![Vehicle Scrapping: ऑटोमोबाइल डीलरों को वाहन स्क्रैपिंग सुविधाएं खोलनी चाहिए, गडकरी ने दिया सुझाव 1 Undefined](https://cdnimg.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/Prabhatkhabar/2023-09/f0bfbf67-eef9-4474-83ad-93750b1daf5a/20210119053316_Scrappage_policy.jpg)
इससे पूर्व गडकरी ने कहा था कि सरकार हर जिले में तीन पंजीकृत वाहन कबाड़ सुविधाएं या केंद्र खोल सकती है. इस नीति के तहत, व्यक्तिगत वाहनों को 20 साल बाद और वाणिज्यिक वाहनों को 15 साल बाद स्वचालित फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा.
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गडकरी ने कहा कि वाहन डीलर भारत को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि भारत यात्री वाहनों का चौथा सबसे बड़ा निर्माता और वाणिज्यिक वाहनों का छठा सबसे बड़ा निर्माता है.
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मारुति सुजुकी और टाटा मोटर्स सहित कुछ ऑटो निर्माताओं ने पहले ही देश भर में अपने व्हीकल स्क्रैपिंग सेंटर (वाहन स्क्रैपिंग केंद्र) शुरू कर दिए हैं. हालांकि, देशभर में वाहन स्क्रैपिंग केंद्रों की संख्या पुराने वाहनों की संख्या की तुलना में बहुत कम है जिन्हें स्क्रैप करने की जरूरत है
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गडकरी ने आगे कहा कि वाहन स्क्रैपिंग नीति से ऑटोमोबाइल की बिक्री 18 प्रतिशत बढ़ जाएगी. उनका मानना है कि कबाड़ हुए वाहनों से मिले कच्चे माल का इस्तेमाल करने से कच्चे माल की खरीद पर 33 प्रतिशत लागत की बचत होगी और नए वाहनों की बिक्री में 18-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी.
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अगस्त 2021 में पहली बार पेश की गई वाहन स्क्रैपेज नीति, वाहन प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए पूरे भारत में पुराने और अनफिट वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने पर केंद्रित है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पुराने वाहन नए मॉडलों की तुलना में पर्यावरण को ज्यादा प्रदूषित करते हैं. इस नीति का मकसद 20 वर्ष से ज्यादा पुरानी निजी कारों और 15 वर्ष से ज्यादा पुराने कमर्शियल व्हीकल्स (वाणिज्यिक वाहनों) का पंजीकरण रद्द करना है.
पुराने और अनफिट वाहनों को स्क्रैप करने और उन्हें भारतीय सड़कों पर मॉडर्न और नए वाहनों से बदलने के सरकार द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रम के तहत, प्राथमिक लक्ष्य देश भर में कम कार्बन फुटप्रिंट हासिल करने के लिए अनफिट और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक इकोसिस्टम बनाना है.
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