गाड़ी हो सकती है महंगी, नयी गाड़ी की बीमा नीति बदल सकती है
वाहन मालिकों को अब अनिवार्य 'बंपर टू बंपर' कवर खरीदने का आदेश दिया है. अनिवार्य थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसीज के साथ, ग्राहकों को मोटर ओन-डैमेज (OD) बीमा भी खरीदना होगा. इसके साथ- साथ सह-यात्रियों के लिए दुर्घटना कवर भी खरीदना होगा.
अगर अब आप नयी गाड़ी खरीदने की योजना बनायेंगे तो 10 प्रतिशत तक ज्यादा पैसे चुकाने पड़ सकते हैं. बीमा पॉलिसी को लेकर एक बड़े बदलाव के संकेत हैं. मोटर कवर के मौजूदा जोखिम मॉडल में परिवर्तन की चर्चा तेज है.
इस फैसले को लेकर अनुमान के पीछे की एक बड़ी वजह है मद्रास हाईकोर्ट का फैसला. इस फैसले में वाहन मालिकों को अब अनिवार्य ‘बंपर टू बंपर’ कवर खरीदने का आदेश दिया है. अनिवार्य थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसीज के साथ, ग्राहकों को मोटर ओन-डैमेज (OD) बीमा भी खरीदना होगा. इसके साथ- साथ सह-यात्रियों के लिए दुर्घटना कवर भी खरीदना होगा.
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इस फैसले के असर के बाद बदलाव हुआ तो मौजूदा थर्ड पार्टी कीमतों के प्रीमियम का कम से कम तीन गुना हो जायेगी. कई एक्सपर्ट का मानना है कि यह फैसला ऐतिहासिक है. इससे बीमा की पहुंच में वृद्धि होगी. बीमा इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने रेगुलेटर्स से मुलाकात की है.
पांच साल की लॉक-इन पीरियड बीमा कंपनियों के लिए हानि अनुपात (loss ratio) को जानना और भी मुश्किल हो जाएगा.इससे आपकी कार और उसमें बैठे लोग भी ज्यादा सुरक्षित होंगे. वर्तमान में, वाहन खरीदते समय केवल थर्ड-पार्टी कवर अनिवार्य है.
इस फैसले को लेकर बीमा कंपनी ज्यादा खुश हैं और इस फैसले को सही बताया है. ओन डैमैज के लिए यह अनिवार्य नहीं था और इसे केवल एक साल के लिए रखा गया था. इस फैसले के बाद बीमा की अवधि बढ़ जायेगी. ओन डैमेज बंपर टू बंपर कवर के रूप में जाना जाता है. यह बीमा इंडस्ट्री का दूसरा सबसे बड़ा बिजनेस मॉडल है.इसमें ग्राहकों को बड़ी सुरक्षा मिलती है.
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इंडस्ट्री रेशियो के मुताबिक, कुल गाड़ियों में से 60% गाड़ियां अभी भी बीमा के दायरे के बाहर हैं बाकी 40% गाड़ियों में 60% गाड़ियां केवल थर्ड पार्टी के कवरेज के दायरे में होती है. इस नए नियम के साथ प्रीमियम की रेंज नई चार पहिया गाड़ियों के लिए 50 हजार रुपए तक बढ़ सकती है.
मद्रास हाईकोर्ट ने जनरल इंश्योरेंस काउंसिल, बीमा रेगुलेटर IRDAI और पुलिस कमिश्नर को 13 सितंबर को तलब किया है. संभव है कि इस फैसले को लेकर इस बैठक में पूरी तरह से सहमति बन सकती है. बीमा कंपनियों ने इसके लिए 90 दिन का समय मांगा हैं,