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एप्पल की तर्ज पर भारत में अपना कारोबार बढ़ाएगी टेस्ला, जानें क्या है एलन मस्क का प्लान

नई दिल्ली में सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक में टेस्ला के प्रतिनिधियों ने भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपनी आपूर्ति शृंखला को बढ़ावा देने के लिए चीन के कुछ विक्रेताओं को स्थानीय स्तर पर एक आधार स्थापित करना चाहेगी.

By KumarVishwat Sen | August 2, 2023 1:52 PM

नई दिल्ली : दुनिया के अरबपति उद्योगपति एलन मस्क की अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामान और मोबाइल निर्माता कंपनी एप्पल की तर्ज पर अपना कारोबार बढ़ाना चाहती है. मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, टेस्ला भारत में इलेक्ट्रिक कारों और इसकी बैटरियों के निर्माण के लिए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने और अपना कारोबार शुरू करने की संभावनाओं की तलाश कर रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार निर्माता को भारत सरकार ने तकनीकी दिग्गज ऐप्पल का अनुकरण करने के लिए कहा है, ताकि इसमें शामिल किसी भी चीनी आपूर्तिकर्ता के साथ साझेदारी करने के लिए स्थानीय फर्मों को ढूंढा जा सके. सबसे बड़ी बात यह है कि टेस्ला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एलन मस्क कंपनी के विदेश व्यापार का चीन से बाहर निकालकर विस्तार करना चाहते हैं और भारत के उपभोक्तावादी बाजार पर उनकी नजर काफी समय से टिकी हुई है.

सरकार से चर्चा कर रही है टेस्ला

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह खबर ऐसे समय में आई है, जब अमेरिकी ऑटो प्रमुख लोकल प्रोडक्शन प्लांट स्थापित करने के बारे में कई हफ्तों से भारत सरकार और अधिकारियों के साथ चर्चा कर रही है. सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के अनुसार, टेस्ला भारत में बहुप्रतीक्षित 20 लाख रुपये की कार का उत्पादन करने की तैयारी कर रही है. इस बीच, टेस्ला के सामने सबसे बड़ी चुनौती चीन के आपूर्तिकर्ताओं को भारत में प्रवेश कराने के साथ स्थापित करने की है. जून 2020 के बाद से भारत-चीन की सीमा विवाद के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में खटास पैदा हो गई है, जिसके चलते टेस्ला के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं.

भारत में चीनी कंपनियों की एंट्री मुश्किल

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नई दिल्ली में सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक में टेस्ला के प्रतिनिधियों ने भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपनी आपूर्ति शृंखला को बढ़ावा देने के लिए चीन के कुछ विक्रेताओं को स्थानीय स्तर पर एक आधार स्थापित करना चाहेगी. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जवाब में सरकारी अधिकारियों ने टेस्ला को बताया कि 2020 में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के बाद से चीनी कंपनियों की गहन जांच की गई, जिसके चलते भारत में पूर्ण स्वामित्व वाली चीनी कंपनियों के लिए मंजूरी देना मुश्किल हो सकता है. इससे यह भी पता चलता है कि भारतीय अधिकारियों ने एक समाधान का सुझाव दिया, जिसमें टेस्ला एप्पल के दृष्टिकोण का अनुकरण करेगी. हाल के महीनों में अमेरिकी तकनीकी दिग्गज ने स्थानीय संयुक्त उद्यम भागीदार मिलने के बाद चीनी आपूर्तिकर्ताओं को भारत लाने के लिए मंजूरी प्राप्त की है.

भारत में चाइनीज सप्लायर्स को लाना चुनौती

टेस्ला और इसके सीईओ एलन मस्क ने भारत में स्थानीय उत्पादन सुविधा स्थापित करने में रुचि व्यक्त की है. इसके साथ ही, उम्मीद यह की जा रही है कि कंपनी भारत में अपनी अब तक की सबसे सस्ती कार का उत्पादन करेगी, जिसे देश में बेचा जाएगा और अन्य विदेशी बाजारों में भी निर्यात किया जाएगा. हालांकि, भारत-चीन के बीच भू-राजनीतिक संबंधों में तनाव के कारण टेस्ला के लिए सबसे बड़ी चुनौती चीनी आपूर्तिकर्ताओं को भारत में लाना है.

विदेशी कारोबार में विस्तार करना चाहते हैं एलन मस्क

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क अपने विदेशी कारोबार को चीन से आगे विस्तार करना चाहते हैं, जहां विस्तार के लिए नियामक मंजूरी मिलने में देरी हो रही है. भारत इसके लिए विकल्पों में से एक प्रमुख दावेदार के रूप में आया, क्योंकि देश ने एशिया में नए टेस्ला प्लांट की मेजबानी में अपनी रुचि व्यक्त की है. हालांकि, अगर टेस्ला को भारत में एक प्लांट स्थापित करना है और सस्ती इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन करने के लिए लागत पर नियंत्रण रखना है, तो चीनी आपूर्तिकर्ताओं का मुद्दा गंभीर होने वाला है.

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इलेक्ट्रिक वाहनों के कल-पुर्जे के नहीं मिल रहे सप्लायर

जब इलेक्ट्रिक वाहनों की बात आती है, तो भारत में बैटरी सेल जैसे प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए स्थानीय आपूर्तिकर्ता नहीं हैं. यहां तक ​​कि भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार निर्माता टाटा मोटर्स भी चीन से अपनी ईवी बैटरी का आयात कर रही है. टेस्ला कथित तौर पर अपने चीनी विक्रेता आधार के लिए एक अलग पारिस्थितिकी तंत्र की मांग कर रही है, लेकिन यह केवल केस-टू-केस के आधार पर उन अनुमोदनों का लाभ उठा सकती है, लेकिन शर्त यह है कि यदि भारत में किसी संयुक्त उद्यम की शुरुआत की जा सके.

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