इस बार बी पॉजिटिव में पढ़ें -अनुभवी लोगों को अनदेखा किये बिना युवाओं की टीम बनाएं, जरूर मिलेगी मंजिल
।। विजय बहादुर ।।फेसबुक से जुड़ेंटि्वटर से जुड़ने के लिए क्लिक करें इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान की हालिया नेशनल असेंबली चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. 18 अगस्त को वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले लेंगे. वर्ष 1992 में पाकिस्तान ने इमरान के नेतृत्व में विश्व कप […]
।। विजय बहादुर ।।
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इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान की हालिया नेशनल असेंबली चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. 18 अगस्त को वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले लेंगे.
वर्ष 1992 में पाकिस्तान ने इमरान के नेतृत्व में विश्व कप क्रिकेट जीता था और वो पूरे देश के हीरो बन गये थे. इसके बाद उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. वर्ल्ड कप की जीत को उन्होंने अपनी मां के नाम से बन रहे कैंसर अस्पताल को समर्पित कर दिया था, हालांकि उसको लेकर भी उस समय काफी विवाद हुआ था कि उन्होंने अपनी टीम को क्रेडिट नहीं दिया था.
उसके बाद इमरान ने तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी बना ली और राजनीति में शामिल हो गये. शुरुआती चुनाव में इमरान खुद सिर्फ एक सीट जीत सके, बाकी उनकी पूरी पार्टी का खाता भी नहीं खुला. लेकिन, 26 साल के लगातार संघर्ष के बाद आज इमरान पाकिस्तान के शीर्ष पद पर विराजमान होने वाले हैं. हालांकि, इमरान का व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन दोनों विवादों से घिरा रहा है. राजनीति में इमरान की सफलता के पीछे लोग सेना का हाथ मान रहे हैं. उनके विवादित बयान के कारण लोग उन्हें तालिबान खान के नाम से भी पुकारते रहे हैं. कभी वो कट्टर लोगों के पीछे खड़े नजर आते हैं, तो कभी अपने को उदारवादी दिखाने की कोशिश करते हैं.
तमाम आलोचनाओं और कमियों के बावजूद इमरान खान की सफलता को कमतर नहीं आंका जा सकता है. इमरान का व्यक्तित्व सचमुच में करिश्माई रहा है, जिसने पाकिस्तान और उसके बाहर भी बहुत बड़ी तादाद में लोगों को प्रभावित किया है.
इमरान की जीत के बाद पाकिस्तान के भूतपूर्व क्रिकेटर मुश्ताक मोहम्मद (जिनकी कप्तानी में इमरान ने क्रिकेट भी खेला था) से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि आप इमरान की जीत को किस तरह से देखते हैं. उनका जवाब था, इमरान और उनकी पार्टी की जीत पाकिस्तान के लिए सबसे बेहतर बात हुई है. किसी ने इमरान को क्रिकेटर नहीं बनाया था और न ही किसी ने उन्हें राजनीतिज्ञ बनाया है. पाकिस्तान को इमरान की तरह ही मजबूत इरादों वाले, फोकस्ड और कमिटेड लीडर की जरूरत है. मुझे पक्का विश्वास है कि अब पाकिस्तान के पासपोर्ट को दुनिया भर में इज्जत की नजर से देखा जायेगा.
मुश्ताक मोहम्मद से जब ये पूछा गया कि इमरान की सफलता का राज आपको क्या लगता है. मुश्ताक बताते हैं कि इमरान मेरी कप्तानी में खेला, लेकिन कभी उसने खेल के दौरान किसी तरह के बहाने नहीं बनाये और हमेशा अपना शत- प्रतिशत दिया. एक क्रिकेटर के रूप में इमरान ने हमेशा ये साबित करने की कोशिश की, कि वो सबसे बेहतर हैं. राजनीति में भी वही साबित करने की कोशिश कर रहा है.
एक लीडर के रूप में टीम बिल्डिंग इमरान की सबसे बड़ी खासियत रही है. जब वो पाकिस्तान के कप्तान थे, उन्होंने अपने हिसाब से टीम बनायी. यहां तक कि अपने चचरे भाई माजिद खान को भी टीम से बाहर कर दिया. उनकी टीम में जावेद मियांदाद ही एकमात्र सीनियर प्लेयर थे. उन्होंने युवाओं की टीम बनायी. प्रतिभा की पहचान तो उनमें गजब की थी. वसीम अकरम जैसे खिलाड़ी को तो उन्होंने सीधे क्लब क्रिकेट से पाकिस्तान की क्रिकेट टीम में मौका दे दिया, जबकि उन्होंने एक भी प्रथम श्रेणी का मैच भी नहीं खेला था. उसी तरह वकार यूनुस जैसे बिल्कुल नये गेंदबाज को उन्होंने मौका दिया. इमरान का मंत्र बिल्कुल साफ था लीडरशिप इंस्पिरेशनल हो. पुराने लोगों को अनदेखा किये बिना नये लोगों की टीम खड़ी की जाये.
कुछ वर्ष पहले एक और इंटरव्यू में इमरान से उनके क्रिकेटिंग कैरियर और उससे जुड़ी यादों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि आप मुझसे राजनीति से जुड़े सवाल पूछें, क्योंकि यही मेरा वर्तमान है और मैं इसी में जीना पसंद करता हूं. भविष्य के लिए लक्ष्य बनाकर उसके लिए प्रयास करने में विश्वास करता हूं. इतिहास से प्रेरणा लें, लेकिन बीती यादों में ज्यादा डूबने से इंसान मानसिक (इमोशनल) रूप से कमजोर हो जाता है. इसलिए मैं अपनी पुरानी तस्वीरों को भी बहुत ज्यादा नहीं देखता हूं. शायद इमरान के इस मुकाम में पहुंचने का राज भी यही है. उन्होंने जीवन में एक लक्ष्य बनाया, उसे हासिल किया और फिर उससे आगे नये मुकाम की तलाश में बढ़ गये.