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सफलता की कुंजी है निर्णय

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दैनिक अखबारों के बाजार के संघर्ष से जुड़ा कुछ वर्ष पहले का वाकया है. बिहार के एक जिले में प्रसार व वितरण से जुड़े कुछ लोग आपके अपने प्रिय अखबार प्रभात खबर के वितरण में परेशानी खड़ी कर रहे थे. अखबार को आपके शहर-गांव-जवार तक पहुंचाने में बाधा डाल रहे थे. धीरे-धीरे दूसरे अखबार को तरजीह देकर प्रभात खबर की प्रतियां कम कर रहे थे. वो अपने स्तर पर हर वो अनुचित प्रयास कर रहे थे, जिससे प्रभात खबर आप तक नहीं पहुंच सके. तमाम प्रयास, आग्रह और समझाने के बाद भी सालों ये सिलसिला चलता रहा. एक दिन हमारी टीम ने इस समस्या के निराकरण के लिए उचित निर्णय लेने का निश्चय किया. ये विमर्श किया और आंकलन किया कि अगर यही व्यवस्था चलती रही, तो धीरे-धीरे हमारे-आपके बीच की दूरी काफी बढ़ जायेगी और हम आपको वो स्नेह देने से चूक जायेंगे यानी हमारा अस्तित्व खत्म हो जायेगा.
आखिरकार ये निर्णय लिया गया कि हमें अखबार वितरण की वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी, लेकिन ये निर्णय भी उतना आसान नहीं था. असफल होने का मतलब था उनसे हार मान लेना यानी अखबार के प्रसार की संख्या में भारी गिरावट. सफल होने का मतलब था समस्या का निदान. हमारे पास आगे बढ़ने का ही विकल्प था. हमलोगों ने रिस्क लेकर हौसले के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया और सफलता हाथ लग ही गयी. ये तो अखबार का एक छोटा-सा किस्सा है.
आप किसी भी बेहतर संस्थान या व्यक्ति के कामयाब बनने की कहानी को देखें, चाहे वो फेसबुक हो, अलीबाबा डॉट कॉम, धीरूभाई अंबानी हों या अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. इनमें एक चीज कॉमन नजर आती है. वो है जीवन में बड़ी मंजिल तय करने के लिए निर्णय लेना पड़ता है. चाहे परिणाम जो भी हो, लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाना होता है. अनिर्णय के हालात में इंसान वैसे भी धीरे-धीरे खत्म हो जाता है. ऐसे में जरूरी है जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए निर्णय लेना. बिना निर्णय लिए बदलाव की इबारत नहीं लिखी जा सकती.
अगर आप जीवन में कोई बड़ी मंजिल तय करते हैं, तो रिस्क की संभावना भी उसी स्तर पर बढ़ती जाती है. जितनी बड़ी मंजिल होगी, उतना ही बड़ा आपको रिस्क लेना होगा. मानसिक तौर पर आपको इसके लिए तैयार रहना होगा. छोटे रिस्क से बड़ी कामयाबी कभी नहीं मिल सकती. हर सफल इंसान की कामयाबी के पीछे की कहानी कई बड़े रिस्क से भरी होती है. जिस तरह छोटे मन से कोई बड़ा नहीं बन सकता, ठीक उसी तरह हर बड़े संस्थान की सफलता के पीछे उसकी निर्णय क्षमता का हाथ होता है. आप जिंदगी में कामयाबी की ऊंची छलांग लगाना चाहते हैं, तो आपको परिणाम की चिंता किये बगैर निर्णय लेने से नहीं हिचकना चाहिए. निर्णय ही सफलता की कुंजी है.
तात्पर्य यह है कि लक्ष्य तय करना ही पर्याप्त नहीं है. उस पर विचार करने से ही सफलता हासिल नहीं होगी. सिर्फ सोचते रहेंगे, तो सोचते रह जायेंगे. सिर्फ सोचते रहने से किसी काम को अंजाम नहीं दिया जा सकता है. एक औसत इंसान और एक सफल इंसान में फर्क सिर्फ इतना ही है कि एक औसत आदमी सिर्फ सोचता ही रहता है. कभी निर्णय लेने का रिस्क नहीं उठा पाता, जबकि एक सफल इंसान लक्ष्य प्राप्ति के लिए रणनीति बनाकर रिस्क लेते हुए कदम आगे बढ़ा देता है और आखिरकार सफलता उसके कदम चूमती है.

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