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आ गया हाइड्रोजन से चलने वाला भारत में एशिया का पहला जेसीबी, नितिन गडकरी ने उठाया पर्दा

बुनियादी ढांचा के विनिर्माण कार्य में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जेसीबी ने हाइड्रोजन से चलने वाले बैकहो लोडर का निर्माण किया है. इसके लिए कंपनी ने 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है.

नई दिल्ली : वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए पेट्रोल-डीजल के वैकल्पिक ईंधन के तौर पर नवीकरणीय ऊर्जा और अन्य प्राकृतिक ईंधनों के इस्तेमाल से चलने वाले वाहनों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है. वाहन निर्माता कंपनियां इलेक्ट्रिक गाड़ियों के अलावा हाइड्रोजन गैस से चलने वाले वाहन भी बना रही हैं. इसी क्रम में जेसीबी पावर सिस्टम्स ने हाइड्रोजन से चलने वाले एशिया का पहला जेसीबी बैकहो लोडर को शोकेस किया है, जिसका उद्घाटन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया है.

कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मील का पत्थर

मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि बुनियादी ढांचा के विनिर्माण कार्य में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जेसीबी ने हाइड्रोजन से चलने वाले बैकहो लोडर का निर्माण किया है. इसके लिए कंपनी ने 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादी ढांचा निर्माण में कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में जेसीबी बैकहो लोडर मील का पत्थर साबित होगा. जेसीबी पावर सिस्टम ने प्रकृति में प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हाइड्रोजन गैस के इस्तेमाल से बैकहो लोडर को विकसित किया है, जो निर्माण साइटों पर आसानी से सामानों को पहुंचा सकता है.

डीजल इंजन की तरह ही करेगा काम

कंपनी की ओर से दावा किया जा रहा है कि हाइड्रोजन से चलने वाला जेसीबी बैकहो लोडर पर भी डीजल इंजन से चलने वाले वाहन की तरह ही काम करेगा. इसके इंजन में ईंधन के तौर पर डीजल के बदले हाइड्रोजन गैस भरी जाएगी. इसका मोटर भी डीजल इंजनों की तरह पावर जेनरेट करेगी, लेकिन इससे कार्बन उत्सर्जित नहीं होगी.

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इलेक्ट्रिक वाहनों के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर

हाइड्रोजन से चलने वाली मशीनों इलेक्ट्रिक वाहनों से तुलना करते हुए जेसीबी ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों बैटरी को चार्ज करने में बिजली की खपत अधिक होती है और इलेक्ट्रिक वाहन दूर-दराज के इलाकों में काम करने के मामले में व्यावहारिक नहीं है. खासकर बड़े उत्खनन में उनसे काम करने थोड़ी कठिनाई होती है और काम के बीच में बैटरी डिस्चार्ज हो जाने के बाद उसे दोबारा चार्ज करने की व्यवस्था भी नहीं हो पाती. ऐसी स्थिति में काम रुक जाता है. उसने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी का वजन इतना अधिक होता है कि उसे कंस्ट्रक्शन साइट से दूसरी जगहों पर ले जाने में भी दिक्कत होती है. ऐसी स्थिति में हाइड्रोजन ही एकमात्र ऐसा विकल्प है, जिसके इस्तेमाल से जेसीबी जैसे भारी वाहन में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

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शून्य-कार्बन समाधान हाइड्रोजन की भूमिका अहम

बताते चलें कि प्रकृति में हाइड्रोजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जिसका ईंधन के तौर पर इस्तेमाल की शुरुआत की गई. खासकर, वाहनों में हाइड्रोजन मोटर के इस्तेमाल से व्यावहारिक बनाया जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एक परिचित तकनीक और जटिलता की कमी हाइड्रोजन को ग्राहकों के लिए एक आदर्श शून्य-कार्बन समाधान बनाती है, जिसकी मांग हमारी मौजूदा उच्च गुणवत्ता वाली विनिर्माण सप्लाई चेन द्वारा पूरी की जाती है.

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