Gudi Padwa: टाटा मोटर्स ने 712 EV, क्लासिक लीजेंड ने 500 मोटरसाइकलें बेची

टाटा मोटर्स ने गुड़ी पड़वा के अवसर पर शनिवार को महाराष्ट्र और गोवा में 712 इलेक्ट्रिक वाहनों की आपूर्ति की. क्लासिक लीजेंड्स ने भी गुड़ी पड़वा के शुभ अवसर पर 500 जावा और येज्डी मोटरसाइकिलों की आपूर्ति की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2022 5:57 PM

Gudi Padwa , Tata Motors , Classic Legends : घरेलू वाहन विनिर्माता टाटा मोटर्स ने गुड़ी पड़वा के अवसर पर शनिवार को महाराष्ट्र और गोवा में 712 इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की आपूर्ति की. टाटा मोटर्स ने एक बयान में कहा कि महाराष्ट्र के लोकप्रिय त्योहार के मौके पर उसने 564 नेक्सॉन ईवी और 148 टिगोर कारों की बिक्री की.

टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विपणन, बिक्री और सेवा रणनीति प्रमुख विवेक श्रीवास्तव ने कहा, महाराष्ट्र और गोवा के ग्राहकों को एक ही दिन में 712 इलेक्ट्रिक वाहनों की आपूर्ति करना एक ऐसा अवसर है जिसे लेकर हम बहुत उत्साहित हैं.

इसके अलावा दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी क्लासिक लीजेंड्स ने भी गुड़ी पड़वा के शुभ अवसर पर 500 जावा और येज्डी मोटरसाइकिलों की आपूर्ति की है. क्लासिक लीजेंड्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशीष सिंह जोशी ने कहा, इस शुभ दिन पर हम अपने उत्साहित ग्राहकों को जावा और येज्डी मोटरसाइकिलों की चाबियां सौंपकर उनके उत्सव में रंग भरकर खुशी महसूस कर रहे हैं.

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गुड़ी पड़वा का महत्व

मान्यता है कि गुड़ी पड़वा के ही दिन ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना हुई थी. वहीं, इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी मानी जाती है. इस दिन मां दुर्गा और श्री राम भगवान की विधि-विधान से पूजा की जाती है. शुभत्व के लिए इस दिन घर के बाहर आम के पत्तों का तोरण लगाने और चर्म रोग से निजात पाने के लिए खाली पेट पूरन पोली का सेवन करने की मन्यता है.

गुड़ी पड़वा से जुड़ी पौराणिक कथा

दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा का त्योहार काफी लोकप्रिय है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन था. जब भगवान श्री राम को पता चला कि लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है, तो उनकी तलाश करते हुए जब वे दक्षिण भारत पहुंचे तो यहां उनकी उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई. सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन से अवगत कराते हुए उनकी सहायता करने में अपनी असमर्थता जतायी. इसके बाद भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया. मान्यता है कि वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का था. इसी कारण इस दिन गुड़ी यानी विजय पताका फहरायी जाती है. (इनपुट : भाषा)

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