रहीम दास बोले: अनुचित बचन न मानिए…
अनुचित बचन न मानिए, जदपि गुराइसु गाढि! है रहीम रघुनाथ ते, सुजस भरत की बाढि!! अर्थात भरपूर दबाव पड़ने पर भी अनुचित कार्य कभी न करें. जिस कार्य को करने के लिए आपका अंतर्मन गवाही न दे, वह कार्य को बड़ा व आदरणीय व्यक्ति भी कहे तो भी न करें.
अनुचित बचन न मानिए, जदपि गुराइसु गाढि!
है रहीम रघुनाथ ते, सुजस भरत की बाढि!!
अर्थात
भरपूर दबाव पड़ने पर भी अनुचित कार्य कभी न करें. जिस कार्य को करने के लिए आपका अंतर्मन गवाही न दे, वह कार्य को बड़ा व आदरणीय व्यक्ति भी कहे तो भी न करें.