भारत में पहली कार किसने खरीदी, रतन टाटा से क्या है संबंध?
India First Car Buyer: कारों और कार के शौकीनों का भी अपना इतिहास है. बात जब कारों के इतिहास और भारत में उसके पहले खरीदार की आती है, तो अतीत की ओर लौटना जरूरी है.
India First Car Buyer: कार केवल सवारी ही नहीं है, बल्कि शान-ओ-शौकत की भी चीज है. कार खरीदना हर किसी के बूते की बात नहीं है. कार खरीदने में पैसे खर्च करने पड़ते हैं और खरीदने के बाद उसके रखरखाव में भी पैसे लगते हैं. कार खरीदना मतलब घर में हाथी पालने के बराबर है. कार शौक की चीज है और भारत में कारों के शौकीनों की कभी कमी नहीं रही है. चाहे वह जमाना आज का हो या फिर बीते हुए कल का. इन कारों और कार के शौकीनों का भी अपना इतिहास है. जब इसके इतिहास को खंगालने की कोशिश करेंगे, तो जेहन में एक सवाल जरूर आएगा और वह यह कि आखिर वह कौन व्यक्ति है, जिसने भारत में पहली कार खरीदी और उस खरीदार के साथ भारत के परोपकारी उद्योगपति रतन टाटा का क्या संबंध है? है न पते का सवाल? देखिए, बातों ही बातों में सवाल पैदा हो गया. जब सवाल पैदा हो गया, तो जवाब जानना भी जरूरी है. तो फिर आइए, इस सवाल का जवाब जानते हैं.
पहली कार की लॉन्चिंग के लिए अखबार में छपा था इश्तहार
बात जब कारों के इतिहास और भारत में उसके पहले खरीदार की आती है, तो अतीत की ओर लौटना जरूरी है. अतीत में जाने पर ही इतिहास का पता चलेगा और तब हम जान पाएंगे कि भारत में पहली कार किसने खरीदी और उनका परोपकारी उद्योगपति रतन टाटा से क्या संबंध है? फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पहली कार साल 1897 में खरीदी गई थी. यह कार फ्रांस से चलकर भारत आई. इस फ्रांसीसी कार का नाम डेडियोन था. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1896 में जब फ्रांस में बनी कार डेडियोन को भारत लाया गया था, तब इसे लॉन्च करने से पहले कलकत्ता (आज का कोलकाता) के अखबार में इश्तहार भी छापा गया था. इस इश्तेहार को देखने के बाद तत्कालीन बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के जमींदार, राजा-रजवाड़े और उद्योगपति इसकी एक झलक पाने के लिए बेचैन हो गए.
भारत में किसने खरीदी पहली कार
भारत में पहली कार खरीदने को लेकर थोड़ा असमंजस है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मानें, तो साल 1896 में फ्रांस की डेडियोन कार को कोलकाता में लॉन्च होने के बाद सबसे पहले क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंपनी से जुड़े मिस्टर फोस्टर ने सबसे पहले इस कार को खरीदी. हालांकि, कहा यह भी जाता है कि चूंकि मिस्टर फोस्टर कोलकाता में रहते थे और उन्होंने इस पहली कार को खरीदी, लेकिन वे भारतीय नहीं थे. इसलिए भारत में वे कार के पहले खरीदार नहीं माने जाते हैं. अब अगर क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंपनी के मिस्टर फोस्टर ने भारत में पहली कार नहीं खरीदी, तो आखिर वह कौन शख्स है, जिसने पहली कार खरीदी?
जमशेदजी टाटा ने खरीदी भारत में पहली कार
साल 1897 में कोलकाता में रहने वाले क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंपनी से जुड़े मिस्टर फोस्टर ने भले ही पहली कार खरीदी हो, लेकिन उसके कुछ समय बाद ही इस कार की चार इकाइयां बंबई (आज की मुंबई) में भी बेची गई थीं. इन चार इकाइयों को चार पारसियों ने खरीदा था और सबसे पहली कार खरीदने वाले व्यक्ति टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा थे. कोलकाता में मिस्टर फोस्टर द्वारा डेडियोन की पहली इकाई खरीदे जाने के एक साल साल 1898 में जमेशदजी टाटा ही पहले भारतीय थे, जिन्होंने भारत में पहली कार खरीदी थी.
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जमशेदजी टाटा के साथ रतन टाटा का क्या है संबंध
अभी सबसे बड़े सवाल का जवाब जानना बाकी है कि भारत में पहली कार खरीदने वाले जमशेदजी टाटा के साथ परोपकारी उद्योगपति रतन टाटा का संबंध क्या है? बताते चलें कि टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा का पूरा नाम जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा है. जमशेदजी टाटा का जन्म तीन मार्च 1839 को गुजरात में हुआ था. उन्हें सर रतन टाटा भी कहा जाता था. सर रतनजी टाटा या जमशेदजी टाटा और उनकी पत्नी नवजबाई सेठ ने आज के परोपकारी उद्योगपति रतन टाटा के पिता नवल टाटा को गोद लिया था. रतन टाटा जब बालक थे, उसी समय उनके पिता नवल टाटा और उनकी मां का संबंध-विच्छेद हो गया था. दोनों अलग-अलग रहने लगे थे. रतन टाटा का पालन-पोषण जमशेदजी टाटा और उनकी पत्नी नवजबाई सेठ ने किया. उन्हें पढ़ाया-लिखाया. पढ़ने के लिए विदेश भेजा और फिर उन्हें टाटा ग्रुप की जिम्मेदारी संभालने लायक बनाया. इस लिहाज से देखेंगे, तो जमशेदजी टाटा और रतन टाटा का आपसी संबंध दादा-पोते का है और रतन टाटा का पूरा नाम रतन नवल टाटा है.
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