काबिलियत उम्र की मोहताज नहीं
B Positive : जीवन में ऐसा वक्त आता है, जब ऐसा महसूस होता है कि मैं थक गया हूं या जो काम मैं कर रहा हूं, वो मेरे अख्तियार में नहीं है. अगर खुद आप ऐसा महसूस नहीं करते हैं, तो आपके आसपास के लोग जाने-अनजाने ये अहसास दिलाते हैं कि आपकी उम्र इस काम के लायक नहीं है, लेकिन क्या सचमुच सिर्फ एक और वर्ष गुजर जाने से इंसान काम के लायक नहीं रह जाता.
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B Positive : जीवन में ऐसा वक्त आता है, जब ऐसा महसूस होता है कि मैं थक गया हूं या जो काम मैं कर रहा हूं, वो मेरे अख्तियार में नहीं है. अगर खुद आप ऐसा महसूस नहीं करते हैं, तो आपके आसपास के लोग जाने-अनजाने ये अहसास दिलाते हैं कि आपकी उम्र इस काम के लायक नहीं है, लेकिन क्या सचमुच सिर्फ एक और वर्ष गुजर जाने से इंसान काम के लायक नहीं रह जाता.
पिछले 1 महीने में घटित कुछ घटनाओं पर गौर करें, जो सचमुच आपको प्रेरित करेंगी.
केस स्टडी 1
34 साल के राफेल नडाल ने फ्रेंच ओपन टेनिस जीतकर 20 ग्रैंड स्लैम अपने नाम कर लिया. अब वो 39 साल के रोजर फेडरर के साथ सबसे ज्यादा ग्रैंड स्लैम टाइटल जीतने वाले टेनिस प्लेयर हैं. टॉप 3 के तीसरे प्लेयर नोवाक जोकोविच की उम्र भी 33 वर्ष है यानी पिछले डेढ़ दशक में शीर्ष पर विराजमान टॉप 3 खिलाड़ियों की उम्र 30 वर्ष से ऊपर है, जबकि लॉन टेनिस को स्किल के साथ ताकत व स्टेमिना का खेल माना जाता है.
केस स्टडी 2
कुछ दिनों पहले फिट इंडिया अभियान के अंतर्गत संवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉडल-एक्टर 54 वर्ष के मिलिंद सोमेन की फिटनेस की तारीफ करते हैं. उसी संवाद में मिलिंद सोमेन कहते हैं कि मैं तो अपनी माता से प्रेरणा लेता हूं, जिनकी उम्र 81 वर्ष है और वो आज भी कठिन कसरत और पुशअप करती हैं.
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केस स्टडी 3
60 वर्षीय लंकाशायर निवासी पॉल मार्क्स दुबई के क्रियोल ग्रुप में मुख्य संचालन प्रबंधक के रूप में कार्यरत थे. कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गयी. कई देशों में नौकरी के लिए अर्जी दी, लेकिन अधिक उम्र के कारण कहीं से बुलावा नहीं आया. अंत में लिंक्डइन में पुशअप करते हुए वीडियो डाल दिया. 100 से ज्यादा नियोक्ताओं ने उन्हें सम्मानजनक पद की पेशकश की, जबकि वीडियो डालने से पहले 50 से ज्यादा कंपनियों ने उनका रिज्यूमे ठुकरा दिया था.
ऊपर वर्णित तीनों केस स्टडीज में एक समानता है कि इंसान ने सफलता उस समय अर्जित की, जब ये समझा जाता है, जो काम वो कर रहा है उसके लिए उम्र निकल चुकी है, लेकिन इनलोगों की सफलता ने फिर साबित किया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है. उम्र कभी भी काबिलियत और उत्पादकता का पैमाना नहीं हो सकती. निश्चित तौर पर उम्र के बढ़ने से इंसान की शारीरिक क्षमता का ह्रास होता है, लेकिन ये भी सही है कि अनुभव के बढ़ने से इंसान के स्किल और काम करने के नजरिये का विस्तार भी होता है.
इसलिए जब आप अपने आसपास उनलोगों को देखते हैं, जिनकी उम्र थोड़ी ज्यादा है, तो ये नहीं समझें कि वो चूक गये हैं, बल्कि उनके पास वो हुनर या अनुभव बचा है, जो शायद किसी युवा को संग्रहित करने में बरसों लगेंगे.
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