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हाईब्रिड टैक्स को लेकर टाटा-टोयोटा में जंग, जानें सरकार के सामने कौन किस पर भारी

वाहन निर्माता कंपनियां पेट्रोल-डीजल से चलने वाली इंटरनल कम्यूशन इंजन (आईसीई) तकनीक वाली कारों के विकल्प के तौर पर हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन इंजन (ईपीई) तकनीक को अपना रही हैं. हाइब्रिड इंजन वाहन आईसीई तकनीक और ईपीई तकनीक आधारित वाहनों के बीच का रास्ता है.

नई दिल्ली: हाइब्रिड कारों पर लगने वाले टैक्स को लेकर भारत और जापान की दिग्गज दो वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) के बीच जंग छिड़ी हुई है. टाटा मोटर्स भारत में इलेक्ट्रिक कारों के निर्मार्ण और बिक्री पर जोर दे रही है, जबकि टोयोटा हाइब्रिड कारों को बाजार में लॉन्च कर रही है. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिहाज से टाटा मोटर्स ने सरकार से हाइब्रिड कारों पर लगने वाले वर्तमान टैक्स को बनाए रखने के लिए सरकार से आग्रह किया है, जबकि हाइब्रिड टैक्स में कटौती करने के लिए जापानी कंपनी टोयोटा लॉबीबाजी कर रही है.

आईसीई और ईपीई के बीच की तकनीक है हाइब्रिड

दरअसल, वाहन निर्माता कंपनियां पेट्रोल-डीजल से चलने वाली इंटरनल कम्यूशन इंजन (आईसीई) तकनीक वाली कारों के विकल्प के तौर पर हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन इंजन (ईपीई) तकनीक को अपना रही हैं. हाइब्रिड इंजन वाहन आईसीई तकनीक और ईपीई तकनीक आधारित वाहनों के बीच का रास्ता है. हाइब्रिड वाहनों में आईसीई तकनीक और ईपीई तकनीक आधारित दो तरह के इंजन लगे होते हैं, जो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ सीएनजी गैस या फिर बिजली से चार्ज होने वाली बैटरी से चलते हैं. सरकार की ओर से हाइब्रिड कारों पर आईसीई और ईपीई आधारित कारों के मुकाबले अधिक टैक्स लगता है. इससे टोयोटा जैसी कंपनियों को काफी नुकसान है.

किन कारों पर कितना है टैक्स

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फिलहाल हाइब्रिड कारों में पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक बैटरी पैक के साथ इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमाल करने पर 43 फीसदी तक टैक्स लगाया जाता है, जबकि केवल आईसीई आधारित पेट्रोल वाली कारों पर 48 फीसदी तक टैक्स लगता है. वहीं, जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) व्यवस्था के तहत इलेक्ट्रिक कारों पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाता है. पर्यावरण में कम प्रदूषक उत्सर्जित करने के बावजूद हाइब्रिड कारों पर भारत में उनके पेट्रोल इंजन वाली कारों के मुकाबले अधिक टैक्स लगाया जाता है. यह ऑटो उद्योग में बहस का मुद्दा रहा है, क्योंकि कई लोगों ने सरकार से हाइब्रिड कारों के लिए टैक्स की दर कम करने की अपील की है, क्योंकि वे पेट्रोल वाले मॉडल की तुलना में कम प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं.

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महिंद्रा और हुंडई भी टाटा के पक्ष में

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हाइब्रिड कारों की बिक्री करने वाले टोयोटा जैसे वाहन निर्माता सरकार से इन कारों पर लगाए जाने वाले भारी टैक्स में कटौती करने की मांग कर रहे हैं. जबकि आईसीई और ईवी सेगमेंट में कार बनाने वाली दिग्गज वाहन निर्माता टाटा मोटर्स ने सरकार से हाइब्रिड टैक्स के वर्तमान स्लैब को बनाए रखने का आग्रह किया है. सरकार के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा मोटर्स की प्रतिद्वंद्वी कंपनियां महिंद्रा एंड महिंद्रा और दक्षिण कोरिया की हुंडई मोटर्स ने भी सरकार हाइब्रिड टैक्स की वर्तमान नीति को बनाए रखने की अपील की है.

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टाटा-टोयोटा में जंग

रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू वाहन निर्माता टाटा मोटर्स ने दावा किया है कि हाइब्रिड कारों पर टैक्स में कटौती नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि वे इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में अधिक प्रदूषण फैलाती हैं. उसने हाइब्रिड कारों पर टैक्स कम करने की टोयोटा की अपील का विरोध किया है. वहीं, दुनिया भर में हाइब्रिड कारों की बड़ी खिलाड़ी टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स ने सरकार से हाइब्रिड टैक्स में कटौती करने की अपील की है. जापानी वाहन निर्माता कंपनी ने दावा किया है कि हाइब्रिड कारें पेट्रोल कारों की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जित करती हैं.

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टाटा ने सरकार को लिखा गोपनीय पत्र

हाइब्रिड कारों पर लगने वाले टैक्स को लेकर टाटा-टोयोटा में जंग के बीच सरकार ने बीच का रास्ता निकाल दिया है. खबर यह भी है कि टोयोटा की अपील के बाद भारत के व्यापार संवर्धन और उद्योग मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में भारी उद्योग मंत्रालय से हाइब्रिड कारों पर उपकर (सेस) को तर्कसंगत बनाने का आग्रह किया है. व्यापार संवर्धन और उद्योग मंत्रालय के इस कदम से टाटा मोटर्स फिलहाल नाराज दिखाई दे रही है. इसके बाद टाटा मोटर्स ने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की है और व्यापार संवर्धन और उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि देश स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों के साथ शहरी वायु गुणवत्ता संकट का सामना कर रहा है. ऐसी स्थिति में हाइब्रिड को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए. टाटा ने कथित तौर पर मंत्रालय को एक गोपनीय पत्र में लिखा कि हाइब्रिड को आगे कोई भी प्रोत्साहन जलवायु लक्ष्यों और देश की अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक होगा.

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