नई दिल्ली : क्या आप नई कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं? जब आपने प्लान बना ही लिया है, तो फिर अपने मनपसंद कार को शॉर्टलिस्ट भी कर ही लिया होगा. इसके अलावा, पैसों का भी इंतजाम कर ली होगी. लेकिन, आप अभी तक जिस अहम जानकारी नहीं जानते होंगे, वह एक्स-शोरूम की कीमत और ऑनरोड प्राइस के बीच के अंतर के बारे में है. आप हमेशा यही देखेंगे कि जब आप किसी वाहन निर्माता कंपनी की डीलरशिप पर गाड़ी का दाम पता करने जाएंगे, तो वहां आपको एक्स-शोरूम की कीमत बताई जाएगी. वहीं, अब अगर आप गाड़ी खरीदने का ऑर्डर दे देते हैं, तो ऑनरोड प्राइस कुछ और ही हो जाती है. इन दोनों अमाउंट में काफी अंतर आ जाता है. क्या आपने इन दोनों दामों के अंतर को कभी समझने की कोशिश की है? अगर आपने कार या कोई भी गाड़ी खरीदने से पहले एक्स-शोरूम प्राइस और ऑनरोड प्राइस के अंतर को समझने की कोशिश नहीं की है, तो फिर आइए हम आपको जानते हैं.
क्या है एक्स-शोरूम कीमत?
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरल शब्दों में कहें, तो एक्स-शोरूम कीमत वह कीमत है, जिस पर डीलर गाड़ी बनाने वाली कंपनी से उसे खरीदते हैं. इस कीमत में गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन का चार्ज शामिल नहीं होता है. रजिस्ट्रेशन फीस स्थानीय आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) द्वारा तय की जाती है. इसके साथ ही, एक्स-शोरूम कीमत में रोड टैक्स और बीमा लागत भी शामिल नहीं होती है. बता दें कि भारत में गाड़ी खरीदने या चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन, रोड टैक्स और बीमा पर समझौता नहीं किया जा सकता है. इन तीन अनुपालनों का पालन न करने पर भारी जुर्माना और कारावास भी हो सकता है. एक्स-शोरूम कीमत में इनकी लागत शामिल नहीं होती है. एक्स-शोरूम कीमत में वाहन की फैक्टरी लागत, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), और वाहन डीलर का लाभ मार्जिन शामिल होता है. हालांकि, आपको वैकल्पिक एक्सेसरीज के लिए अतिरिक्त भुगतान करना होगा. किसी वाहन की एक्स-शोरूम कीमत विज्ञापित कीमत है.
ऑन-रोड कीमत क्या है?
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ऑन-रोड कीमत वह अंतिम राशि है, जो आप अपने डीलर से रोड-फॉर-रोड वाहन प्राप्त करने के लिए भुगतान करते हैं.
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ऑन-रोड कीमत में एक्स-शोरूम कीमत, गाड़ी के रजिस्ट्रेशन की लागत, रोड टैक्स और बीमा की लागत शामिल है.
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यदि आप अतिरिक्त फीचर्स और एक्सेसिरीज चाहते हैं, तो इसे वाहन की ऑन-रोड कीमत में शामिल किया जाता है.
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आप ऑनलाइन कैलकुलेटर का उपयोग करके या डीलर से संपर्क करके एक्स-शोरूम कीमत और ऑन-रोड कीमत के बीच अंतर की जांच कर सकते हैं.
गाड़ी रजिस्ट्रेशन चार्ज
चाहे आप बाइक खरीदें या कार, उसका क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. आमतौर पर जिस डीलर से आप गाड़ी खरीदते हैं. डीलर इस खर्च को वाहन की अंतिम कीमत यानी ऑन-रोड कीमत में शामिल करता है. गौर करने वाली बात यह है कि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन चार्ज अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है. साथ ही, यदि आप अपनी गाड़ी के लिए स्पेशल वीआईपी नंबर चाहते हैं, तो रजिस्ट्रेशन चार्ज भी बढ़ जाता है.
रोड टैक्स
जब आप भारत की सड़कों पर गाड़ी चलाते हैं, तो आपको रोड टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. हालांकि, यह ऑन-रोड कीमत का एक घटक है. इसकी गणना एक्स-शोरूम कीमत के आधार पर की जाती है. आमतौर पर, यह एक्स-शोरूम कीमत पर लगाया जाने वाला एक फीसदी है, जो 2 से 3 फीसदी के बीच होता है. एक बार चुकाया गया रोड टैक्स 10-15 साल तक वैध रहता है.
स्रोत पर एकत्रित कर
डीलर वाहन की एक्स-शोरूम कीमत का 1 फीसदी टैक्स लगाता है. इसे स्रोत पर एकत्रित कर कहा जाता है.
सालाना मेंटेनेंस चार्ज
कई वाहन डीलर सालाना मेंटेनेंस पैकेज की पेशकश करते हैं, जिसमें गाड़ी की सफाई, पॉलिशिंग, सड़क के किनारे सहायता और बहुत कुछ जैसी सेवाएं शामिल हैं. अगर आप यह पैकेज लेते हैं, तो ऑन-रोड कीमत और बढ़ जाएगी.
आवश्यक सामान की लागत
कुछ सामान जैसे फ़्लोर मैट और सीट कवर आवश्यक हैं। आप इन जरूरी एक्सेसरीज को अपने वाहन डीलर से खरीद सकते हैं या फिर इन्हें अलग से खरीदने का विकल्प चुन सकते हैं। अगर आप इन्हें अपने वाहन डीलर से खरीदते हैं तो इनकी कीमत ऑन-रोड कीमत में शामिल होगी.
एसेसिसरीज की लागत
गाड़ियों में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण एक्सेसिरीज होते हैं, जिन्हें आप अपनी कार या बाइक की विशेषताओंया दक्षता को बढ़ाने के लिए चुनते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि आप अपनी बाइक के लिए एक ट्रेंडी हेलमेट खरीदना चाहें या अपनी कार में जीपीएस नेविगेशन टूल इंस्टॉल करना चाहें. इन अतिरिक्त एक्सेसरीज को अपनी खरीद सूची में जोड़ने से आपके वाहन की अंतिम यानी ऑन-रोड कीमत बढ़ जाएगी.
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वारंटी
सभी गाड़ियां वाहन निर्माता कंपनी द्वारा प्रदान की गई एक निश्चित वारंटी के साथ आती हैं. यह एक निश्चित समय के लिए तय की जाती है. हालांकि, आप कुछ अतिरिक्त शुल्क देकर इस वारंटी को बढ़ा सकते हैं. यह अतिरिक्त शुल्क वाहन की ऑन-रोड कीमत में शामिल होता है.
ग्रीन सेस
दिल्ली-एनसीआर में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन सेस नामक एक अनिवार्य उपकर जारी किया, जो वाहन की एक्स-शोरूम कीमत पर लगाया जाता है. उपकर हर राज्य में अलग-अलग होता है और सरकार द्वारा तय किया जाता है. यह सरकार के नीतिगत निर्णय के अनुसार परिवर्तन के अधीन है.
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बीमा
मोटर्स वाहन अधिनियम के अनुसार, आप वैध मोटर बीमा के बिना अपना वाहन सड़कों पर नहीं चला सकते. आपके पास कम से कम थर्ड पार्टी बीमा होना चाहिए. आमतौर पर, डीलरों का बीमा कंपनियों के साथ गठजोड़ होता है और वे आपके लिए इसकी व्यवस्था करते हैं या फिर आप खुद ही अपनी गाड़ियों का बीमा करा सकते हैं. हालांकि, यदि आप अपने डीलर से अपनी गाड़ी का बीमा कराते हैं, तो यह स्पष्ट है कि इसकी लागत वाहन की ऑन-रोड कीमत में जोड़ी जाएगी. इसलिए एक्स-शोरूम प्राइस और ऑनरोड प्राइस में अंतर आ जाता है.