नई दिल्ली : भारत की वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) की फोर व्हीलर यात्री इलेक्ट्रिक वाहन यूनिट महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल लिमिटेड में सिंगापुर की सरकारी निवेश कंपनी टेमासेक 1,200 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. कंपनी ने गुरुवार को शेयर बाजार को दी गई जानकारी में बताया कि महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल लिमिटेड (एमईएएल) में 1,200 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए टेमासेक के साथ एक पक्का समझौता किया है. इस लिहाज से इलेक्ट्रिक वाहन इकाई का मूल्यांकन 80,580 करोड़ रुपये बैठता है. एमएंडएम के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अनीश शाह ने कहा कि टेमासेक का निवेश इलेक्ट्रिक एसयूवी को लेकर उनकी रणनीति को लागू करने की दिशा में एक और कदम है.
रेवा इलेक्ट्रिक कार के नाम से जानी जाती थी महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल
महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल लिमिटेड को पहले रेवा इलेक्ट्रिक कार कंपनी के नाम से जाना जाता था. इसका मुख्यालय बैंगलोर में स्थित है. महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रिक वाहनों के डिजाइन और निर्माण में शामिल है. कंपनी का पहला वाहन रेवाi इलेक्ट्रिक कार थी, जो 26 देशों में उपलब्ध थी. मार्च 2011 के मध्य तक इसके 4,000 से अधिक विभिन्न मॉडल दुनिया भर में बेचे गए थे.
महिंद्रा ने 2010 में किया था अधिग्रहण
भारत की वाहन निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने मई 2010 में रेवा इलेक्ट्रिक का अधिग्रहण किया गया था. अधिग्रहण के बाद कंपनी ने 2013 में इलेक्ट्रिक हैचबैक e2o लॉन्च किया था. आज कंपनी विभिन्न खंडों में इलेक्ट्रिक वाहन बेचती है. इनमें इलेक्ट्रिक सेडान ईवेरिटो, इलेक्ट्रिक वाणिज्यिक वाहन ईसुप्रो (यात्री और कार्गो) और कम रखरखाव लिथियम-आयन बैटरी चालित तिपहिया वाहनों की ट्रेओ रेंज शामिल है. हाल ही में महिंद्रा इलेक्ट्रिक अपने बेड़े में 170 मिलियन किलोमीटर की यात्रा करने वाली पहली भारतीय कार निर्माता बन गई.
1994 में रेवा इलेक्ट्रिक की हुई थी स्थापना
रेवा इलेक्ट्रिक कार कंपनी (आरईसीसी) की स्थापना वर्ष 1994 में चेतन मैनी द्वारा बेंगलुरु के मैनी ग्रुप और अमेरिका के अमेरिगॉन इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजीज (एईवीटी इंक) के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में की गई थी. कंपनी का एकमात्र उद्देश्य एक किफायती कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रिक कार का विकास और उत्पादन करना था. कई अन्य वाहन निर्माताओं न भी ऐसा करने का लक्ष्य बना रहे थे, तब लेकिन 2001 में आरईसीसी ने REVA को लॉन्च किया था. रेवा रिवोल्यूशनरी इलेक्ट्रिक व्हीकल अल्टरनेटिव का संक्षिप्त नाम है.
जब कंपनी ने चार्जर किया निर्माण
रेवा कार के लिए घटक विकसित करने के लिए आरईसीसी ने कई ऑटोमोटिव विशेषज्ञों के साथ हाथ मिलाया. यूएसए के कर्टिस इंस्ट्रूमेंट्स इंक ने विशेष रूप से कार के लिए एक मोटर कंट्रोलर विकसित किया. कार में एक पावर पैक था, जिसके लिए ट्यूडर इंडिया लिमिटेड ने अनुकूलित प्रेस्टोलाइट बैटरी की आपूर्ति की थी. रेवा के लिए चार्जर यूएसए के मॉड्यूलर पावर सिस्टम्स (टीडीआई पावर का एक प्रभाग) द्वारा विकसित किया गया था. बाद में आरईसीसी ने एमपीएस और मैनी ग्रुप के बीच एक तकनीकी सहयोग समझौते के माध्यम से चार्जर का निर्माण स्वयं शुरू किया.
2008 में लॉन्च की गई REVAi
वर्ष 2004 में यूके के गोइनग्रीन ने रेवा कारों को आयात करने और उन्हें G-Wiz उपनाम के तहत बेचने के लिए आरईसीसी के साथ एक समझौता किया. वर्ष 2008 में रेवा का एक नया मॉडल लॉन्च किया गया, जिसे REVAi कहा गया. कंपनी ने 2009 में रेवा एल-आयन नामक लिथियम-आयन मॉडल का उत्पादन शुरू किया. इसके बाद 2009 में फ्रैंकफर्ट मोटर शो में रेवा ने अपने भविष्य के मॉडल रेवा एनएक्सआर और रेवा एनएक्सजी प्रस्तुत किए. कार्यक्रम के दौरान रेवा और जनरल मोटर्स इंडिया ने भारतीय बाजार के लिए किफायती ईवी विकसित करने के लिए तकनीकी सहयोग की घोषणा की. इसके परिणामस्वरूप जनरल मोटर्स इंडिया ने नई दिल्ली ऑटो एक्सपो 2010 में अपनी हैचबैक के एक इलेक्ट्रिक मॉडल की घोषणा की, जिसे ई-स्पार्क नाम दिया गया. इसमें रेवा को बैटरी तकनीक प्रदान करनी थी.
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अधिग्रहण के बाद रेवा-जनरल मोटर्स का टूट गया समझौता
26 मई 2010 को भारत की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन और ट्रैक्टर निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा ने रेवा में 55.2 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी. सौदे के बाद कंपनी का नाम बदलकर महिंद्रा रेवा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया. महिंद्रा के ऑटोमोटिव व्यवसाय के अध्यक्ष पवन गोयनका कंपनी के नए अध्यक्ष बने. स्वामित्व परिवर्तन के परिणामस्वरूप जनरल मोटर्स ने रेवा के साथ गठजोड़ से हाथ खींच लिया, जिसे ई-स्पार्क का उत्पादन करना था.