वीआईपी कल्चर पर सरकार का एक और प्रहार, लाल बत्ती के बाद अब सायरन होगा बंद
सुप्रीम कोर्ट ने भी 20 अगस्त 2013 को अपनी एक टिप्पणी में कहा था कि वीआईपी गाड़ियों में लगे सायरन और लाल बत्तियों से ब्रिटिश हुकूमत की झलक मिलती है. जब गृहमंत्री (तत्कालीन) पी चिदंबरम ने इस सुविधा को लेने से इनकार कर दिया, तो फिर मंत्रियों, नौकरशाहों और नेताओं को यह सुविधा क्यों दी जा रही है.
नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार भारत में वीआईपी कल्चर पर एक और प्रहार जल्द ही कर सकती है. खबर है कि वीआईपी गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने के बाद अब केंद्र सरकार सायरन बंद कराने की तैयारी में जुट गई है. इसे लेकर केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वीआईपी कारों पर लगे सायरनों को बंद करने के लिए उन्होंने एक योजना बनाने की सोची है. इसके लिए उन्होंने सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव भी पेश किया. उन्होंने कहा कि वीआईपी गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने के बाद केंद्र सरकार का यह एक और महत्वपूर्ण कदम होगा. उन्होंने कहा कि अपने प्रस्ताव में उन्होंने न केवल वीआईपी गाड़ियों से सिर्फ सायरन हटाने संबंधी सुझाव दिया है, बल्कि सायरन के ऑप्शन के तौर पर भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों के मधुर धुन बजाए जा सकते हैं.
वीआईपी गाड़ियों पर सायरन खत्म करेगी सरकार
दिल्ली के चांदनी चौक में नवनिर्मित फ्लाईओवर के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वीआईपी गाड़ियों से सायरन को हटाकर मधुर संगीत के धुन बजाने से ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे वीआईपी गाड़ियों पर लाल बत्ती खत्म करने का मौका मिला. अब, मैं वीआईपी गाड़ियों पर सायरन खत्म करने की योजना बना रहा हूं.
हॉर्न और सायरन की जगह पर बजेंगे शंख, तबला और बांसुरी
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि वह हॉर्न और सायरन की आवाज को संगीत वाद्ययंत्रों के सुखद संगीत से बदलना चाहते हैं. उन्होंने यह संकेत भी दिया है कि ऐसी नीति पर पहले से ही काम चल रहा है. गडकरी ने कहा कि मैं एक ऐसी नीति बना रहा हूं, जिसमें सायरन की आवाज को बासुरी (बांसुरी), तबला और शंख की आवाज से बदल दिया जाएगा. मैं चाहता हूं कि लोगों को ध्वनि प्रदूषण से राहत मिले.
बड़े ट्रकों और भारी वाहनों में एसी केबिन बनाना जरूरी
बता दें कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में कई तरह के सुधारों को लागू किया है. केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री बनने के बाद से नितिन गडकरी ने उद्योग में कई सुधार किए हैं. अगर उनके इस प्रस्ताव पर सरकार अमल करती है, तो आने वाले दिनों में वीआईपी गाड़ियों से हॉर्न और सायरन की जगह शंख, बांसुरी और तबले की आवाज सुनाई देगी. उनके मंत्रालय की ओर से शुरू किए गए नियमों में आगे की सीट के साथ-साथ पीछे की सीट पर बैठने वालों के लिए भी सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है. सभी वाहनों में स्पीड वार्निंग अलर्ट अनिवार्य हो गया है. अभी हाल ही में सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बड़े ट्रकों और भारी वाहनों के अंदर वातानुकूलित केबिन बनाना अनिवार्य कर दिया है.
मई 2017 से वीआईपी गाड़ियों की लाल-नीली बत्ती पर प्रतिबंध
बता दें कि मई 2017 में केंद्र सरकार ने वीवीआईपी गाड़ियों से लाल बत्ती और अधिकारियों की गाड़ी से नीली बत्ती पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. सरकार के आदेश के बाद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्र-राज्य सरकार के मंत्रियों की गाड़ियों से लाल बत्ती हटा दिया गया है. भारत से वीआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया था. केंद्र सरकार ने एक मई 2017 से वीआईपी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के एक कड़ी में लालबत्ती हटाने के फैसले पर जिक्र करते हुए कहा था कि लाल बत्ती धीरे-धीरे लोगों के दिमाग में घर कर जाती थी और उस व्यक्ति का खौफ बन जाता था. उन्होंने वीआईपी की जगह ईपीआई पर जोर दिया था. उन्होंने ईपीआई का मतलब ‘एवरी पर्सन इज इंपोर्टेंट’ बताया था.
लाल बत्ती और सायरन से ब्रिटिश हुकूमत की झलक
इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने भी 20 अगस्त 2013 को अपनी एक टिप्पणी में कहा था कि वीआईपी गाड़ियों में लगे सायरन और लाल बत्तियों से ब्रिटिश हुकूमत की झलक मिलती है. अदालत ने कहा था कि जब गृहमंत्री (तत्कालीन) पी चिदंबरम ने इस सुविधा को लेने से इनकार कर दिया, तो फिर मंत्रियों, नौकरशाहों और नेताओं को यह सुविधा क्यों दी जा रही है. सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से भी कहा था कि सभी वीआईपी गाड़ियों से सायरन हटाए जाएं, क्योंकि यह नियमों के खिलाफ हैं.