जीत के लिए सिर्फ जीनियस होना काफी नहीं, बेहतरीन टीम की भी जरूरत

पिछले महीने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक दिवसीय क्रिकेट सीरीज खेली गयी. उम्मीद के विपरीत भारतीय टीम 3-2 से सीरीज हार गयी, जबकि श्रृंखला शुरू होने से पहले क्रिकेट प्रेमी ये मानकर चल रहे थे कि भारत को होम ग्राउंड का लाभ मिलेगा. वहीं, ऑस्ट्रेलिया की टीम में स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर जैसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2019 12:57 PM

पिछले महीने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक दिवसीय क्रिकेट सीरीज खेली गयी. उम्मीद के विपरीत भारतीय टीम 3-2 से सीरीज हार गयी, जबकि श्रृंखला शुरू होने से पहले क्रिकेट प्रेमी ये मानकर चल रहे थे कि भारत को होम ग्राउंड का लाभ मिलेगा. वहीं, ऑस्ट्रेलिया की टीम में स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर जैसे खिलाड़ी अनुपस्थित रहेंगे. इसलिए सीरीज भारत के पक्ष में एकतरफा होगा. विराट कोहली जैसे विश्व के नंबर एक खिलाड़ी और सफल ट्रैक रिकॉर्ड वाले कप्तान होने के बावजूद टीम इंडिया सीरीज हार गयी.

अभी आइपीएल के मैच चल रहे हैं. विराट कोहली के नेतृत्व में रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु की टीम का प्रदर्शन लगातार 8वें वर्ष अपेक्षा के अनुरूप नहीं है, जबकि इस टीम में एबी डिविलियर्स समेत कई और बेहतरीन खिलाड़ी हैं. इन दोनों टूर्नामेंट में विराट की टीम के अपेक्षित प्रदर्शन नहीं करने का आंकलन करेंगे, तो एक बात स्पष्ट नजर आती है कि शीर्ष में पहुंचने के बाद उसे बनाये रखना कितना कठिन है. शीर्ष में पहुंचने के बाद वहां बने रहने के लिए सभी फैक्टर्स परफेक्ट होने चाहिए.

भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से इसलिए नहीं हारी कि टीम कमजोर थी, बल्कि इसलिए हारी कि टीम का संयोजन ठीक नहीं था. भारतीय टीम का फोकस निवर्तमान मुकाबले से ज्यादा वर्ल्ड कप के लिए टीम बनाने पर था. टीम बनाने के लिए कुछ पोजिशंस पर कुछ ज्यादा ही एक्सपेरिमेंट कर दिया गया.

उसी तरह आइपीएल में रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु की टीम इसलिए हार रही है, क्योंकि उस टीम में कुछ जीनियस तो हैं, लेकिन टीम के सभी खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. इसके उलट चेन्नई सुपर किंग्स की टीम महेंद्र सिंह धौनी के नेतृत्व में इस वर्ष भी बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है, जबकि पिछले वर्ष जब चेन्नई सुपर किंग्स की टीम दोबारा आइपीएल में वापस आयी, तो ज्यादातर लोगों का ये मानना था कि ये उम्रदराज (बूढ़ों) खिलाड़ियों की टीम है और इस टीम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद बेमानी है, क्योंकि 20-20 का मुकाबला कम उम्र के खिलाड़ियों के लिए ज्यादा मुफीद है. इसमें बहुत ज्यादा स्टेमिना और फिटनेश की जरूरत होती है.

पिछले वर्ष चेन्नई सुपर किंग्स की टीम के अनुभवी खिलाड़ियों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर टीम को चैंपियन बना दिया था. वर्ष 1996 में जब श्रीलंका की टीम वर्ल्ड कप एकदिवसीय टूर्नामेंट में चैंपियन बनी, तो पत्रकारों ने टीम के कप्तान अर्जुना रणतुंगा से पूछा कि आपकी टीम की सफलता का राज क्या है, तो उनका जवाब था कि मेरी टीम में कोई जीनियस नहीं है, बल्कि सभी खिलाड़ी बढ़िया हैं, जिसके कारण टीम का संयोजन और आपसी तालमेल बेहतर रहा. उन्होंने कहा कि जीनियस खिलाड़ी टीम को इक्का-दुक्का मैच जीता सकते हैं, लेकिन लगातार जीतने के लिए टीम के सभी खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन करना होगा.

कहने का आशय है कि कोई भी टीम तभी बेहतर कर सकती है या शीर्ष में पहुंच सकती है, जब टीम का एक-एक इंसान अपना योगदान देगा. सिर्फ टीम लीडर या कुछेक के बढ़िया प्रदर्शन से टीम बढ़िया करेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. बढ़िया टीम लीडर वही है, जो न सिर्फ खुद बेहतर करता है, बल्कि टीम के एक-एक साथी से बेस्ट आउटपुट लेता है.

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