कारों में छह एयरबैग लगाना नहीं है जरूरी, नितिन गडकरी ने कहा, नियम को अनिवार्य नहीं बनाएगी सरकार

नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान कारों में छह एयरबैग के मामले पर सरकार का रुख साफ करते हुए कहा कि हम कारों के लिए छह एयरबैग का नियम अनिवार्य नहीं बनाना चाहते हैं. एयरबैग किसी दुर्घटना की स्थिति में यात्री को वाहन के ठोस हिस्सों से सीधी टक्कर से बचाने में अहम भूमिका निभाता है.

By KumarVishwat Sen | September 14, 2023 6:41 AM
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नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि पैसेंजर कारों में छह एयरबैग्स को लगाना जरूरी नहीं है, क्योंकि सरकार कारों में छह एयरबैग के नियमों को अनिवार्य नहीं करने जा रही है. हालांकि, सरकार ने पिछले साल पैसेंजर व्हीकल्स में छह एयरबैग अक्टूबर, 2023 से अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा था. यह सुरक्षात्मक कदम सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का आंकड़ा कम करने के लिए उठाया गया था. मीडिया की रिपोर्ट में बताया ऑटोमोबाइल कंपनियों इसके अनुपालन को अनिवार्य किए जाने के पक्ष में नहीं थीं. उनका कहना था कि छह एयरबैग को अनिवार्य करने से खासकर छोटी कारों की लागत बढ़ जाएगी.

कारों में छह एयरबैग के नियम को अनिवार्य नहीं बनाना चाहती सरकार

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कारों में छह एयरबैग के मामले पर सरकार का रुख साफ करते हुए कहा कि हम कारों के लिए छह एयरबैग का नियम अनिवार्य नहीं बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि एयरबैग किसी दुर्घटना की स्थिति में यात्री को वाहन के ठोस हिस्सों से सीधी टक्कर से बचाने में अहम भूमिका निभाता है. हादसे की स्थिति में यह गुब्बारे की तरह खुलकर यात्री को सीधी टक्कर से रोकता है.

एक साल पहले सरकार ने पुराने नियमों में किया था संशोधन

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले साल एक बयान में कहा था कि मोटर वाहनों को यात्रियों के लिए अधिक सुरक्षित बनाने को सुरक्षा खासियतों को बढ़ाने का फैसला किया गया है. इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन भी किए गए. कारों की अगली दोनों सीट के लिए एयरबैग को एक अप्रैल, 2021 से ही अनिवार्य किया जा चुका है.

कारों में एयरबैग क्यों है जरूरी

एयरबैग का उपयोग करने का उद्देश्य कार में बैठने वालों के शरीर को सुरक्षा प्रदान करना है. यह स्टीयरिंग व्हील या डैशबोर्ड जैसी जगहों पर लगा होता है, ताकि कार में बैठा व्यक्ति सीधे स्टेयरिंग या डैशबोर्ड से न टकराए. एयरबैग दोनों फ्रंट और साइड से सुरक्षित रखने का काम करते हैं.

एयरबैग कैसे करता है काम

एयरबैग में इन्फ्लेटर सोडियम अजाइड नामक केमिकल भरा होता है. जब कार किसी चीज से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त होती है, तब कार के बंपर में लगा एक सेंसर ( जो सीधे एयरबैग से जुड़ा होता है ) करंट को एयरबैग में पहुंचता है और कार के टकराने की स्पीड के अनुसार कार का एयरबैग खुल जाता है. तब यह केमिकल नाइट्रोजन गैस पैदा करता है, जिससे एयरबैग फूल जाता है और कार टकराने या पलटने की स्तिथि में आपका शरीर झटका खाकर एयरबैग से टकराता है. इससे आपकी जान बचने या कम चोट लगने की सम्भावना बढ़ जाती है, लेकिन सेंसर के द्वारा सन्देश मिलते ही एयरबैग कुछ मिलीसेकंड्स में ही खुल जाते हैं. इससे एयरबैग के साथ शरीर के टकराने से भी आपके हाथ की कलाई, उंगलयों चेहरे आदि की हड्डियों में फ्रैक्चर आने की भी सम्भावना बनी रहती है.

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कार में कितने एयरबैग है जरूरी

अभी तक ऐसा कोई फिक्स क्राइटेरिया नहीं था. कंपनियां कार के मॉडल के अनुसार एयरबैग लगाती थीं, लेकिन हाल ही में सभी कार निर्माता कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि अब कारों में एयरबैग की संख्या 6 से काम नहीं होनीं चाहिए. हालांकि, महिंद्रा एक्सयूवी 700 और इनोवा क्रिस्टा जैसी कारों में एयरबैग की संख्या 7 है.

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