केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि सरकार अत्याधुनिक प्रतिस्पर्धी प्रणालियां विकसित करने में उद्योग का समर्थन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध और तैयार है. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत के पास एक रोमांचक अवसर है और उस अवसर को उपयोगी बनाने के लिए उसे व्यावसायिक और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकी विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
‘डिजिटल इंडिया रिक्स-वी सिम्पोजियम’ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है कि डीआईआर-वी (डिजिटल इंडिया रिस्क-वी) माइक्रोप्रॉसेसर भारतीय आईएसए (इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर) है, और हम अत्याधुनिक प्रतिस्पर्धी सिस्टम विकसित करने में उद्योग का समर्थन करने के लिए तैयार हैं.
भारत सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत माइक्रोप्रॉसेसर बनाने के लिए डिजिटल इंडिया रिस्क-वी माइक्रोप्रॉसेसर कार्यक्रम शुरू किया है. रिस्क का मतलब ‘अल्प निर्देश सेट कंप्यूटर’ और ‘वी’ का मतलब पांचवीं पीढ़ी से है. रिस्क-वी परियोजना 2010 में शुरू हुई थी.
डिजिटल इंडिया RISC-V माइक्रोप्रॉसेसर कार्यक्रम क्या है?
डिजिटल इंडिया RISC-V माइक्रोप्रॉसेसर कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य भारत को RISC-V माइक्रोप्रोसेसरों के क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनाना है. इस कार्यक्रम के तहत, भारत सरकार RISC-V माइक्रोप्रोसेसरों के विकास और विनिर्माण के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगी, साथ ही इस क्षेत्र में उद्योग और शिक्षा के बीच सहयोग को बढ़ावा देगी.
‘आरआईएससी’ का अर्थ है ‘रिड्यूस्ड इंस्ट्रक्शन सेट कंप्यूटर’ और ‘वी’ का अर्थ है पांचवीं पीढ़ी. RISC-V एक खुला और मुक्त स्रोत माइक्रोप्रॉसेसर आर्किटेक्चर है, जो इसे अनुकूलन और नवाचार के लिए एकदम सही बनाता है. RISC-V माइक्रोप्रॉसेसर का उपयोग विभिन्न प्रकार के उपकरणों में किया जा सकता है, जिसमें स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप, सर्वर और सेंसर शामिल हैं.
डिजिटल इंडिया RISC-V माइक्रोप्रॉसेसर कार्यक्रम भारत को RISC-V माइक्रोप्रॉसेसरों के क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनाकर देश के डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा. इस कार्यक्रम से भारत को नए उद्योगों और रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी, और देश को एक आत्मनिर्भर और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी.
यह कार्यक्रम भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस कार्यक्रम से भारत को RISC-V माइक्रोप्रॉसेसरों के क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनने में मदद मिलेगी, और देश के डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.