थामे रखें उम्मीदों की डोर
B Positive : आज के हालात पर गौर करें, कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे हिंदुस्तान में तबाही मचा दी है. कोरोना का संक्रमण जब घटने लगा, तो हममें निश्चिन्तता का भाव आ गया था, जिसका परिणाम सामने है. मार्च 2021 में हमें लगने लगा कि हमने कोरोना के खिलाफ जंग जीत ली है, लेकिन आज एक महीने के बाद लगता है कि हम सभी एक बहुत बड़े भंवर में फंस चुके हैं.
Facebook : www.facebook.com/vijaybahadurofficial
YouTube : www.youtube.com/vijaybahadur
email- vijay@prabhatkhabar.in
फेसबुक से जुड़ें
टि्वटर से जुड़े
यूट्यूब पर आयें
B positive : जो लोग अपने देश में खेल और खासकर एथलेटिक्स में रुचि रखते हैं वो लोग मिल्खा सिंह और पीटी उषा को एशियाड और ओलिंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जानते हैं, लेकिन मन में एक मलाल आज भी है कि ओलिंपिक सेमीफाइनल तक दोनों ने अपने-अपने ग्रुप में अव्वल स्थान के साथ फाइनल में प्रवेश किया, लेकिन फाइनल में दोनों सेकंड के 100वें हिस्से के साथ चौथे स्थान पर रह गए. दोनों के वीडियोज को देखेंगे तो साफ नजर आता है कि रेस खत्म होने के बिल्कुल पहले दोनों में निश्चिन्तता का भाव आ गया था और यही वो समय था जब दोनों पहले पायदान पर आने की जगह चौथे पायदान पर फिसल गये.
आज के हालात पर गौर करें, कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे हिंदुस्तान में तबाही मचा दी है. कोरोना का संक्रमण जब घटने लगा, तो हममें निश्चिन्तता का भाव आ गया था, जिसका परिणाम सामने है. मार्च 2021 में हमें लगने लगा कि हमने कोरोना के खिलाफ जंग जीत ली है, लेकिन आज एक महीने के बाद लगता है कि हम सभी एक बहुत बड़े भंवर में फंस चुके हैं.
कहने का आशय है कि जब आप एक काम की शुरुआत करते हैं तो जीत तभी संभव है जब ज्यादा ऊर्जा के साथ मंजिल को छूते हैं. मंजिल को छूने से पहले असावधानी या निश्चिन्तता घातक हो सकती है. आज के हालात को देखते हए मन में सवाल उठता है कि हमने गलती की. हम भंवर में या तूफान में घिरे हैं तो हमारे पास रास्ता क्या है? क्या सभी रास्ते बंद हो गए हैं या बिखर जाना ही हमारी नियति है.
Also Read: B positive : इंसान बनें, नरपिशाच नहीं !
हम कभी समुद्र के किनारे पानी में जाते हैं. लहरें आती हैं तो क्या करते हैं. उन लहरों से टकराने की जगह झुककर उसके गुजरने का इंतजार करते हैं, उसी तरह बहुत बड़ा बवंडर आता है तो लेटकर उसके खत्म होने का इंतजार करते हैं. आज के हालात भी कुछ उसी तरह के हैं, जब हम बहुत बड़ी मानवीय त्रासदी से गुजर रहे हैं तो चित्त को शांत रखते हुए संयम से हालात के बेहतर होने का इंतजार करें.
सावधानी रखते हुए जो हमारे अख्तियार में है, उसके साथ चीजों को बेहतर करने की कोशिश करें. इस वक्त ज्यादा एक्सपेरिमेंट करना नुकसान का कारण बन सकता है. और अंत में अंधेरा कितना भी घना हो, उजियारा जरूर होता है. हौसले के साथ उम्मीदों की डोर थामे रखें. कल आज से बेहतर होगा.
Posted By : Samir Ranjan.