NH के किनारे क्यों नहीं होता वाइन शॉप? जानें इसके पीछे की वजह
शराब पीकर ड्राइविंग करने से सड़क दुर्घटनाओं की संभावना काफी बढ़ जाती है. शराब के कारण ड्राइवरों की प्रतिक्रिया समय और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है. इससे दुर्घटनाओं के होने की संभावना बढ़ जाती है. शराब पीकर ड्राइविंग करने से दुर्घटनाओं की संभावना दोगुनी से तीन गुना तक बढ़ जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर, 2016 को एक आदेश में कहा था कि राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानें नहीं होनी चाहिए. इस आदेश के पीछे मुख्य कारण यह था कि हाईवे पर शराब की दुकानों के कारण सड़क दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है.
आदेश के पीछे की महत्वपूर्ण घटना
इस आदेश के पीछे एक महत्वपूर्ण घटना यह थी कि 2016 में, हरियाणा में एक सड़क दुर्घटना में 12 लोगों की मौत हो गई थी. इस दुर्घटना में यह पाया गया कि चालक ने शराब पीकर गाड़ी चला रही थी. इस घटना ने सुप्रीम कोर्ट को इस विषय पर विचार करने के लिए प्रेरित किया.
वाइन शॉप बंद कराने को लेकर कई याचिकाओं पर हुई थी सुनवाई
इस आदेश के लिए कई याचिकाएँ दायर की गई थीं. इनमें से एक याचिका पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और पुदुच्चेरी के लोगों द्वारा दायर की गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि हाईवे पर शराब की दुकानें होने से शराब पीकर ड्राइविंग करने का खतरा बढ़ जाता है. इससे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईवे पर शराब की दुकानों के कारण सड़क दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है. कोर्ट ने कहा कि शराब पीकर ड्राइविंग करने से ड्राइवरों की प्रतिक्रिया समय और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है. इससे दुर्घटनाओं के होने की संभावना बढ़ जाती है.
NH में वाइन शॉप खोलने के लिए नहीं दिया जाता है लाइसेंस
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों के लिए नए लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे. साथ ही, मौजूदा लाइसेंसों को भी 31 मार्च, 2017 तक के लिए ही बढ़ाया जाएगा.
हिमाचल प्रदेश, मेघालय और सिक्किम को कुछ रियायत
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि नेशनल और स्टेट हाइवे के 500 मीटर की परिधि में शराब की दुकानों को बंद किया जाए. इस दायरे में स्थित होटेल्स, रेस्तरां और बार्स में भी शराब परोसने की अनुमति ना दी जाए. न्यायालय ने इस मामले में केवल हिमाचल प्रदेश, मेघालय और सिक्किम को इस फैसले से छूट दी थी, क्योंकि वहां जनसंख्या 20,000 से कम है. इन राज्यों में शराब की दुकानों को हाइवे से 220 मीटर की परिधि से दूर रखा जाए. कोर्ट द्वारा यह फैसला शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण होने वाले हादसों को देखते हुए लिया गया.
ड्रिंक एंड ड्राइव से बढ़ा दुर्घटनाओं का खतरा
शराब पीकर ड्राइविंग करने से सड़क दुर्घटनाओं की संभावना काफी बढ़ जाती है. शराब के कारण ड्राइवरों की प्रतिक्रिया समय और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है. इससे दुर्घटनाओं के होने की संभावना बढ़ जाती है. एक अध्ययन के अनुसार, शराब पीकर ड्राइविंग करने से दुर्घटनाओं की संभावना दोगुनी से तीन गुना तक बढ़ जाती है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि शराब पीकर ड्राइविंग करने से दुर्घटनाओं की गंभीरता भी बढ़ जाती है. नेशनल हाईवे पर वाइन शॉप होने से शराब पीकर ड्राइविंग करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा सकता है. इससे सड़क दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है.
एससी के फैसले का जबरदस्त स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत कई लोगों ने किया. लोगों का मानना है कि इससे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी और सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार होगा.
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