Things Sent To Space: न रॉकेट न स्पेसक्राफ्ट फिर भी आसानी से अंतरिक्ष तक भेजे जा रहे समोसे, चिकन नगेट जैसे डेली यूज के सामान, जानें इसके पीछे क्या है साइंस
Things Sent To Space, Weather Balloon, Space Kit: इंसानों को जब लगा कि वे अंतरिक्ष तक वे जा सकते है, उन्होंने टेक्नॉलाजी के माध्यम से इसे कर दिखाया. हालांकि, यह काफी खर्चीला होता है. लेकिन, क्या आपको मालूम है केवल इंसान ही नहीं बल्कि बहुत सारे सामान भी अंतरिक्ष तक पहुंचाए जा रहे है. इसके लिए न तो किसी प्रकार की स्पेसक्रॉफ्ट या न ही रॉकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. आइये जानते हैं चिकन नगेट, समोसा, बर्गर और डॉगकॉइन समेत कई चिजें अंतरिक्ष तक कैसे पहुंचायी रही है...
Things Sent To Space, Weather Balloon, Space Kit: इंसानों को जब लगा कि वे अंतरिक्ष तक वे जा सकते है, उन्होंने टेक्नॉलाजी के माध्यम से इसे कर दिखाया. हालांकि, यह काफी खर्चीला होता है. लेकिन, क्या आपको मालूम है केवल इंसान ही नहीं बल्कि बहुत सारे सामान भी अंतरिक्ष तक पहुंचाए जा रहे है. इसके लिए न तो किसी प्रकार की स्पेसक्रॉफ्ट या न ही रॉकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. आइये जानते हैं चिकन नगेट, समोसा, बर्गर और डॉगकॉइन समेत कई चिजें अंतरिक्ष तक कैसे पहुंचायी रही है…
वेदर बैलून से अंतरिक्ष में पहुंच रही सामग्रियां
दाअसल, कई आम सामग्रियों को भी बिना किसी रॉकेट के आसानी और किफायती रूप से अंतरिक्ष तक वेदर बैलून के द्वारा पहुंचाया जा रहा है.
किसने और कैसे की इसकी खोज
इस तरकीब की खोज सबसे पहले ब्रिटिश मैकेनिकल इंजीनियर क्रिस रोज और एलेक्स बेकर की कंपनी सेंट इंटू स्पेस द्वारा की गयी. उन्होंने सर्वप्रथम 2010 के दिसंबर महीने में ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट Ebay से एक लैटेक्स रब्बर का आकाश में उड़ने वाला मौसम वाला गुब्बारा खरीदा और इसमें एक सैटेलाइट ट्रैकर लगाकर इसे आकाश में छोड़ा. फिर इसकी जर्नी को यूट्यूब में अपलोड भी किया. दरअसल, क्रिस और बेकर शेफील्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंड के पूर्व पीएचडी छात्र भी रह चुके हैं.
उन्होंने 17 दिसंबर, 2010 को डर्बीशायर के एक हिस्से एशबोर्न से अपनी क्रिएटिविटी को अंजाम देना शुरू किया. मौसम के गुब्बारे में उन्होंने कैमरे व अन्य उपकरण जोड़ उसे अंतरिक्ष में भेजा. इस वीडियो को उन्होंने बाद में यूट्यूब में भी अपलोड किया. जिसे देख बाद में कई कंपनियां उनके संपर्क में भी आयी.
अंतरिक्ष में कैसे भेजी जा रही आम चीजें
अंतरिक्ष में आम सामग्रियों को भेजने में क्रिस रोज और एलेक्स बेकर की तरकीब को अपनाया जा रहा है. किसी भी चीज को भेजने के लिए एक लांच किट तैयार किया जाता है. जिसमें मौसम वाला गुब्बारा, पैराशूट, पेलोड के लिए कंटेनर, ट्रैकिंग डिवाइस और एक कंप्यूटर सिस्टम जीपीएस से जुड़ा होता है. जो गुब्बारे की ऊंचाई, उस पर पड़ रहे दबाव, आर्द्रता व तापमान समेत अन्य जानकारियां रिकॉर्ड करता है. इस गुब्बारे में हीलियम गैस भरा जाता है.
जो अपनी अधिकतम ऊंचाई पर जाकर ब्लास्ट कर जाता है और वहां पैराशूट खुल जाता है और पेलोड में रखे कैमरे व अन्य सामग्रियों को लेकर वापस आ जाता है.
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कैसे भेजा जा सकता है अंतरिक्ष पर सामान
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गुब्बार तब ही भेजा जा सकता है जब मौसम उसके अनुकूल हो.
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इसे भेजने के लिए स्थानीय नागरिक उड्डयन प्राधिकरण से परमिशन जरूरी होती है.
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इसकी रिकॉर्डिंग सही तरीके से डाटा सही प्राप्त हो इसके लिए कैमरे व अन्य उपकरण को ठीक से लगाने की जरूरत होती है.
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जहां गुब्बारे को भेजना है उसकी जगह को तय करना होता है.
Posted By: Sumit Kumar Verma