गनौरी राम का खेत से स्टूडियो तक का सफर
।।विजय बहादुर।।ईमेल करें- vijay@prabhatkhabar.inफेसबुक से जुड़ने के लिए क्लिक करेंटि्वटर पर फॉलो करें सफलता की लंबी लकीर खींचनी हो, तो नकारात्मक बातों से करें परहेज साहेब, आदमी काम से नहीं थकता. थकता है, तो सोच से. यह 70 साल के गनौरी राम की जिंदगी का फलसफा है. इसी साल अगस्त से गनौरी राम ने रांची […]
।।विजय बहादुर।।
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सफलता की लंबी लकीर खींचनी हो, तो नकारात्मक बातों से करें परहेज
साहेब, आदमी काम से नहीं थकता. थकता है, तो सोच से. यह 70 साल के गनौरी राम की जिंदगी का फलसफा है. इसी साल अगस्त से गनौरी राम ने रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में परिदर्शक के तौर पर अपनी सेवा देनी शुरू की है. वे आकाशवाणी, रांची में अनुबंध पर कृषि परामर्श की सेवाएं दे रहे हैं. वे कहते हैं कि उनकी जिंदगी तो खेत से स्टूडियो तक है.
सीखने की नहीं होती कोई उम्र
उम्र के इस पड़ाव में भी गनौरी राम कुछ नया सीखना चाहते हैं. उनकी इस ललक के कारण ही उम्र का कोई असर उन पर नहीं पड़ा है. मूल रूप से पलामू जिले के पांकी के रहनेवाले गनौरी राम के पिता रामेश्वर राम डाल्टेनगंज नगरपालिका में दिहाड़ी मजदूर थे. आठ-भाई बहनों में सबसे बड़े गनौरी को उनकी मां सूरती देवी महीने में एक रुपया बचा कर गांव के तालकेश्वर महतो से पढ़वाती थीं. मगर, आर्थिक तंगी के कारण गनौरी राम को क्लास चार में पढ़ने के दौरान ही घरों में काम करना पड़ा. सातवीं की पढ़ाई के बाद उनकी पढ़ाई छूट गयी. फिर एक शिक्षक देवेंद्र सिंह की मदद से पढ़ाई शुरू हुई और 1965 में वे मैट्रिक पास किये. फिर 1968 में कृषि शिक्षा पर्षद, बिहार से कृषि में डिप्लोमा करने के बाद मात्र पांच रुपये महीना पर रांची स्थित रामकृष्ण मिशन के दिव्यायन केंद्र में कृषि अनुदेशक पद पर काम करने लगे.
हार नहीं मानने वाले गनौरी
गनौरी राम की जीवटता से रू-ब-रू होना हो तो, उनका बायोडाटा देखिए. 1965 में मैट्रिक. 1972 में इंटर. 1988 में ग्रेजुएट. 1999 में एमए और 2006 में हिंदी में पीएचडी की प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण रहे. वे बताते हैं कि उनकी शिक्षा में उनकी धर्मपत्नी जसोमती देवी का बहुत बड़ा योगदान है. हर 10 और 12 साल में एक डिग्री प्राप्त करनेवाले गनौरी राम ने गांव-गिरांव के युवाओं को आगे बढ़ाने से लेकर किशोर कल्याण के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
पॉजिटिव बातों को देते हैं तवज्जो
गनौरी राम हमेशा दूसरों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं. निगेटिव बातों को तवज्जो नहीं देते हुए हमेशा पॉजिटिव बातों को अपनाने पर जोर देते हैं. इनके संपर्क में आनेवाला हर व्यक्ति सकारात्मक सोच के साथ एक नयी ऊर्जा पाता है.
खेती पर किताबों की लड़ी
खेती पर उपयोगी किताबों को लिखने का श्रेय भी गनौरी राम को जाता है. खेती पर उनकी 12 से अधिक पुस्तकें हैं, जो किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी हैं. इसके अलावा उन्होंने आकाशवाणी पर खेती-किसानी पर परिचर्चा आयोजित करने, किसानों को सम्मानित करने एवं किसान क्लब गठित करने का काम किया है.
1968 से शुरू हुआ सफर आज तक जारी
1965 में मैट्रिक पास करने व 1968 में कृषि शिक्षा पर्षद, बिहार से कृषि में डिप्लोमा करने के बाद गनौरी राम ने अपनी चाल तेज कर दी. रांची स्थित रामकृष्ण मिशन के दिव्यायन केंद्र में कृषि अनुदेशक पद पर काम करते हुए उन्होंने 1969 से 1972 तक करीब एक हजार युवकों को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया. इसमें उन्नत कृषि तकनीक, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, डेयरी, बत्तख पालन, मधुमक्खी पालन, खराब पंप सेट को बनाने व लकड़ी की कारीगरी का प्रशिक्षण दिया.
1973 से 1978 तक किसानों को जागरूक करने संबंधी कई कार्य किये. 1978 से 1982 तक लोहरदगा के अनुमंडल कृषि कार्यालय में वीएलडब्ल्यू के तौर पर कई गांवों में ग्रामीण व कृषि विभाग की योजनाओं को संचालित किया. जून 1982 से फरवरी 1994 तक आकाशवाणी के फार्म रिपोर्टर रहे.
1994 से 1995 के बीच आकाशवाणी, दरभंगा में कृषि प्रसारण पदाधिकारी के रूप में काम किया. 1996 से 1998 तक आकाशवाणी, डाल्टेनगंज व 2008 तक आकाशवाणी रांची में किसानों से जुड़े कई कार्यक्रमों का सफल प्रसारण किया. गनौरी राम वर्ष 2008 में आकाशवाणी से सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्ति के बाद 2011 से 2013 तक लोहरदगा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष रहे. अगस्त 2014 से जून 2018 तक किशोर न्याय बोर्ड, रांची के सदस्य के तौर पर 885 मामलों के निबटारे में सहयोग किया.
आकाशवाणी के फार्म रिपोर्टर
गनौरी राम आकाशवाणी के फार्म रिपोर्टर रहे हैं, इसलिए वे कहते हैं कि उनका जीवन तो खेत से स्टूडियो तक है. 1982 से लेकर 1994 तक आकाशवाणी में जो उन्होंने खेती-किसानी की रिपोर्टिंग की वो अविस्मरणीय रही. दरभंगा में कृषि प्रसारण पदाधिकारी के तौर पर रिकॉर्ड 1300 किसानों को मधुमक्खी पालन से जोड़ा. 1996 से लेकर 1998 तक डाल्टेनगंज में आकाशवाणी कार्यक्रम अधिशासी (समन्वयक) के तौर पर 3000 किसानों को रेडियो प्रसारण से जोड़ा. 1996 से 2008 तक आकाशवाणी रांची में 20 पाठमालाओं का प्रसारण और उसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित कराया.
झारखंड सेवा रत्न अवार्ड से होंगे सम्मानित
आकाशवाणी के कृषि रिपोर्टर के तौर पर बेहतर कार्य करनेवाले गनौरी राम को झारखंड सेवा रत्न अवार्ड, 2018 से सम्मानित किया जायेगा. विश्व सेवा परिषद की ओर से आगामी 21 अक्तूबर को रांची में गनौरी राम को यह सम्मान दिया जायेगा.