जीवन है, तो चुनौती रहेगी ही

विजय बहादुर vijay@prabhatkhabar.in अनिरुद्ध सिंह, उम्र 67 साल की पैदाइश झारखंड के ठेठ देहाती गांव मरदा, थाना रायडीह जिला गुमला में हुआ था. उनके परिवार का व्यापार से दूर का भी रिश्ता नहीं रहा था, लेकिन इसी परिवार से निकलकर आज अनिरुद्ध सिंह लगभग 25 करोड़ की प्राइवेट सिक्योरिटी संस्थानों के कर्ताधर्ता हैं और जिसमें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2017 11:58 AM
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विजय बहादुर
vijay@prabhatkhabar.in
अनिरुद्ध सिंह, उम्र 67 साल की पैदाइश झारखंड के ठेठ देहाती गांव मरदा, थाना रायडीह जिला गुमला में हुआ था. उनके परिवार का व्यापार से दूर का भी रिश्ता नहीं रहा था, लेकिन इसी परिवार से निकलकर आज अनिरुद्ध सिंह लगभग 25 करोड़ की प्राइवेट सिक्योरिटी संस्थानों के कर्ताधर्ता हैं और जिसमें लगभग तीन हजार लोग जुड़े हुए हैं. अनिरुद्ध सिंह का बचपन नितांत ही गवई माहौल में बीता. बचपन में घर के जानवरों को चराने से लेकर भैंसागाड़ी में गाड़ीवान के साथ लकड़ियां और वनोत्पाद की ढुलाई के लिए जंगल-पहाड़ के सुदूर इलाकों में जाने का काम भी उन्होंने किया. भैंसागाड़ी से आने-जाने के क्रम में अनेकों बार सड़क पर जंगली जानवरों (बाघ, शेर) से भी सामना हुआ. इस परिवेश ने उन्हें जीवट और निडर बनाया.
दसवीं की पढ़ाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागढ़ पतराटोली और कॉलेज की पढ़ाई संत जेवियर कॉलेज रांची में हुई. कॉलेज की पढाई खत्म होते ही उन्होंने भारतीय वायु सेना ज्वाइन कर लिया. भारतीय वायु सेना में उन्हें अनुशासन, तकनीक, संचार माध्यमों के बारे में सीखने का मौका मिला, लेकिन लीक से हटकर फौज में रहते हुए ही उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और बाद में सरदार पटेल कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड कम्युनिकेशन से सेल्स और मार्केटिंग में प्रबंधन कर लिया. इन विषयों की पढाई करने से उनमें अर्थशास्त्र के मूल तत्वों को समझने का मौका मिला. यही समय था जब व्यापार की तरफ जाने का विचार उनके मन में आ गया था.
वायु सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने सीधे व्यापार में हाथ आजमाने के बजाय यह देखने का निर्णय लिया कि कार्य क्षेत्र में व्यवहारिक रूप से किस तरह से काम होता है. उन्होंने राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड, जयपुर (1984-1986) और कोणार्क टेलीविजन लिमिटेड, भुवनेश्वर (1987-1989) में क्षेत्रीय प्रबंधक के रूप में कार्य कर व्यवसाय के दावं-पेंच को समझने की कोशिश की. लेकिन, मन में लगातार एक द्वंद भी चल रहा था कि जितनी ऊर्जा नौकरी करने में लगा रहे हैं, अगर खुद का व्यापार जितनी जल्द खड़ा करें तो निश्चित रूप से जीवन में बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं. पांच वर्षों तक बाजार के साथ सीधा जुड़ाव होने के कारण व्यापार कर पाने का आत्मबल और आत्मविश्वास था और सेना में काम करने की पृष्ठभूमि के कारण अनुशासन और कभी हार नहीं मानने का जज्बा भी था.
सेना में सुरक्षा को लेकर लंबे अनुभव होने के कारण वर्ष 1990 में निजी सुरक्षा क्षेत्र के व्यवसाय को अपने उद्यम के लिए चुना और भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के नाम से निजी सुरक्षा कंपनी शुरू की. नब्बे के दशक में झारखंड, बिहार और बंगाल में निजी सुरक्षा सेवा का पहला दौर था और मांग बहुत अधिक थी, विशेष कर पूर्व सैनिकों की निजी सुरक्षा सेवा में.
और अनिरुद्ध सिंह ने इस अवसर को पहचान कर अपने कदम बढ़ा दिये. शुरुआती दिनों में उन्होंने पूर्व सैनिकों को ही सुरक्षा सेवा में प्रतिनियुक्त किया. भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ को पुनर्वास महानिदेशालय से भी मान्यता मिल गयी थी, जिसके कारण बड़ी सरकारी कंपनियों में सुरक्षा संभालने का मौका मिला और उनका व्यापार जम गया. वर्ष 1996 में अनिरुद्ध सिंह ने भूतपूर्व सैनिक कल्याण संघ के अतिरिक्त एक और निजी कंपनी रांची सिक्यूरिटी प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की, जिसे पुनर्वास महानिदेशालय से मान्यता मिल गयी. दूसरी कंपनी भी चल गयी और इसमें उन्होंने अपने बेटे विज्ञान कुमार को निदेशक बना दिया और बहू दीया पाटनी सिंह को भी जोड़ दिया ताकि नयी पौध के नये सोच से उनके शुरू किये गये काम को और विस्तार मिल सके.
अनिरुद्ध सिंह से मैंने पूछा, एक ठेठ ग्रामीण माहौल से सेना में नौकरी करना और फिर व्यापार में अपने हाथ आजमाते हुए सफलता प्राप्त करने में उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बहुत ही सहजता से कहा कि जीवन है तो चुनौती भी रहेगी. मुझे व्यापार करने में कोई खास बाधाएं नहीं आयी. मैंने कभी भी पहले टारगेट या लक्ष्य निश्चित नहीं किया. ईमानदारी पूर्वक काम करते रहा, सफलता मिलती रही और मैं आगे बढ़ता गया.
व्यापार में पूंजी की भी अहम भूमिका होती है, लेकिन मैंने कभी व्यापार के लिए लोन नहीं लिया. मुझे याद है, नब्बे के दशक में एक कंपनी को एक लाख रुपये की बैंक गारंटी देनी थी, उसके एवज में सुरक्षित राशि बैंक में जमा करने को कोई गारंटी मेरे पास नहीं थी. मैं अपने पास काम करने वाले एक फौजी सूबेदार रावेल तिर्की को नहीं भूल सकता, जिन्होंने अपने एक लाख रुपये की एफडी हमें बैंक के पास गिरवी रखने को दिया था. इसलिए मेरा मानना है कि आप अगर गंभीर और ईमानदार प्रयास करते हैं, तो रास्ते बनते जाते हैं. हां, कानूनी प्रावधानों के पालन में हर व्यापार में कठिनाई होती है, लेकिन ऐसी छोटी-मोटी बाधाएं तो स्वाभाविक रूप से व्यापार में आती रहती है.
व्यापारी का व्यवहार, काम को लेकर ईमानदारी, समय के प्रति प्रतिबद्धता, लगनशीलता, सादगी, उदारता आदि मनुष्य के निहित गुण के कारण ही सफलता व्यापारी के पांव छूती है. ग्राहक राजा है, बस इस मंत्र को याद रखना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण एक व्यापारी को साहसी होने की जरूरत होती है. पूंजी डूबने के भय से निजात पाकर व्यापारी सफल हो सकता है क्योंकि कहा भी जाता है नो रिस्क नो गेन.
अंत में अनिरुद्ध सिंह कहते हैं कि उन्हें आत्मसंतोष है कि उन्होंने ऐसा व्यवसाय चुना, जिसने न सिर्फ उनके जीवन को बेहतर किया बल्कि वे अपने जैसे बहुत सारे रिटायर्ड सैनिकों, बेरोजगार युवकों को भी रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया. अब तक अपने संस्थान के माध्यम से लगभग 15 हजार लोगों के लिए रोजगार सृजन का काम कर चुका हैं अनिरुद्ध. प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विसेज के लिए देश के जितने भी बड़े सम्मान हैं, वे मिल चुके हैं, लेकिन मन में एक दर्द भी है कि प्राइवेट सिक्योरिटी में लगे जवानों को आज भी बहुत सम्मान नहीं मिल पा रहा रहा है, जबकि उनकी ड्यूटी काफी कठिन है.
मैट्रिक व आइटीआइ पास युवाओं को एनसीएल में मौका
नॉ र्दर्न कोलफील्डस लिमिटेड(एनसीएल) सिंगरौली, योग्य उम्मीदवारों से कंपनी की रिक्त 201 पदों को भरने के लिए आवेदन आमंत्रित करता है. एनसीएल, कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी है. रिक्तियां जूनियर स्टेनोग्राफर(हिंदी), जूनियर स्टेनोग्राफर(अंग्रेजी), इलेक्ट्रीशियन और एचइएमएम ऑपरेटर ट्रेनी पद के लिए है.
आयु सीमा
न्यूनतम -18 वर्ष (सभी पदों के लिए) व अधिकतम उम्र – 30 वर्ष ( अनारक्षित वर्ग), 33 वर्ष (ओबीसी), 35 वर्ष (एससी/एसटी) 30 अक्तूबर 2016 को.
आवेदन शुल्क
एससी/ एसटी तथा दिव्यांग जनों को आवेदन शुल्क में छूट दी गयी है. इन्हें कोई शुल्क नहीं देना है. सामान्य तथा ओबीसी के आवेदकों को 500 रुपये का आवेदन शुल्क देना होगा. आवेदन शुल्क भारतीय स्टेट बैंक(एसबीआइ) के डिमांड ड्राफ्ट से भुगतान करना है. डिमांड ड्राफ्ट नॉर्दर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (सिंगरौली) के पक्ष में तथा एसबीआइ, मोरवा (शाखा कोड-03767) के नाम पर होना चाहिए. एसबीआइ के अलावा किसी दूसरे बैंकों का ड्राफ्ट स्वीकार नहीं होगा.
चयन का आधार
आवेदकों का चयन लिखित परीक्षा के आधार पर होगा. कंपनी 100 अंक का लिखित परीक्षा लेगी. इस परीक्षा में चयनित उम्मीदवार का अंतिम रूप से एनसीएल में चयन होगा. चयन के बाद उम्मीदवार को कंपनी का भारत में स्थित किसी भी इकाई में काम करना होगा.
कंपनी की वेबसाइट www.nclcil.in से आवेदन को डाउनलोड कर इस्तेमाल किया जा सकता है या विज्ञापन में आवेदन का प्रारुप दिया गया है. विज्ञापन से ही आवेदन का प्रिंट लेकर इस्तेमाल करें. आवेदन को पूरी तरह भरकर सभी आवश्यक दस्तावेजों को आवेदन के साथ संलग्न कर साधारण डाक से ही भेजें. उम्र तथा शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज को प्रमाणित कराकर संलग्न करें. आवेदन को हाथों हाथ नहीं भेजना है.
आवेदन भेजने का पता : General Manager, (P/MP & R) Personnel Deparment, NCL, HQ, Singrauli(MP)- 486889.
आपका आवेदन सात जनवरी 2017 तक एनसीएल के सिंगरौली कार्यालय में पहुंच जानी चाहिए.
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