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स्कूल बस में कितने सुरक्षित हैं आपके लाडले, कहीं कोई खतरा तो नहीं? जानें क्या है सेफ्टी रूल

स्कूल बस में अपने बच्चों को चढ़ाते वक्त अभिभावकों को भी कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए. बस खड़ी होने के बाद ही बच्चों को उसमें सवार करें. इसके अलावा, बस ड्राइवर की हरकतों पर हमेशा नजर बनाए रखें.

नई दिल्ली : क्या आप अपने नौनिहालों को रोजाना बस से स्कूल भेजते हैं? जिस बस से आपके बच्चे स्कूल जाते हैं, वह स्कूल की है या फिर कोई प्राइवेट बस है? क्या आपने उस बस के ड्राइवर और स्टाफ से कभी इस बात की जानकारी ली है कि उसके पास गाड़ी चलाने का अनुभव और लाइसेंस है कि नहीं? बस के ड्राइवर को क्या इस बात की जानकारी है कि हाईवे या फिर शहर की छोटी-बड़ी सड़कों पर गाड़ी कैसे चलानी है? कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस बस में आप अपने बच्चे को रोजाना स्कूल भेजते हैं, उसका ड्राइवर कोई अपराधी हो और झूठ बोलकर या फर्जी तरीके से आपके बच्चे की स्कूल बस चला रहा हो? अगर आप इन सभी बातों की जानकारी लिये बिना बस में अपने नौनिहालों को स्कूल भेज रहे हैं, तो कहीं न कहीं आप खतरा मोल लेने के साथ बच्चे के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

अगर आपका बच्चा बस से स्कूल जाता है, तो आपको स्कूल बस की सुरक्षा से जुड़े नियमों की जानकारी रखना बेहद जरूरी है. आपको जानना चाहिए कि स्कूल बस के लिए सुरक्षा नियम क्या हैं? समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइन्स जारी करता रहता है. इसके अलावा, सरकारें और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से भी स्कूली बसों की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइन्स जारी की जाती हैं. आइए, स्कूल पर सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स के बारे में जानते हैं.

क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, स्कूल बस पीले रंग से पेंट होनी चाहिए. इसके साथ ही, बस के आगे और पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो. सभी खिड़कियों के बाहर लोहे की ग्रिल होनी चाहिए. बस में अग्निशमन यंत्र लगा हो, जिससे आग लगने की स्थिति में तत्काल कार्रवाई हो सकें. स्कूल बस के पीछे स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए. दरवाजे में ताला लगा हो और सीटों के बीच पर्याप्त जगह होनी चाहिए. इसके आलावा, चालक को कम से कम पांच साल का वाहन चलाने का अनुभव हो. ड्राइवर के पास लाइसेंस और ट्रांसपोर्ट परिमट होना चाहिए.

अभिभावकों के लिए जरूरी दिशानिर्देश

स्कूल बस में अपने बच्चों को चढ़ाते वक्त अभिभावकों को भी कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए. बस खड़ी होने के बाद ही बच्चों को उसमें सवार करें. इसके अलावा, बस ड्राइवर की हरकतों पर हमेशा नजर बनाए रखें. सबसे अहम बात यह है कि इसका बात का ध्यान रखें कि कहीं ड्राइवर नशे में तो नहीं है. बस में हेल्पर के साथ स्कूल की ओर से एक जिम्मेदार शख्स की तैनाती करनी होती है, जिसकी बच्चों को बस में चढ़ाते और उतारते वक्त अहम जिम्मेदारी होती है. अगर यह जिम्मेदार बस में नहीं है, तो अभिभावकों को इसकी तत्काल शिकायत स्कूल प्रबंधन से करनी चाहिए. इसके साथ ही, अभिभावकों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बस के अंदर बच्चों को बैठने की जगह मिलती हैं या नहीं. बस में सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं.

स्कूल वैन से जुड़े क्या हैं नियम

स्कूल वैन के सुरक्षा नियम भी करीब-करीब स्कूल बस की तरह ही हैं, मगर विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ अभिभावक प्राइवेट वैन के जरिए बच्चों को स्कूल भेजते हैं, जो काफी खतरनाक होता है. इसका कारण यह है कि प्राइवेट वैन के ड्राइवर के पास न तो कोई परमिट होता है और न ही हादसा होने के बाद उसकी कोई जवाबदेही तय हो पाती है. ऐसे में अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि प्राइवेट वैन की जगह स्कूल बस या वैन के जरिए ही अपने बच्चे कतो स्कूल भेजें. उनका यह भी कहना है कि स्कूल वैन में हादसे की सबसे बड़ी वजह होती है वैन की क्षमता से ज्यादा बच्चों को बैठाना, मगर कभी-कभी अभिभावक प्राइवेट वैन का किराया कम होने के चलते इस बड़ी लापरवाही को नजरअंदाज कर देते हैं. इसका खामियाजा उनके बच्चों को भुगतना पड़ सकता है.

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बच्चों की सुरक्षा के लिए खास बातें

  • बसों के आगे-पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए.

  • स्कूली बसों में फर्स्ट एड बॉक्स का होना जरूरी है.

  • प्रत्येक बसों में आग बुझाने के उपकरण होने चाहिए और नहीं है तो उसे लगाना जरूरी है.

  • अगर किसी स्कूल प्रबंधन की ओर से किसी एजेंसी से बस अनुबंध पर ली गई है, तो उस पर ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ लिखी होनी चाहिए.

  • बसों में सीट क्षमता से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए.

  • प्रत्येक स्कूल बस में हॉरिजेंटल ग्रिल लगे हों.

  • स्कूल बस पीले रंग का हो, जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम और फोन नंबर होना जरूरी है.

  • बसों के दरवाजे को अंदर से बंद करने की व्यवस्था होनी चाहिए.

  • बस में सीट के नीचे बैग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए.

  • बसों में स्कूल के शिक्षकों का होना जरूरी है, जो बच्चों पर नजर रख सकें.

  • प्रत्येक बस चालक को कम से कम 5 साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव हो.

  • किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका सत्यापन कराने की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की है.

  • एक बस में कम से कम दो चालकों का होना जरूरी है.

  • चालक का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज हो.

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