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PM मोदी का 6G Vision डॉक्यूमेंट क्या है? टेलीकॉम सेक्टर को कैसे बदल देगा यह?

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6जी विजन डॉक्यूमेंट का अनावरण किया है, जिसमें 2030 तक भारत में 6जी दूरसंचार सेवाएं शुरू करने की बात कही गयी है. विजन डॉक्यूमेंट और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं के पड़ताल के साथ प्रस्तुत है स्पेशल कंटेंट खास आपके लिए-

What is 6G Vision Document: सूचना तकनीक के युग में इंटरनेट सबसे जरूरी हथियार है. हम कितनी जल्दी किसी सूचना तक पहुंचते हैं, उसमें इंटरनेट की गति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसी कारण तेज गति से डेटा उपलब्ध कराने वाली तकनीक को उन्नत बनाने के लिए विशेषज्ञ व सरकारें दिन-रात काम कर रही हैं. देश में पिछले वर्ष के अंत में 5जी लॉन्च हो गया था और अब बारी 6जी की है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6जी विजन डॉक्यूमेंट का अनावरण किया है, जिसमें 2030 तक भारत में 6जी दूरसंचार सेवाएं शुरू करने की बात कही गयी है. विजन डॉक्यूमेंट और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं के पड़ताल के साथ प्रस्तुत है स्पेशल कंटेंट खास आपके लिए-

देश में 5जी की लॉन्चिंग में भले ही देरी हुई हो, पर 6जी को लेकर तैयारी अभी से शुरू हो गयी है. बीते सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत 6जी विजन डॉक्यूमेंट का अनावरण किया, जिसमें 2030 तक देश में छठी पीढ़ी, यानी 6जी की दूरसंचार सेवाओं के शुभारंभ का लक्ष्य रखा गया. साथ ही उन्होंने 6जी रिसर्च और डेवलपमेंट टेस्ट बेड भी लॉन्च किया. ये डॉक्यूमेंट देश में 6जी तकनीक के शुभारंभ और नयी तकनीक के तेजी से अनुकूलन में सहायक सिद्ध होंगे.

विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि 6जी मिशन में देश उद्योग, शिक्षाविदों और सेवा प्रदाताओं सहित सभी हितधारकों को सैद्धांतिक तथा सिमुलेशन स्टडी में शामिल करेगा और शोध के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करेगा. डॉक्यूमेंट में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में लगभग 30 करोड़ भारतीय परिवारों के लिए स्मार्टफोन की कुल वार्षिक खरीद 16 करोड़ से अधिक है. इसका अर्थ है कि आज हर घर औसतन दो वर्ष में एक फोन के हिसाब से स्मार्टफोन खरीद रहा है. दोपहिया वाहनों पर भी सालाना इतनी ही राशि खर्च की जा रही है. आज एक भारतीय के लिए उसका निजी स्मार्टफोन अपने निजी वाहन से ज्यादा मूल्यवान हो चुका है.

क्या है 6जी टेलीकॉम नेटवर्क ?

छठी पीढ़ी का दूरसंचार नेटवर्क, यानी 6जी, सेलफोन की एक तकनीक है जो अल्ट्रा-लो लेटेंसी के साथ प्रति सेकेंड एक टेराबाइट (टीबी) तक की इंटरनेट स्पीड उपलब्ध करायेगी. यह मशीन से मशीन और मशीन से मानव के बीच बातचीत सुलभ बनायेगी तथा वर्चुअल व ऑगमेंटेड रियलिटी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास को बढ़ावा देगी. छठी पीढ़ी की नेटवर्क तकनीक पिछली पीढ़ी, यानी 5जी से उन्नत होगी. यहां जेनरेशन के उन्नत होने का अर्थ तकनीक के उन्नत होने से है. जैसे-जैसे सेल्युलर मोबाइल तकनीक आगे बढ़ती है, उसकी डेटा स्पीड में सुधार होता जाता है. इसके साथ-साथ सिक्योरिटी समेत दूसरे फीचर्स भी उन्नत होते जाते हैं.

5जी से यह कैसे अलग है ?

तकनीकी रूप से 6जी भले ही अभी मौजूद नहीं है, पर इसकी कल्पना एक बेहतर तकनीक के रूप में की गयी है, जिसकी स्पीड 5जी की तुलना में 100 गुना अधिक होगी. 5जी तकनीक में औसत स्पीड रेंज 40 से 1100 एमबीपीएस के बीच होती है, जो संभावित रूप से मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम और बीमफॉर्मिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से 10,000 एमबीपीएस की अधिकतम गति तक पहुंच जाती है.

उच्च दर से डेटा उपलब्ध कराने में सक्षम होगा 6जी

छठी पीढ़ी की मोबाइल संचार तकनीक से उम्मीद है कि यह आवश्यक सूचनाओं, संसाधनों और सेवाओं में सुधार करके उस तक पहुंच को सक्षम बनायेगी. 6जी प्रति सेकेंड एक टेराबाइट के उच्च दर से डेटा उपलब्ध करायेगा, जिसका अर्थ हुआ इंटरनेट की तेज गति और नेटवर्क के गायब होने की समस्या से छुटकारा. एक 6जी यूजर 6जी डिजिटल ट्विन्स, होलोग्राम और ट्रूली इमर्सिव एक्सटेंडेड रियलिटी एप्लिकेशन समेत तमाम अन्य फीचर का उपयोग करने में सक्षम होगा. विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार, रिमोट नियंत्रित कारखाने, स्वचालित कारों और स्मार्ट वियरेबल में 6जी नेटवर्क का मुख्य तौर पर उपयोग किया जायेगा. इतना ही नहीं, इस सेवा के शुरू हो जाने से क्षेत्रीय और सामाजिक बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों में अंतर कम होने की उम्मीद है. इस लिहाज से यह ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों और महानगरों की ओर होने वाले पलायन में कमी लायेगा. इसके अतिरिक्त, इस तकनीक के जरिये एक मिनट में सौ से अधिक फिल्में डाउनलोड की जा सकेंगी. इसे टेरेस्ट्रियल और नॉन-टेरेस्ट्रियल नेटवर्क के बीच समेकीकरण, यानी इंटीग्रेशन करने वाली पहली तकनीक मानी जाती है. जिसका अर्थ हुआ कि एक ही उपकरण अनेक तकनीकों के लिए कार्य करने में सक्षम होगा. यह अरबों मशीनों और उपकरणों को जोड़ने में सक्षम होगा. इस प्रकार यह आभासी और भौतिक दुनिया (वर्चुअल और फिजिकल वर्ल्ड) दोनों में बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगा.

टेस्ट बेड का लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6जी विजन डॉक्यूमेंट के साथ 6जी टेस्ट बेड भी लॉन्च किया है. इस टेस्ट बेड की सहायता से उद्योग, अकादमिक संस्थाएं और अन्य प्लेटफॉर्म विकसित हो रही इस तकनीक की जांच कर पायेंगे. सरकार ने भी कहा है कि भारत 6जी विजन डॉक्यूमेंट और 6जी टेस्ट बेड देश को नवाचार में सक्षम बनाने, क्षमता निर्मित करने और तेजी से नयी तकनीक को अपनाने में सहायक सिद्ध होंगे.

मोदी सरकार की योजना 6जी परियोजना को दो चरणों में लागू करने की है. इस परियोजना की देखरेख और 6जी के मानकीकरण, उसके उपयोग के लिए स्पेक्ट्रम की पहचान, रिसर्च व डेवलपमेंट के लिए वित्त, सिस्टम के लिए एक इकोसिस्टम तैयार करने समेत इनसे जुड़े तमाम मुद्दों पर काम करने के लिए एक शीर्ष परिषद की नियुक्ति की गयी है. परियोजना के पहले चरण में खोजपूर्ण विचारों, जोखिम भरे रास्तों और अवधारणाओं के प्रमाण (प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट) की जांच के लिए सहायता दी जायेगी. इसके अतिरिक्त, ऐसे विचार और अवधारणाएं जो वैश्विक समकक्ष समुदाय (ग्लोबल पीयर कम्युनिटी) द्वारा स्वीकृति मिलने के योग्य हों, उन्हें पूरी तरह विकसित करने, उनके उपयोग और लाभों को निर्धारित करने एवं दूसरे चरण के व्यवसायीकरण के लिए इंप्लिमेंटेशन आईपी तथा टेस्ट बेड बनाने के लिए पर्याप्त रूप से मदद की जाएगी.

दो चरणों में लागू होगी 6जी परियोजना

तकनीक के अनुसंधान में मदद करेगी शीर्ष परिषद

6 जी परियोजना की देखरेख के लिए नियुक्त शीर्ष परिषद भारतीय स्टार्ट-अप, कंपनियों, अनुसंधान निकाय और विश्वविद्यालयों के माध्यम से 6जी तकनीक के अनुसंधान और विकास, डिजाइन व विकास की सुविधा प्रदान करेगी और इसका वित्त पोषण करेगी. डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि परिषद मुख्य तौर पर नयी तकनीकों जैसे, टेराहर्ट्ज कम्युनिकेशन, रेडियो इंटरफेस, टेक्सटाइल इंटरनेट, कनेक्टेड इंटेलिजेंस के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 6जी उपकरणों के लिए एनकोडिंग के नये तरीके और वेवफॉर्म चिपसेट पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी.

बैंड को खोलने की सिफारिश

विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार, सरकार को स्पेक्ट्रम के साझा उपयोग, विशेषकर 6जी के लिए उच्च आवृत्ति वाले बैंड, के बारे में पता लगाना होगा. उसे कंजस्टेड स्पेक्ट्रम बैंड के पुनर्मूल्यांकन और उसे तर्कसंगत बनाने के साथ उद्योग 4.0 व उद्यम में उपयोग के लिए कैप्टिव नेटवर्क को भी अपनाना होगा. डॉक्यूमेंट में मांग उत्पन्न करने के लिए कुछ बैंड को खोलने की सिफारिश भी की गयी है. उदाहरण के लिए 450-460 मेगाहर्ट्ज, 526-612 मेगाहर्ट्ज, 31-31.3 गीगाहर्ट्ज आदि. साथ ही, 5जी और 6जी तकनीक की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपेक्षाकृत बड़े मिड बैंड के विस्तार और उन्हें उपयुक्त जगह लगाने की जरूरत है. इसके लिए अनेक बैंड को दूसरे मद में उपयोग किये जाने की जरूरत है, जैसा पहले किया जा चुका है और इसके लिए एक नयी अंतर-मंत्रालयी प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की आवश्यकता है.

शोध और नवाचार के लिए 10,000 करोड़ का कोष

6जी पर शोध व नवाचार को धन प्रदान करने के लिए डॉक्यूमेंट में आगामी 10 वर्षों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के कोष निर्माण की सिफारिश की गयी है. इस कोष के लिए अनुदान, ऋण, वीसी निधि, निधियों के कोष (फंड ऑफ फंड्स) के जरिये धन जुटाये जायेंगे. डॉक्यूमेंट में दो स्तर के अनुदान की सिफारिश है. छोटे और मध्यम स्तर की जरूरतों को पूरा करने के लिए 20 करोड़ रुपये तक और उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं के लिए 20 करोड़ से अधिक का अनुदान दिया जायेगा.

प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य

डॉक्यूमेंट के अनुसार, भारत 6जी मिशन पूरी तरह से ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के साथ जुड़ा हुआ है. यह प्रत्येक भारतीय को सशक्त बनाना चाहता है, ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके. इतना ही नहीं, यह परियोजना यह भी सुनिश्चित करती है कि भारत वैसे उन्नत दूरसंचार तकनीकों और समाधानों, जो सस्ते होने के साथ विश्व की भलाई में योगदान दे, के अग्रणी आपूर्तिकर्ता के रूप में दुनिया में अपना उचित स्थान प्राप्त करे. साथ ही, इसका उद्देश्य भारत को बौद्धिक संपदा व उत्पादों के एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता के तौर पर सक्षम बनाना है.

अंतरराष्ट्रीय निकायों में भारत की भूमिका

डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि 6जी और इससे संबंधित तकनीकों के मानकीकरण पर निर्णय लेने के लिए भारत 3 जीपीपी, आईटीयू, आईईसी और आईईईई जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों में बड़ी भूमिका निभा सकता है.

बरतनी होगी सावधानी

विजन डॉक्यूमेंट की मानें, तो जहां 6जी विकास का वादा करता है, वहीं इसे स्थिरता के साथ संतुलित करना होगा, क्योंकि 6जी को सपोर्ट करने वाले अधिकांश संचार उपकरण बैटरी से चलने वाले होंगे और इनसे काफी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हो सकता है. ऐसे में इसे सावधानी से इस्तेमाल करने की जरूरत होगी.

5जी सेवा का आरंभ

बीते वर्ष एक अक्तूबर को भारत में 5जी सेवा का शुभारंभ हुआ. वर्तमान में भारत में केवल रिलायंस जियो और एयरटेल ही 5जी सेवा प्रदाता हैं.

दूसरे देशों में कैसी है स्थिति

भारत के अलावा विश्व के कई देश 6जी तकनीक उपलब्ध कराने पर काम कर रहे हैं. एक नजर कुछ प्रमुख देशों की स्थिति पर…

दक्षिण कोरिया

इस देश ने पहले चरण के तहत 2025 तक के लिए 1200 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 6जी अनुसंधान और विकास योजना का अनावरण किया है. जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर इसका अगुवा बनना, प्रमुख मौलिक तकनीकों का विकास, अंतरराष्ट्रीय मानकों और पेटेंट के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान और 6जी रिसर्च व इंडस्ट्री के लिए मजबूत नींव तैयार करना है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए देश में समर्पित अनुसंधान केंद्र खोले गये हैं जो कोरियाई बौद्धिक संपदा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

जापान

इस देश में इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल एंड वायरलेस नेटवर्क (आईओडब्ल्यूएन) फोरम ने 6जी के लिए अपना श्वेत पत्र विजन 2030 प्रकाशित किया है. इसमें चार आयामों- संज्ञानात्मक क्षमता, जवाबदेही, मापनीयता और ऊर्जा दक्षता (कॉग्निटिव कैपेसिटी, रिस्पॉन्सिवनेस, स्केलेबिलिटी और एनर्जी एफिसिएंशी)- में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण तकनीकी दिशा-निर्देश निर्धारित किये गये हैं.

चीन

चीन में भी 6जी पर काम चल रहा है. देश को उम्मीद है कि अगली पीढ़ी का 6जी नेटवर्क कनेक्टिविटी के साथ-साथ सेंसिंग और एआई की सहायता करेगा, जिसमें पूरे नेटवर्क में डिजाइन के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित की जायेगी.

यूरोप

इस महाद्वीप में यूरोपीय 6जी विजन ने इस नेटवर्क की प्रमुख विशेषताओं की पहचान की है और वर्तमान में वे हेक्सा-एक्स नाम से एक अनुसंधान परियोजना पर काम कर रही है. यह परियोजना इस वर्ष के अंत में समाप्त होगी.

अमेरिका

अमेरिका ने 6जी सेवा उपलब्ध कराने के लिए ‘नेक्स्ट जी एलायंस’ लॉन्च किया है. इस एलायंस मे एप्पल, एटी एंड टी, क्वालकॉम, गूगल और सैमसंग शामिल हैं.

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

1जी नेटवर्क की शुरुआत 1979 में हुई थी. उस समय इस नेटवर्क के जरिए केवल वॉयस कॉल की जा सकती थी. यह एफडीएमए आधारित तकनीक थी और इसकी अधिकतम स्पीड 2.4 केबीपीएस थी.

2जी नेटवर्क का आरंभ 1991 में हुआ. इसमें डाउनलोड एवं अपलोड की अधिकतम स्पीड 64 केबीपीएस थी. इसमें ईमेल के साथ ही वेब ब्राउजिंग की भी सुविधा उपलब्ध थी.

3जी नेटवर्क का शुभारंभ 1998 में हुआ. इसमें डेटा की स्पीड दो एमबीपीएस थी. इसके आने के बाद वॉयस कॉल के साथ वीडियो कॉल, फाइल ट्रांसफर, इंटरनेट, ईमेल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो गयी थीं.

4जी नेटवर्क 2000 में ही विकसित हो चुका था, लेकिन 2007 में इसका उपयोग शुरू हुआ. वर्ष 2008 में इस नेटवर्क की एलटीई तकनीक सामने आयी. देश में इस समय 4जी एलटीई सेवा ही मौजूद है. इसकी अपलोड स्पीड एक जीबीपीएस, जबकि डाउनलोड सौ एमबीपीएस है.

प्रस्तुति : आरती श्रीवास्तव

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