Smart Mobile Phone: स्मार्ट फोन (Smart Phone)आज किसी की भी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. सुबह उठने से लेकर देर रात बिस्तर पर सोने वक्त सेल फोन हमारे साथ रहता है. विभिन्न कंपनियों के नये नये फीचर वाले स्मार्ट (Featured Smart Phone) फोन की तरफ हर किसी का भी रूझन रहता है. और हर कोई इन आकर्षक फोन को खरीदने की कोशिश करता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उन्नत फीचर्स और चमक वाले यही फोन हमें अंधेरे की तरफ भी ले जा सकते हैं.
जी हां, सुसने में भले ही अटपटा लगे लेकिन ये बात सोलह आने सच है. रंगीन चमक वाले यह फोन हमारे स्वास्थय पर तो प्रतिकूल प्रभाव डालते ही है, हमारी आंखों को भी खासा नुक्सान पहुंचाते है. फोन की ब्लू लाइट लगातार आंखों पर पड़ने से हमारी रेटिना पर इसका बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इससे आंखों की देखने की शक्ति कम होती जाती है. इससे मैक्यूलर डिजनरेशन नाम की बीमारी हो जाती है. जो फिलहाल लाइलाज है.
रात में मोबाईल चलाना ज्यादा हानिकारक : रात को बिस्तर पर लेटे मोबाईल चलाने का सबसे ज्यादा हानिकारण प्रभाव हमारी आंखों पर पड़ता है. लगातार तीखी चमक पड़ने से आंखों की रौशनी धुधंली होती जाती है. ताजा शोधों से यह पता चला है कि अगर अंधेरे कमरे में घंटों तक मोबाइल का इस्मेमाल किया जाये तोआंखों के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है.
एक भारतीय स्मार्टफोन पर रोजाना कितने घंटे बिताते हैं : भारतीय स्मार्टफोन पर प्रतिदिन औसतन सात घंटे बिताते हैं. कोरोना महमारी के दौरान स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ा है. सीएमआर के एक अध्ययन में कहा गया है कि भारतीयों द्वारा स्मार्टफोन के इस्तेमाल में करीब 25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. लोग अपनी जरूरत के हिसाब से इन गैजेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह अध्ययन हैंडसेट कंपनी वीवो ने कराया है.
84 फीसदी लोग उठते ही देखते हैं फोन : वीवो इंडिया के निदेशक निपुन मार्या ने कहा कि स्मार्टफोन एक ‘एडिक्शन’ भी बन रहा है. अध्ययन के दौरान 84 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि वे सुबह उठने के बाद पहले 15 मिनट में अपना फोन देखते हैं. 46 प्रतिशत ने कहा कि वे दोस्तों के साथ एक घंटे की बैठक के दौरान कम से कम पांच बार अपना फोन उठाते हैं.
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Posted by : Pritish Sahay