आना हो तो आओ… पर नहीं बदलेंगे पॉलिसी, Tesla को सरकार की दो टूक

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि Tesla के लिए अलग से पॉलिसी नहीं बनाई जाएगी. कानून और शुल्क संबंधी नियम सभी कंपनियों के लिए एकसमान बनाए जाएंगे.

By KumarVishwat Sen | March 12, 2024 10:36 AM
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह एलन मस्क की टेस्ला (Tesla) के लिए अपनी नीतियों में बदलाव या फिर अलग से कोई नीति नहीं बनाने जा रही है. उसने स्पष्ट कहा है कि भारत के कानून और शुल्क संबंधी नियम दुनिया के सभी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों के लिए एकसमान बनाए जाएंगे. दुनिया की हर इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी का भारत में स्वागत है. टेस्ला सरकार से टैक्स में रियायत चाहती है और इसके लिए वह सरकार पर खुद के लिए अलग से नीति बनाने पर दबाव भी डाल रही है.

टेस्ला के लिए अलग से नहीं बनेगी नीति

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत के दौरान केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट कहा है कि भारत अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला के हिसाब से अपनी नीतियां नहीं बनाएगी. भारत के कानून और शुल्क संबंधी नियम सभी कंपनियों के लिए बनाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार एक मजबूत इलेक्ट्रिक वाहन इको-सिस्टम की जरूरत को भली-भांति समझती है. बैटरी से चलने वाली गाड़ियों के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन कम होने के साथ-साथ क्रूड ऑयल के आयात पर होने वाले खर्च की भी बचत होगी.

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भारत आने से पहले शुल्क में रियायत चाहती है टेस्ला

बताते चलें कि भारत आने से पहले ही एलन मस्क की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला सरकार से शुल्क में रियायत की मांग कर रही है. इससे उसे 40,000 डॉलर से कम कीमत वाली कारों के लिए 70 फीसदी सीमा शुल्क और अधिक कीमत वाली कारों के लिए 100 फीसदी सीमा शुल्क की भरपाई करने में मदद मिलेगी. भारत में गाड़ियों पर उच्च शुल्क लागू है, जिसका मकसद घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है. विदेशी कार विनिर्माताओं के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है.

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पॉलिसी पर काम कर रही है सरकार

बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आगे कहा कि नई नीति को लेकर सरकार कई पहल और पहलुओं पर काम कर रही है. इसके साथ ही, अंतर-मंत्रालयी सलाह और हितकारों के साथ बातचीत जारी है. उन्होंने कहा कि सरकार किसी एक कंपनी या उसके हितों के लिए नीति नहीं बनाती है. सभी अपनी मांग रखने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार उनकी मांग के आधार पर फैसला करेगी.

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