केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, विदेशों से आवश्यक खनिज संपत्तियों की खरीद और रीसाइक्लि के लिए Critical Mineral Mission की स्थापना की घोषणा की. यह प्रयास अप्रत्यक्ष रूप से देश के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उत्पादन को बढ़ावा देता है, क्योंकि ये खनिज ई-मोबिलिटी और रिन्यूएबल एनर्जी के पीछे प्रेरक शक्ति हैं. इसे लेकर ऑटो इंडस्ट्री से कई प्रतिक्रियाएं सामने आयीं हैं.
एसीएमए की अध्यक्ष और सुब्रोस की सीएमडी श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा, “लीथियम, कॉपर, कोबाल्ट, निकल आदि जैसे महत्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क को शून्य करने से देश में सेल निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और देश के विकसित हो रहे ईवी पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान मिलेगा.”
ओला के संस्थापक भाविश अग्रवाल ने इस रणनीति के बारे में अपनी आशा व्यक्त करते हुए कहा, “क्रिटिकल मिनरल मिशन भारत की एनर्जी ट्रांसफर जर्नी में एक बड़ा बदलाव लाएगा. उन्होंने कहा, महिलाओं के रोजगार पर भी जोर दिया जाना बहुत अच्छा है.”
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बैटरी रीसाइक्लिंग की अग्रणी कंपनी एटेरो का मानना है कि यह नीति भारत को महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भर बना सकती है और वैश्विक रीसाइक्लिंग केंद्र भी बना सकती है. एटेरो के सह-संस्थापक और सीईओ नितिन गुप्ता ने कहा, “वित्त मंत्री द्वारा महत्वपूर्ण खनिज मिशन की घोषणा से उद्योग को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है. 25 महत्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क में छूट से प्रोसेसिंग और रिफाइनिंग क्षेत्रों को काफी बढ़ावा मिलेगा. जिससे भारत दुनिया में रीसाइक्लिंग और महत्वपूर्ण खनिजों का केंद्र बन सकेगा.”
यह कार्यक्रम न केवल ईवी उद्योग के विस्तार को बढ़ावा देता है, बल्कि यह भारत की Sustainable Mobility Solutions के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है जो स्वच्छ और Green Transportation Ecosystem की दिशा में सकारात्मक बदलाव लाते हैं.
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न्यूरॉन एनर्जी के सीईओ और सह-संस्थापक प्रतीक कामदार ने कहा, “हम केंद्रीय बजट में लिथियम और कोबाल्ट जैसे आवश्यक खनिजों पर सीमा शुल्क में छूट देने के निर्णय का स्वागत करते हैं. इस महत्वपूर्ण कदम से बैटरी सेल उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं के लिए अधिक सस्ती इलेक्ट्रिक कारें (ईवी) उपलब्ध होंगी.”
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