण 9 घंटे के लिए ब्लैक आउट हो गया था कनाडा का हाइड्रो-क्यूबेक इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन सिस्टम. वहीं, 1991 में भी इस तूफान के कारण आधे अमेरिका में बिजली डाउन हो गयी थी. हालांकि, इस बार का सौर्य तूफान इन सबसे बड़ा है, भयावह है.
1989 और 1991 में आये सौर्य तूफान के समय अभी के मुताबिक काफी मात्रा में बिजली, सैटेलाइट, स्मार्टफोन्स, रेडियो कम्युनिकेशन थे. लेकिन, अब तबाही के मौका ज्यादा हो सकता है. यही कारण है कि वैज्ञानिकों के लिए यह तूफान चिंता का विषय बना हुआ है.
Posted By: Sumit Kumar Verma