सोशल मीडिया पर इंफ्लुएंसर्स कर रहे विज्ञापन, फूड से लेकर फैशन एंडोर्समेंट से हो रही कमाई

social media influencers endorsements earning - मूल्यांकन सलाहकार फर्म क्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वर्ष में भारतीय ब्रांडों ने अपनी इंफ्लुएंसर मार्केटिंग पर खर्च दोगुना कर दिया. इतना ही नहीं, पिछले एक वर्ष में एक तिहाई भारतीय ब्रांडों ने सोशल मीडिया इफ्लुएंस पर अपना खर्च दोगुना कर दिया है.

By Rajeev Kumar | August 16, 2023 5:44 PM

social media influencers endorsements earning – आज से पांच साल पहले किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा समय भी आयेगा जब आप कुछ न करते हुए भी बहुत कुछ करेंगे और पैसे भी कमायेंगे. बात चाहे यात्राओं की हो या खानपान की या फिर फैशन की, देश-विदेश की बड़ी कंपनियां ऐसे लोगों को, जो इंटरनेट पर ज्यादा फॉलोअर रखते हैं, अपने प्रोडक्ट के विज्ञापन के लिए पैसे दे रही हैं और उनके खर्चे भी उठा रही हैं.

मूल्यांकन सलाहकार फर्म क्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वर्ष में भारतीय ब्रांडों ने अपनी इंफ्लुएंसर मार्केटिंग पर खर्च दोगुना कर दिया. इतना ही नहीं, पिछले एक वर्ष में एक तिहाई भारतीय ब्रांडों ने सोशल मीडिया इफ्लुएंस पर अपना खर्च दोगुना कर दिया है.

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भारत में सोशल मीडिया की कंटेंट क्रिएटर इंडस्ट्री 25 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है. आज भारत में लगभग आठ करोड़ कंटेंट क्रिएटर हैं, जिनमें वीडियो स्ट्रीमर्स, इंफ्लुएंसर्स और ब्लॉगर्स शामिल हैं.

डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी आईक्यूब्सवायर के शोध से पता चलता है कि लगभग 35 प्रतिशत ग्राहकों के खरीदारी के निर्णय सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स के पोस्ट, रील्स और वीडियो देखकर लिये जा रहे हैं.

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सोशल मीडिया विज्ञापन का एक अपरंपरागत माध्यम है, जो बाकी सारे मीडिया से अलग है. यह एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है, जिसे उपयोग करने वाला व्यक्ति सोशल मीडिया के फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे किसी प्लैटफॉर्म का उपयोग कर किसी भी इंटरनेट यूजर तक पहुंच बना सकता है.

सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ऐसा व्यक्ति होता है जिसके विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर काफी सारे फॉलोअर होते हैं, और वह अपनी इस लोकप्रियता का इस्तेमाल विभिन्न तरह के उत्पाद बेचने में करता है. इसमें निवेश पर लाभ दूसरे विज्ञापन माध्यमों से अधिक है.

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भारत में फिलहाल इंटरनेट बाजार में पर्याप्त संभावनाएं हैं, इसलिए अभी सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर का यह दौर चलेगा. लेकिन, उन्हें लेकर कुछ चिंताएं भी हैं, जैसे तथ्यों का गलत प्रस्तुतीकरण, इनसे बचने के लिए इंफ्लुएंसर मार्केटिंग उद्योग के विनियमन की आवश्यकता बतायी जा रही है.

केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने जनवरी में इस संबंध में दिशानिर्देशों को ग्राहक हितों की रक्षा के लिए जरूरी बताया था. किसी भी भ्रामक विज्ञापन या दिशानिर्देशों को नहीं मानने पर 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

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लगातार अवमानना पर यह राशि 50 लाख रुपये तक जा सकती है. साथ ही, दो से छह महीने तक किसी भी ब्रांड को एंडोर्स करने से रोका जा सकता है. उस प्लैटफॉर्म को ब्लॉक करने की कार्रवाई भी संभव है.

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