23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Supreme Court AGR Verdict का असर, महंगे हो जाएंगे मोबाइल कॉलिंग और डेटा प्लान्स

Reliance, Airtel, AGR Dues Payment, Supreme Court, AGR, Telecom Companies: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि चुकाने के लिए उन्हें 10 साल का समय दिया है. एजीआर कहने और सुनने में भले ही एक जटिल मुद्दा लगे, लेकिन आनेवाले दिनों में इसका असर हम ग्राहकों पर पड़ेगा.

Reliance, Airtel, AGR Dues Payment, Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि चुकाने के लिए उन्हें 10 साल का समय दिया है. एजीआर कहने और सुनने में भले ही एक जटिल मुद्दा लगे, लेकिन आनेवाले दिनों में इसका असर हम ग्राहकों पर पड़ेगा.

किस बात पर था विवाद?

सबसे पहले आपको बता दें कि एजीआर का फुल फॉर्म होता है एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू. यह सरकार और टेलीकॉम कंपनियों के बीच का फी-शेयरिंग मॉडल है. तो इस विवाद की जड़ एजीआर की परिभाषा थी. इसी के समाधान के लिए मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. सरकार की मंशा थी कि एजीआर में टेलीकॉम कंपनियों की सभी रेवेन्यू शामिल हो, वहीं टेलीकॉम ऑपरेटर सिर्फ कोर सर्विसेज से मिलने वाली रेवेन्यू का हिस्सा देना चाहते थे. 24 अक्तूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि एजीआर की परिभाषा वही होगी, जो सरकार कह रही है. इसका मतलब यह हुआ कि टेलीकॉम कंपनियों की सभी रेवेन्यू एजीआर में शामिल हो गई.

किसपर कितना बकाया?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियों से 1.69 लाख करोड़ रुपये का बकाया वसूला जाना था. इसमें 26 हजार करोड़ रुपये दूरसंचार विभाग को मिल गए हैं. मार्च 2020 में एयरटेल पर करीब 26 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं. वोडाफोन-आइडिया पर 55 हजार करोड़ और टाटा टेलीसर्विसेज पर लगभग 13 हजार करोड़ रुपये बकाया है. जियो पर 195 करोड़ रुपये बकाया निकला था, लेकिन अब कुछ बकाया नहीं है.

Also Read: Jio, Airtel और Vodafone के इन प्लान्स में हर दिन 2GB डेटा के साथ मिलेंगे ये बेनिफिट्स

टेलीकॉम कंपनियां बकाया कैसे चुकाएंगी?

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इकरा की मानें, तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने पर टेलीकॉम कंपनियों को 31 मार्च 2021 तक नौ हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. फरवरी 2031 तक हर साल 12 हजार करोड़ रुपये चुकाने होंगे. 31 मार्च 2019 को इन कंपनियों पर 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो मार्च 2020 तक घटकर 4.4 लाख करोड़ रुपये रह गया है. एजीआर भुगतान करने में कंपनियों को अतिरिक्त फंड जुटाना होगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरटेल ने एजीआर भुगतान का प्लान पहले ही बना लिया है. वहीं, वोडाफोन-आइडिया पर सबसे ज्यादा कर्ज में हैं.

आपकी जेब पर भी पड़ेगा असर

जी हां, टेलीकॉम कंपनियों के एजीआर भरने में हमारी आपकी और आम आदमी की जेब पर असर पड़ेगा. इसे ऐसे समझें कि अभी भारत में प्रति यूजर औसत राजस्व यानी एआरपीयू दुनिया में सबसे कम, यानी लगभग 85 रुपये है. वोडाफोन-आइडिया को अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए एआरपीयू 120 रुपये तक पहुंचाना पड़ेगा. इसका मतलब साफ है. पिछले साल दिसंबर में जियो सहित सभी टेलीकॉम कंपनियों ने मोबाइल शुल्कों में बढ़ोतरी की थी. जल्द ही टेलीकॉम कंपनियां फिर ऐसा कर सकती हैं.

भारतीय टेलीकॉम जगत के लिए अच्छा नहीं होगा

बाजार के जानकारों का मानना है कि अगर वोडाफोन-आइडिया की हालत और खराब हुई, तो यह भारतीय टेलीकॉम जगत के लिए अच्छा नहीं होगा. उसके बंद होने के बाद सिर्फ दो निजी कंपनियां- जियो और एयरटेल ही रह जाएंगी. और यह स्थिति​ उपभोक्ताओं के लिए बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती.

Also Read: Jio vs Airtel vs Vodafone: 199 रुपये वाले सस्ते रिचार्ज प्लान, किसमें फायदा ज्यादा?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें