क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बढ़ जाएगी पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
देश के भीतर, पंप मालिकों को 15 मार्च को पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती के बाद से दबाव का सामना करना पड़ा है, दोनों ईंधनों के पुराने स्टॉक को नई और कम कीमतों पर बेचना पड़ रहा है.
Petrol-Diesel: Lok Sabha Election 2024 के परिणामों की घोषणा के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है! मार्च में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती के फैसले के बाद पेट्रोल-डीजल दोनों की कीमतों में ₹2 प्रति लीटर की कमी की गई थी. यह फैसला ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा लिया गया था और पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा घोषित किया गया था.
हाल में की गई कटौती के बाद संशोधित पेट्रोल और डीजल कीमतें 15 मार्च से लागू हुई थीं. इस कदम को भाजपा नेताओं ने देश की जनता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कल्याणकारी कदम के रूप में सराहा था. हालांकि, आलोचकों का कहना था कि यह चुनाव के मौसम में मतदाताओं को लुभाने का एक प्रयास था. मंगलवार को चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ, कीमतों में वापस की गई कटौती को वापस लिया जा सकता है.
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अगर पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतें वास्तव में फिर से बढ़ती हैं, तो यह बिल्कुल तुरंत नहीं हो सकता है. लेकिन इस बात के मजबूत संकेत हैं कि ऐसा हो ही सकता है.
पश्चिम एशिया क्षेत्र में लगातार तनाव और OPEC+ देशों (पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन) द्वारा स्वैच्छिक उत्पादन कटौती के विस्तार जैसे कारकों के कारण वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें हाल ही में चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. रॉयटर्स के अनुसार, OPEC+ ने रविवार की बैठक में 2025 तक गहरे तेल उत्पादन कटौती को बढ़ाने का फैसला किया. यह माना जाता है कि यह वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों को मजबूत करने के लिए किया गया एक कदम है.
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देश के भीतर, पंप मालिकों को 15 मार्च को पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती के बाद से दबाव का सामना करना पड़ा है, दोनों ईंधनों के पुराने स्टॉक को नई और कम कीमतों पर बेचना पड़ रहा है. कीमतों में अपवार्ड रिवीजन (संशोधन) उनकी चिंताओं को दूर कर सकता है और एक बार फिर देश कीऑयल मार्केटिंग कंपनियों की मदद कर सकता है.
भारत में ईंधन की कीमतें वैश्विक दरों के अलावा कई अन्य कारकों से भी प्रभावित होती हैं. केंद्र और राज्य सरकारों दोनों द्वारा दोनों ईंधनों पर कई टैक्स और सेस लगाए जाते हैं. देश में लगभग हर सरकार ईंधन को राजस्व सृजन के प्रमुख स्रोतों में से एक मानती है.
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